सरकार के खर्चों का हिसाब करने वाली संस्था CAG ने आयुष्मान भारत योजना (PM-JAY) में बड़ी खामियों को उजागर किया है. CAG ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आयुष्मान भारत योजना के तहत करीब 7.5 लाख रजिस्ट्रेशन सिर्फ एक फोन नंबर पर हुए हैं. इसके अलावा एक और फोन नंबर है जिस पर 1.39 लाख रजिस्ट्रेशन दर्ज किए गए हैं. रिपोर्ट में यह भी पता चला है कि इस योजना में कई ऐसे लोग भी पंजीकृत हैं जो पंजीकरण के लिए योग्य नहीं हैं और ऐसे लोगों ने योजना के जरिए 22 करोड़ रुपए तक का लाभ लिया है. बता दें कि CAG ने मंगलवार को संसद में आयुष्मान भारत योजना पर अपनी रिपोर्ट रखी है जिससे यह जानकारी निकलकर सामने आई है.
बता दें कि नेशनल हेल्थ अथॉरिटी (NHA) के आंकड़ों के मुताबिक आयुष्मान योजना के तहत 7.87 करोड़ परिवार रजिस्टर्ड हैं. सरकार ने इस योजना के तहत जो लक्ष्य तय किया था उसका 73 फीसद हासिल कर लिया है. सरकार ने इस योजना के तहत नवंबर 2022 में 10.74 करोड़ परिवारों का जोड़ने का लक्ष्य बनाया था.
लाभ उठाने के लिए गलत नाम और फर्जी आईडी का इस्तेमाल
ऑडिट रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि पर्याप्त सत्यापन नियंत्रण के अभाव में लाभार्थियों के डेटाबेस में कमियां देखी गई. ऑडिट में पाया गया है कि इस योजना का फायदा उठाने के लिए गलत नाम, अवास्तविक जन्मतिथि, डुप्लिकेट पीएमजेएवाई आईडी और घर में परिवार के सदस्यों की सही जानकारी नहीं देने जैसे चीजों का इस्तेमाल किया गया है. इसके अलावा अपात्र परिवारों को भी पीएमजेएवाई लाभार्थियों के रूप में पंजीकृत पाया गया है और उन्होंने योजना के तहत 0.12 लाख रुपए से लेकर 22.44 करोड़ रुपए तक का लाभ उठाया है.
कैग की रिपोर्ट के मुताबिक योजना के तहत पैनल में शामिल कुछ हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स (EHCP) ना तो सपोर्ट सिस्टम और बुनियादी ढांचे के न्यूनतम मानदंडों को पूरा करते हैं और ना ही योजना के दिशानिर्देशों के तहत निर्धारित गुणवत्ता मानक और मानदंड हैं. कुछ राज्यों में पैनल से जुड़े EHCP में लाभार्थियों से उनके इलाज के लिए पैसा वसूल किया गया.
रिपोर्ट में एक त्रुटि यह भी सामने आई है कि कुछ राज्यों ने दावों को प्रोसेस करने और बाद में पीएमजेएवाई की ट्रांजैक्शन मैनेजमेंट सिस्टम में फीड करने के लिए खुद के आईटी प्लेटफॉर्म का उपयोग किया. इसके चलते राज्य की योजनाओं के लाभार्थियों के साथ पीएमजेएवाई के लाभार्थियों के ओवरलैप होने की आशंका पैदा हो गई. वहीं चार राज्यों में ईएचसीपी को 57.53 करोड़ का अतिरिक्त भुगतान किया गया है. रिपोर्ट में योजना से जुड़े अस्पतालों की क्वॉलिटी पर भी सवाल उठाए गए हैं और यह भी कहा गया है कि कुछ राज्यों में लाभार्थियों से अलग से पैसे भी वसूले गए हैं.
रिपोर्ट में कुछ अन्य गड़बड़ियां भी पाई गई थी. कुछ राज्य में स्टेट हेल्थ अथॉरिटीज (एसएचए) द्वारा डेथ समिरी मिले बिना और डेथ ऑडिट रिपोर्ट हासिल किए बिना मृत्यु के मामलों में भुगतान कर दिया गया था. 11 राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों में अपर्याप्त सत्यापन जांच जैसे प्री अथॉराइजेशन से पहले अस्पताल में एडमिशन, रोगी की छुट्टी के बाद सर्जरी, क्लेम प्रस्तुत करने से पहले भुगतान, अनुपलब्धता/अमान्य तिथियां और अन्य प्रविष्टियां आदि पाए गए थे.