देश जैसे-जैसे विकसित होगा, खाना-पीना भी होगा सस्‍ता: MPC सदस्‍य

नीति के कृषि उत्पादकता बढ़ाने पर केंद्रित होने की जरूरत है, क्योंकि स्थिर कृषि कीमतें महंगाई से परे वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं.

RBI Bulletin

RBI Bulletin

RBI Bulletin

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के मौद्रिक नीति समिति (MPC) की सदस्य आशिमा गोयल ने गुरुवार को कहा कि भारत में उच्च खाद्य महंगाई की समस्या भविष्य में ‘कम गंभीर’ होगी, क्योंकि विभिन्‍न स्रोतों के साथ आधुनिक सप्‍लाई चेन विशेष खाद्य पदार्थों की कीमतों में अचानक बढ़ोतरी से निपटने में मदद कर सकती हैं.

भारत में घरेलू बजट में भोजन की हिस्सेदारी अधिक होने की बात पर जोर देते हुए गोयल ने कहा कि नीति के कृषि उत्पादकता बढ़ाने पर केंद्रित होने की जरूरत है, क्योंकि स्थिर कृषि कीमतें महंगाई से परे वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं.

उन्होंने पीटीआई से कहा कि जैसे-जैसे भारत विकसित होगा, इस समस्या (उच्च खाद्य महंगाई) की गंभीरता कई कारणों से कम होती जाएगी. विभिन्‍न स्रोतों वाली आधुनिक आपूर्ति शृंखलाएं विशेष वस्तुओं के दाम बढ़ने पर उनसे निपटने में मदद करेंगी.

गोयल ने कहा कि किसी ने भी उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में टमाटर या प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी के बारे में नहीं सुना है. उन्होंने कहा कि हमारे पास स्वाभाविक रूप से विविध भौगोलिक क्षेत्र हैं, विभिन्न क्षेत्रों से बेहतर एकीकृत बाजार जलवायु परिवर्तन से प्रेरित खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी को कम करने में मदद कर सकते हैं.

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मार्च में खुदरा महंगाई दर घटकर 5 महीने के निचले स्तर 4.85 फीसद पर आ गई, जिसका मुख्य कारण खाद्य पदार्थों की कीमतें कम होना रहा. खाद्य पदार्थों की महंगाई मार्च में 8.52 फीसद रही, जो फरवरी में 8.66 फीसद थी.

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल ही में कहा था कि महंगाई दर 2024-25 में घटकर 4.5 फीसद हो जाएगी. यह 2023-24 में 5.4 फीसद और 2022-23 में 6.7 फीसद थी.

Published - April 25, 2024, 12:40 IST