किसी की मदद के लिए चंदा जुटाने में का काम करने वाले ‘क्राउडसोर्सिंग’ प्लेटफॉर्म्स को दान मांगते समय इस बात का खुलासा करना होगा कि उन्होंने इसके लिए कितनी फीस वसूली है। भारतीय विज्ञापन परिषद यानी ASCI ने गुरुवार को यह जानकारी दी। ऐसे प्लेटफॉर्मस को यह भी हिदायत दी गई है कि चंदा जुटाते समय वे समस्या में घिरे पीड़ितों, बच्चों और नाबालिगों की तस्वीरों या वीडियो का इस्तेमाल नहीं कर सकते. क्राउडसोर्सिंग प्लेटफॉर्मस लोगों के समूह से जानकारी, राय, चंदा जुटाने का काम करते हैं, आम तौर पर चंदा जुटाने के विज्ञापन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मस पर दिखते रहते हैं, जिसमें पीड़ित की मदद के लिए चंदा दिए जाने की गुहार लगाई जाती है. उल्लेखनीय है कि केटो जैसे ‘क्राउडसोर्सिंग’ मंच लोगों से धर्मार्थ कार्यों के लिये किये गये दान का पांच प्रतिशत हिस्सा लेते हैं.
ASCI के अनुसार, हाल के समय में यह देखा गया है कि धर्मार्थ संगठन चंदा या दान जुटाने के लिये सक्रिय रूप से प्रचार-प्रसार में लगे रहते हैं. गैर-लाभकारी संस्थान स्वयं प्रचार-प्रसार कर या फिर प्रायोजित विज्ञापनों माध्यम से संभावित दानदाताओं तक पहुंचते हैं. ASCI की मुख्य कार्यपालक अधिकारी और महासचिव मनीषा कपूर ने कहा, ‘‘ASCI यह मानती है कि परमार्थ संगठनों का काम चुनौतीपूर्ण है। वह प्राय: संवदेशील और महत्वपूर्ण कार्यों से जुड़े होते हैं तथा जरूरतमंदों के लिये पैसा जुटाते हैं.’’उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे उपभोक्ताओं को गुमराह नहीं करें या उन लोगों को अनुचित परेशानी में पहुंचाएं जो ऑनलाइन जुड़े हों.’’
दिशानिर्देश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि किसी विज्ञापन में खुले तौर पर या स्पष्ट रूप से यह नहीं कहा जाना चाहिए कि जो कोई भी इस मुहिम का समर्थन नहीं करता है वह अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल है. इसमें कहा गया है कि डिजिटल विज्ञापन में दिखाई गई कोई भी तस्वीर जो सामान्य उपभोक्ता को अनुचित परेशानी का कारण बन सकती है, उसे धुंधला किया जाना चाहिए और केवल उन लोगों को दिखाई देनी चाहिए, जो अधिक जानने में रुचि रखते हैं. विज्ञापनदाताओं को यह भी बताना होगा कि एकत्र किए गये धन का उपयोग क्या दूसरे कार्यों में भी किये जाने की कोई संभावना है। साथ ही विज्ञापनों के जरिये उपभोक्ताओं को गुमराह नहीं करना चाहिए.