खोए हुए या मोबाइल फोन को ब्लॉक करने और उनका पता लगाने में केंद्रीय उपकरण पहचान रजिस्टर (CEIR) अहम भूमिका निभा रहा है. संचार साथी पोर्टल पर साझा किए गए हालिया आंकड़े बताते हैं कि ब्लॉक किए गए 541,428 मोबाइल फोन में से एक महीने से भी कम समय के भीतर 255,882 मोबाइल्स का पता लगा लिया गया.
नहीं बेचे जा सकेंगे चोरी हुए मोबाइल? अनुमान के मुताबिक खोए या चोरी हुए फोन का बाजार करीब 1,200 करोड़ रुपए का है. वहीं एक महीने में क़रीब 50,000 से ज्यादा फोन गुम या चोरी हो जाते हैं. लेकिन CEIR पोर्टल की मदद से यूज़र डिवाइस को विशिष्ट पहचान संख्या या IMEI नंबर दर्ज करके ब्लॉक कर सकता है. ऐसा करने से फोन अनुपयोगी हो जाता है. नया सिम कार्ड डालकर भी इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का मानना है कि फोन ब्लॉक हो जाने से इसे दोबारा बेचा नहीं जा सकेगा और ऐसे मोबाइल फोन की रिसेलिंग का बाज़ार पूरी तरह से ख़त्म हो जाएगा और धाखधड़ी के मामलों में कमी आएगी.
CEIR पर क्या कर सकते हैं? CEIR एक आर्टिफ़िशियल इंटेलीजेंस (AI) के आधार पर काम करने वाला पोर्टल है जिसे 16 मई को दूरसंचार विभाग (DoT) ने मोबाइल कनेक्शन की प्रामाणिकता की जांच करने और खोए या चोरी हुए फोन को ब्लॉक करने के लिए लॉन्च किया गया था. CEIR पोर्टल पर ग्राहक कोई भी इस्तेमाल किया हुआ फोन खरीदने से पहले डिवाइस की वैधता की जांच कर सकता है. अगर किसी मोबाइल फोन की स्थिति पोर्टल पर ब्लैकलिस्ट, डुप्लीकेट आदि के रूप में दिखाई देती है तो ग्राहक को इस मोबाइल को नहीं खरीदना चाहिए. पोर्टल के माध्यम से एक मोबाइल यूज़र यह भी जान सकता है कि उसके नाम पर कितने मोबाइल कनेक्शन हैं. अगर कोई कनेक्शन ऐसा है जो यूज़र ने नहीं लिया तो उसे यूज़र ब्लॉक भी कर सकता है.
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