छात्रों और उनके अभिभावकों को लुभाने के लिए अक्सर शिक्षण संस्थाएं और प्लेटफॉर्म्स तरह-तरह के विज्ञापन देते हैं. इनमें से कई गुमराह करने वाले भी होते हैं. इनके झांसे में आकर छात्रों को नुकसान होता है. इसी पर लगाम लगाने के मकसद से भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) ने नई गाइडलाइन जारी की है. परिषद ने शैक्षणिक संस्थानों और अन्य प्लेटफॉर्मों के विज्ञापन के लिए अपने दिशानिर्देशों को अपडेट किया है. इसका मकसद शिक्षा क्षेत्र के लिए न्यायसंगत और सही सिद्धांतों को लागू करना है.
इस नई गाइडलाइन के बारे में उपभोक्ता मंत्रालय के सचिव, रोहित कुमार सिंह का कहना है, ASCI उन विभिन्न मुद्दों को देखते हैं, जो इस क्षेत्र को प्रभावित करते हैं और हम आशा करते हैं कि इंडस्ट्री इन नियमों का पालन करेगी. गुमराह करने वाले विज्ञापन भी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन है. ऐसे में लोगों की हिफाजत के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे.
सामने आई चौंकाने वाली रिपोर्ट
शिक्षा स्तर के गिरने पर परिषद ने एक चौंकाने वाली रिपोर्ट पेश की है, जिसके अनुसार शिक्षा जगत से जुड़े विज्ञापनों ने पिछले कुछ वर्षों से जमकर नियमों की अवहेलना की है. शिकायतों पर नजर डाले तो 2022-23 में कुल विज्ञापनों के करीब 13.8% विज्ञापन में एएससीआई के दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया गया है और नियमों की अनदेखी में शिक्षा जगत दूसरे नंबर पर है.
छात्रों की भलाई का रखना होगा ध्यान
एएससीआई के मौजूद नियमों के तहत एजुकेशनल संस्थाओं को अपने विज्ञापन में किए गए दावों को सही साबित करने के लिए प्रूफ देने की जरूरत होती है. नए अपडेट के तहत अब संस्थाओं को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि उनके विज्ञापन सचेत करने वाले हो. साथ ही इसमें छात्रों की मानसिक और शारीरिक भलाई पर भी विचार करना होगा.
इन निर्देशों का करना होगा पालन
1. एएससीआई ने संशोधित नियम के तहत ये भी निर्देश दिया है कि जो विश्वविद्यालय, कॉलेज, स्कूल, कोचिंग क्लासेस, एडटेक प्लेटफॉर्म और अन्य संस्थान को प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाते हैं वे किसी छात्र के असफल होने पर उसे उनके लिंग, या लुक की वजह से टारगेट न करें.
2. किसी भी विज्ञापन में संस्थान स्कूली छात्रों को पढ़ने के लिए नींद या भोजन से समझौता करते हुए नहीं दिखा सकता है, क्योंकि यह गलत आदतों को विकसित कर सकता है. ये उनकी सेहत के लिए हानिकारक होगा.
3. किसी विज्ञापन में स्टूडेंट के कॉम्प्टिीशन में पीछे छूट जाने का डर नहीं दिखा सकते. ये छात्रों या उनके माता-पिता में चिंता बढ़ सकती है.
4. विज्ञापन में किसी भी छात्र या छात्रा को दिखा सकते हैं, लेकिन इसमें कुछ विषय विशेष के लिए चुनिंदा जेंडर को नहीं दिखाया जा सकता है.
5. एडवरटाइमेंट में यह भी नहीं दिखा सकते हैं कि अच्छे नंबर हासिल करने वाले या पढ़ाकू स्टूडेंट्स हमेशा मोटे चश्मे ही पहनते हैं.