किसानों को खरीफ के लिए फसल के लिए उर्वरक पहले की तरह सस्ती दरों पर मिलता रहेगा. केंद्र सरकार ने खरीफ सत्र (अप्रैल से सितंबर) के लिए 1.08 लाख करोड़ रुपए की उर्वरक सब्सिडी को मंजूरी दे दी है. मंत्रिमंडल की बैठक में खरीफ सत्र के लिए यूरिया पर 70,000 करोड़ रुपए, डीएपी और अन्य उर्वरकों के लिए 38,000 करोड़ रुपए की सब्सिडी देने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई है. सरकार के इस कदम का मकसद उर्वरकों की खुदरा कीमतों में बढ़ोतरी को रोकना है.
पिछले कुछ महीनों से बाजार में उर्वरक सब्सिडी में कटौती अथवा खत्म करने को लेकर चर्चाएं चल रही थीं. जाहिर से इससे फसलों में इस्तेमाल होने वाले उर्वरक महंगे जाते. इसी आशंका को लेकर किसानों के बीच गहरी चिंती थी। उर्वरक सब्सिडी के बारे में केंद्रीय उर्वरक एवं रसायन मंत्री मनसुख मांडविया ने तमाम तरह की अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा कि उर्वरकों की अधिकतम खुदरा कीमतों (MRP) में इस अवधि में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. हालांकि पिछले तीन महीनों में एनपीके के मूल्यों में गिरावट आने के बाद सब्सिडी को घटाया गया है.
किस पर कितनी सब्सिडी?
पिछले कुछ महीनों में वैश्विक कीमतों में कमी की वजह से जारी खरीफ मौसम में पोटाश और फास्फेट उर्वरकों पर सरकार पर सब्सिडी का बोझ कम हुआ है. अभी सरकार खरीफ सीजन के लिए नाइट्रोजन पर 76 रुपए प्रति किलोग्राम, फासफोरस पर 41 रुपए प्रति किलोग्राम और पोटाशियम पर 15 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से सब्सिडी खर्च उठा रही है. वहीं यूरिया की कीमत 276 रुपए प्रति बोरी है जबकि डीएपी 1,350 रुपए प्रति बोरी पर बिक रही है. उम्मीद है 2023-24 के पूरे वित्त वर्ष के दौरान उर्वरकों पर सरकार का सब्सिडी खर्च 2.25 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है. वहीं उर्वरक सब्सिडी से करीब 12 करोड़ किसानों को फायदा पहुंचेगा.