देश के अलग अलग राज्यों की तरफ से पुरानी पेंशन योजना यानी OPS को लागू करना पीछे की ओर ले जाने वाला कदम है और इससे आने वाले समय में राज्यों की आर्थिक सेहत ‘अस्थिर’ हो सकती है, भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI के अधिकारियों ने एक लेख में OPS को लेकर यह बात कही है. रचित सोलंकी, सोमनाथ शर्मा, आर के सिन्हा, एस आर बेहरा और अत्री मुखर्जी के लेख में कहा गया है कि OPS के मामले में कुल वित्तीय बोझ नई पेंशन योजना यानी NPS का 4.5 गुना तक हो सकता है. नई पेंशन योजना को एक दशक से भी पहले पेंशन सुधारों के हिस्से के रूप में लागू किया गया था.
लेख में कहा गया है कि राज्यों के OPS पर वापस लौटने से सालाना पेंशन खर्च में 2040 तक GDP का सालाना सिर्फ 0.1 फीसद बचाएंगे, लेकिन उसके बाद उन्हें वार्षिक GDP के 0.5 फीसद के बराबर पेंशन पर अधिक खर्च करना होगा.
हालांकि RBI अधिकारियों की तरफ से लिखे गए इस शोध पत्र में कही गई बातों को RBI का आधिकारिक बयान नहीं माना जा सकता, लेकिन 5 राज्यों में विधानसभा और अगले साल लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आए इस शोधपत्र ने OPS और NPS को लेकर फिर से बहस छिड़ सकती है. लेख में कहा गया है कि हाल ही में राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश ने NPS से OPS की ओर स्थानांतरित होने की घोषणा की है.
लेख में कहा गया है कि OPS में परिभाषित लाभ (Direct Benefit) है, जबकि एनपीएस में परिभाषित अंशदान (Direct Contribution) है. जहां OPS में अल्पकालिक आकर्षण है, वही मध्यम से दीर्घकालिक चुनौतियां भी हैं. लेख में कहा गया है, “राज्यों के पेंशन व्यय में अल्पकालिक कटौती OPS को बहाल करने के निर्णयों को प्रेरित कर सकती है. यह कटौती लंबे समय में भविष्य में गैर-वित्तपोषित पेंशन देनदारियों में भारी वृद्धि से प्रभावित होगी।”
लेख में चेतावनी दी गई है, “राज्यों का OPS पर लौटना एक बड़ा कदम होगा और मध्यम से दीर्घावधि में उनके राजकोषीय दबाव को ‘अस्थिर स्तर’ तक बढ़ा सकता है.”इसमें कहा गया है, “OPS में वापस जाने वाले राज्यों के लिए तात्कालिक लाभ यह है कि उन्हें वर्तमान कर्मचारियों के एनपीएस योगदान पर खर्च नहीं करना पड़ेगा, लेकिन भविष्य में गैर-वित्तपोषित ओपीएस के उनके वित्त पर ‘गंभीर दबाव’ डालने की आशंका है.”
इसमें कहा गया है कि पूर्व में डायरेक्ट बेनेफिट योजनाओं वाली कई विकसित अर्थव्यवस्थाओं को अपने नागरिकों की बढ़ती जीवन प्रत्याशा के कारण बढ़ते सार्वजनिक व्यय का सामना करना पड़ा है, और बदलते जनसांख्यिकीय परिदृश्य और बढ़ती राजकोषीय लागत ने दुनियाभर में कई अर्थव्यवस्थाओं को अपनी पेंशन योजनाओं की फिर से समीक्षा करने के लिए मजबूर किया है. लेख में कहा गया, “राज्यों की तरफ से OPS में कोई भी वापसी राजकोषीय रूप से अस्थिर होगी. हालांकि इससे उनके पेंशन व्यय में तत्काल गिरावट हो सकती है.”
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