नई पेंशन योजना में गारंटीड पेंशन के लिए आंध्र प्रदेश का मॉडल आधार बन सकता है. गौरतलब है कि देशभर में मौजूदा समय में पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) को दोबारा लागू करने की मांग जोर पकड़ रही है. पूरे देश में पुरानी पेंशन योजना को लागू करने के लिए आंदोलन चल रहे हैं. राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पुरानी पेंशन योजना लागू हो चुकी है. कई राज्य अपने यहां आंध्र प्रदेश की तर्ज पर गारंटीड पेंशन योजना को लागू करने की योजना बना रहे हैं. यह पता चला है कि आंध्र प्रदेश के पेंशन मॉडल की तर्ज पर एक हाइब्रिड मॉडल को अब केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए भी नीति निर्माताओं के बीच अध्ध्यन जारी है.
बता दें कि आंध्र प्रदेश सरकार ने कुछ महीने पहले ही अपने कर्मचारियों के लिए एक विशेष पेंशन योजना को मंजूरी दी थी. इस योजना को गारंटीड पेंशन स्कीम (GPS) नाम दिया गया था. जीपीएस ने राज्य की मौजूदा पेंशन योजना कंट्रीब्यूटरी पेंशन स्कीम (सीपीएस) की जगह ले लिया है. जीपीएस के तहत कर्मचारी के रिटायरमेंट की समय की सैलरी की 50 फीसद रकम पेंशन के रूप में सुनिश्चित की जाती है. साथ ही इसमें हर साल महंगाई भत्ता जुड़ेगा. ऐसा माना जा रहा है कि आंध्र प्रदेश सरकार की यह पेंशन योजना अन्य राज्यों के लिए मॉडल साबित हो सकती है.
आंध्र प्रदेश गारंटीड पेंशन सिस्टम (एपीजीपीएस) अधिनियम, 2023 की 20 अक्टूबर को एक अध्यादेश के रूप में अधिसूचित किया गया. गारंटीड पेंशन योजना ऐसे कर्मचारियों पर लागू होती है जिनकी भर्ती 1 सितंबर 2004 को या उसके बाद हुई थी और जिनके वेतन और भत्ते राज्य की संचित निधि से दिए जाते हैं. साथ ही एपीजीपीएस की सदस्यता लेने का विकल्प चुना है.
नई पेंशन व्यवस्था सीपीएस पेंशन प्रणाली की तुलना में ज्यादा फायदेमंद है. सरकार के उदाहरण के अनुसार अगर किसी कर्मचारी की आखिरी सैलरी एक लाख रुपए है तो उसे पेंशन के रूप में 50,000 रुपए मिलेंगे. साथ ही उसे महंगाई भत्ता (DA) का भी लाभ मिलेगा. ऐसे में जब तक कर्मचारी 82 वर्ष की आयु का होगा तब तक उसकी पेंशन 1.10 लाख रुपए प्रतिमाह हो जाएगी. बता दें कि दिसंबर 2003 में पुरानी पेंशन योजना को तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने खत्म कर दिया था और उसके बाद राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) को लागू किया गया है. एनपीएस 1 अप्रैल, 2004 से प्रभावी है.
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