देशभर में सभी मेडिकल उपकरणों को नियंत्रित करने वाले नियम लागू करने की तैयारी है. भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI) की नए नियमों को एक अक्टूबर से लागू करने की योजना है. नई व्यवस्था के तहत मेडिकल उपकरणों की चारों श्रेणियां रेगुलेशन के दायरे में आ जाएंगी. इससे उपकरणों की गुणवत्ता नियंत्रण में मदद मिलेगी. फिलहाल केवल ए और बी दो ही श्रेणियों के चिकित्सा उपकरणों को रेगुलेट किया जा रहा है. सी और डी श्रेणियों के चिकित्सा उपकरण रेगुलेशन के दायरे से बाहर रखे गए हैं. ए और बी श्रेणी में आने वाले मेडिकल उपकरण कम जोखिम और मध्यम जोखिम वाले होते हैं जबकि सी और डी श्रेणी में आने वाले मेडिकल उपकरण उच्च और बहुत उच्च जोखिम वाले होते हैं.
क्या है स्थिति
भारत के औषधि महानियंत्रक राजीव सिंह रघुवंशी का कहना है कि मेडिकल उपकरण मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर एक उभरता हुआ सेक्टर है. महामारी के दौरान कई मेडिकल उत्पादों की मांग में बढ़ोतरी हुई और मेक इन इंडिया पर सरकार के जोर के कारण ये सेक्टर तेज़ी से विकास कर रहा है. सभी तरह के मेडिकल उपकरणों के रेगुलेशन के दायरे में आने से इनके उत्पादन में गुणवत्ता को सुनिश्चित किया जा सकेगा. वहीं देश के फार्मा उद्योग को मौजूदा 50 अरब डॉलर से बढ़ाकर 2028 तक 100 अरब डॉलर और 2030 तक 120 अरब डॉलर से अधिक करने के लक्ष्य रखा गया है. ऐसे में इस क्षेत्र में बन रहे अवसरों का लाभ उठाने के लिए उत्पादों की गुणवत्ता आवश्यक होगी.
बता दें केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चिकित्सा उपकरणों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए 26 अप्रैल को राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति, 2023 को मंजूरी दी थी. साल 2020 में भारत का चिकित्सा उपकरण बाजार करीब 11 अरब डॉलर था और इसकी वैश्विक बाजार में हिस्सेदारी 1.5 फीसदी हो जाने का अनुमान है.