OTT से क्यों डर रहे केबल ऑपरेटर?

ट्राई सिर्फ टैरिफ को रेगुलेट कर सकता है जबकि कंटेंट का रेगुलेशन सूचना और प्रसारण मंत्रालय के दायरे में आता है.

OTT से क्यों डर रहे केबल ऑपरेटर?

केबल ऑपरेटर्स और ब्रॉडकास्टर के बीच कंटेट को लेकर विवाद थमा नहीं हैं. OTT स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स के बढ़ते चलन के बीच केबल ऑपरेटर्स पर अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है. केबल ऑपरेटर्स ने भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) से OTT स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स को अपने दायरे में लाने के लिए कहा है. मालूम हो फरवरी से TRAI के न्यू टैरिफ ऑर्डर 3.0 के लागू होने के बाद कई जगहों पर जी (Zee), स्टार (Star) और सोनी (Sony) के चैनल ऑफ-एयर हो गए हैं. डिज्नी स्टार, जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज और सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया लिमिटेड ने केबल ऑपरेटर्स को फीड देना बंद कर दिया है और दर्शक टीवी पर अपना मनचाहा शो नहीं देख पा रहे हैं.

केबल टीवी नेटवर्क स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स से ख़तरा महसूस कर रहे हैं इसलिए वे बार-बार ट्राई की चौखट पर OTT को रेगुलेट करने की गुहार लेकर पहुंच जाते हैं लेकिन इस मामले में नियामक किसी फैसले पर पहुंचने में समय ले रहा है. पेंच ये भी है कि ट्राई सिर्फ टैरिफ को रेगुलेट कर सकता है, कंटेंट को नहीं. कंटेंट का रेगुलेशन सूचना और प्रसारण मंत्रालय के दायरे में आता है और ट्राई लाइसेंस दिए बिना OTT को रेगुलेट नहीं कर सकता है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक TRAI के चेयरमैन पीडी वाघेला ने OTT प्लेटफॉर्म्स के लिए एक मूल्य सीमा तय करने की जरूरत पर जोर दिया है. उन्होंने कहा है ट्राई ओटीटी कंटेंट को लाइसेंस देने पर एक स्टडी कर रहा है और उम्मीद है कि वह जल्द इस संबंध में एक कंसल्टेशन पेपर जारी करेगा.

बता दें ट्राई और सरकार से OTT को रेगुलेट करने को लेकर पहले भी कई बार कहा जा चुका है. जनवरी में, कोलकाता स्थित आइडियल केबल ऑपरेटर्स एसोसिएशन ने एक पत्र में ट्राई से ओटीटी के लिए नियम बनाने पर विचार करने का आग्रह किया था. वहीं फाइबरनेट ऑपरेटर्स फेडरेशन ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय को एक अलग से पत्र भी लिखा है जिसमें ओटीटी प्लेटफार्म्स पर लाइव चैनलों को वापस लेने और ऐसी सेवाओं के लिए लाइसेंस शुल्क शुरू करने की वकालत की गई है.

Published - May 18, 2023, 03:30 IST