भारत रुपए में विदेशी व्यापार को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा प्रयास कर रहा है. इसी के तहत सरकार SWIFT (सोसायटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशंस) के जैसे ही एक पेमेंट सिस्टम को लाने की योजना बना रही है. बता दें कि विदेशी व्यापार से जुड़े लेनदेन के लिए स्विफ्ट सिस्टम का उपयोग किया जाता है. भारत के द्वारा उठाया गया यह कदम भारतीय मुद्रा का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की उसकी योजना का हिस्सा है. भारत के नए सिस्टम से रुपए में द्विपक्षीय कारोबार को सेटल करने में मदद मिलेगी.
कमेटी में कई बैंकों के सदस्य शामिल
बैंकर्स की एक एक्सपर्ट कमेटी मौजूदा विकल्पों की तलाश कर रही है और अगस्त तक इकट्ठा की गई जानकारियों को सरकार से साझा किए जाने की उम्मीद है. भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया जैसे अन्य बैंकों से कमेटी के सदस्यों को चुना गया है.
एक बैंकर का कहना है कि ऐसा सुझाव सामने आया था कि हमारे पास विपक्षीय व्यापार समझौतों वाले देशों के साथ एक स्वतंत्र पेमेंट सिस्टम होना चाहिए. कमेटी इस सिस्टम का संचालन कैसे होगा और इसको लेकर क्या चुनौतियां सामने आएंगी इसको लेकर उपाय सुझाएगी. वहीं एक अन्य अधिकारी का कहना है कि कमेटी आरबीआई के मौजूदा प्लेटफॉर्म स्ट्रक्चर्ड फाइनेंशियल मैसेजिंग सिस्टम यानी SFMS पर भी गौर करेगी. उनका कहना है कि हमें यह देखना है कि मौजूदा सिस्टम को कैसे बढ़ा सकते हैं. SFMS को स्विफ्ट के तर्ज पर बनाया गया है और उसका इस्तेमाल बैंकों के भीतर और बैंकों में आपस में सुरक्षित कम्युनिकेशन के लिए किया जा सकता है.
सरकार की ओर से स्पेशल रुपया वोस्ट्रो अकाउंट्स (SVRA) का उपयोग करके कारोबार को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक समुदाय के साथ कार्यक्रम आयोजित करने के लिए बैंकों पर दबाव डाला जा रहा है. अब तक 22 देशों के 20 बैंकों ने 92 ऐसे अकाउंट्स खोले हैं, जिनमें बांग्लादेश, जर्मनी और रूस भी शामिल है.