अगर और मांस और सी फूड का सेवन करते हैं तो सावधान हो जाएं. मांस और सी फूड को लेकर एक बेहद चौंकाने वाली ख़बर आई है. सी फ़ूड और मांस में प्रतिबंधित एंटीबायोटिक दवाओं का पता चला है. ये इंसानों और पशुओं के स्वास्थ्य के लिए खतरा माना जा रहा है. इसके बाद भारत के ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड (DTAB) से इस पर निगरानी रखने के लिए कहा गया है. DTAB की पिछले महीने हुई एक बैठक में ये बात सामने आई थी कि झींगा समेत जलीय कृषि में प्रतिबंधित एंटीबायोटिक्स मिले हैं. बैठक के दौरान ऐसे उपायों की मांग की गई है कि प्रतिबंधित एंटीबायोटिक दवाओं की उपलब्धता और झींगा या खाने में इस्तेमाल होने वाले जानवरों में इनके इस्तेमाल पर रोक लगाई जाए.
डीटीएबी ने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI), पशुपालन और डेयरी विभाग, मत्स्य पालन विभाग, कृषि मंत्रालय और समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एमपीईडीए) से स्थिति की जांच करने के लिए भी कहा है. साथ ही कहा है कि इस मामले में रणनीति बनाने और मामले में आगे की कार्रवाई के लिए हितधारकों से परामर्श लिया जाना चाहिए.
सलाहकार बोर्ड ने इस मामले पर भारत के औषधि महानियंत्रक की औषधि सलाहकार समिति (DCC) में चर्चा करने की भी सिफारिश की ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम और नियमों के प्रावधानों को ठीक से लागू किया जाए. बोर्ड ने एंटीबायोटिक दवाओं को ऐसे जानवरों पर उपयोग के लिए न भेजा जाए तो भोजन का उत्पादन करते हैं या खाने में इस्तेमाल होते हैं.
स्वास्थ्य के लिए बड़ा ख़तरा हर इंसान या कोई जानवर एक सीमित स्तर तक ही एंटीबायोटिक ले सकता है. ज़रूरत से ज्यादा एंटीबायोटिक लेने से मानव शरीर या किसी जानवर का शरीर एंटीबायोटिक के प्रति अक्रियाशील हो जाता है. इस स्थिति को एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (AMR) कहा जाता है. ऐसे में जो लोग भोजन के ज़रिए जो नियमित रूप से इन दवाओं के संपर्क में आते हैं उन पर रोगी होने पर दी जाने वाली एंटीबायोटिक्स दवाएं काम नहीं कर पातीं. यह स्वास्थ्य के लिहाज़ से बड़ा ख़तरा है.
किन दवाओं पर लगी है रोक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2017 में एएमआर (AMR) के मामले बढ़ने से रोकने के लिए कई एजेंसियों को निर्देश दिया था. मंत्रालय ने कहा था कि भारत में जिन जानवरों के मांस का खाने में इस्तेमाल किया जाता है उनमें AMR पाया गया है. सी फ़ूड में तो इसका स्तर बहुत ज्यादा है. 2018 में देश के शीर्ष खाद्य नियामक FSSAI ने विभिन्न एंटीबायोटिक्स और पशु चिकित्सा दवाएं, जिनमें नाइट्रोफुरन्स जैसे कि फुराल्टाडोन, फ़राज़ोलिडोन, नाइट्रोफ्यूरेंटोइन, नाइट्रोफुराज़ोन और क्लोरैम्फेनिकॉल शामिल हैं उनके मांस और मांस उत्पाद के प्रसंस्करण के किसी भी चरण में, पोल्ट्री-अंडे, सी फ़ूड या किसी भी प्रकार की मछली और मत्स्य उत्पाद में उपयोग पर पाबंदी लगा दी थी.
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