घर का बजट संभालने से लेकर मल्टीनेशनल डील संभालने तक, महिलाएं हमेशा से ही सीधे तौर पर फाइनेंस मैनेज करने से जुड़ी रही हैं. हालांकि यहां सभी को बराबरी का मौका नहीं मिला. आज भी सिर्फ 50 फीसदी शहरी महिलाओं के पास इंश्योरेंस है जबकि 72 फीसदी पुरुषों ने कवर लिया है. IRDAI की 2019 की सालाना रिपोर्ट ये बताती है कि जीवन बीमा (Life Insurance) में वित्त वर्ष 2019 में पहला प्रीमियम भरने वालो में सिर्फ 37 फीसदी हिस्सा महिलाओं की ओर से था. जब महिलाओं ने अपनी वित्तीय कुशलता बढ़ा रही हैं और अपनी बचत को दिशा दे रही हैं, तो इसके साथ ही उन्हें सोच समझकर फाइनेंशियल प्लान बनाना चाहिए जिससे वे खुद की और अपने ऊपर निर्भर लोगों के लिए सुरक्षा प्लान जरूरी है जिससे किसी अनिश्चितता में अपने गाढ़ी कमाई को सुरक्षित रख सकें.
हर क्षेत्र की महिलाएं — भले कामकाजी हों या होममेकर, शहर में या गांव में – सभी के लिए जरूरी है कि वे इंश्योरेंस प्लान में निवेश करें और लंबी अवधि के लिए फाइनेंस आसान हो और रिटायरमेंट में सिक्योरिटी हो. नीचे दिए इंश्योरेंस प्रोडक्ट इन जरूरतों को पूरा करने में मदद करेंगे.
जीवन बीमा और फाइनेंशियल प्लानिंग महिलाओं के जीवन बीमा पर प्रीमियम कम रहता है क्योंकि रिस्क कम होने के साथ ही लाइफ एक्सपेक्टेंसी ज्यादा है. रोज बदलते इस वक्त में जब वर्कप्लेस पर विविधता की भागीदारी बढ़ रही है, तब कामकाजी महिलाओं की संख्या बढ़ी है और वे फाइनेंशियली इंडिपेंडेंट हो रही हैं. काम पर उनके पास बड़ी जिम्मेदारियां हैं और इसके साथ ही वे बच्चों की परवरिश में भी बड़ा योगदान दे रही हैं. गृहणियों के जीवन में भी फाइनेंशियल वैल्यू अहम है. जीवन बीमा (Life Insurance) परिवार को मुश्किल समय में मदद आता है.
कार इंश्योरेंस शहर में महिलाएं के पास कार होना आम है. होममेकर को भी बच्चों को कहीं ले जाना होता है, उनकी बेहतर परवरिश के लिए लगातार काम करते रहना होता है. गांवों में भी इसी तरह ज्यादा से ज्यादा महिलाएं ट्रैक्टर चला रही हैं. व्हीकल ओनरिशप बनाए रखने के लिए इंश्योरेंस लेना जरूरी है. महिला और पुरुषों के लिए कार इंश्योरेंस प्रीमियम की दरों में फर्क जरूर है, लेकिन किसी वित्तीय स्थिति में ये बड़े काम का होगा.
हेल्थ इंश्योरेंस महिलाओं की सेहत पर बार-बार दिए जोर के बावजूद महिलाएं अक्सर अपनी सेहत को नजरअंदाज करती हैं और ना के बराबर हेल्थ कवरेज रखती हैं. पिछली पीढ़ी के उलट आज हर उम्र की महिला को मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में बड़े खर्च का भार उठाने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेना जरूरी है. बदलती लाइफस्टाइल के साथ महिलाओं में बच्चों के जन्म से जुड़ी दिक्कतें और बीमारियां बढ़ी हैं. खासकर गांवों में जहां महिलाओं को सही न्यूट्रिशन और स्वच्छता नहीं मिलती. सभी महिलाओं को हेल्थ से जुड़ी दिक्कतों के वक्त फाइनेंशियल सुरक्षा के लिए हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) लेना जरूरी है.
वेल्थ और होम लोन के लिए इंश्योरेंस महिलाओं के पास अब वेल्थ है, वे एसेट में निवेश कर रही हैं, और संभलकर घर खरीदारी जैसे फैसले भी ले रही हैं. उन्हें टैक्स स्लैब में रियायत हासिल है और होम लोन पर सस्ते ब्याज दर भी. कुछ भारतीय राज्यों ने महिलाओं के नाम पर प्रॉपर्टी रजिस्टर कराने के लिए भी स्टैंप ड्यूटी कम रखी है. ज्यादा से ज्यादा महिलाएं होम लोन में हिस्सा ले रही हैं और को-बॉरोअर बन रही हैं. इन क्षेत्रों में आंकलन करते वक्त महिलाओं को ध्यान देना चाहिए कि वे किसी भी अनिश्चितता के लिए पर्याप्त कवरेज (Insurance Coverage) हो. संस्थाओं को भी महिलाओं पर केंद्रित फाइनेंशियल प्रोडक्ट लाने चाहिए ताकि सोशल इंक्लूजन हो सके.
(लेखिका इंडियाफर्स्ट लाइफ इंश्योरेंस कंपनी से हैं. कॉलम में व्यक्त किए गए विचार लेखक के हैं. लेख में दिए फैक्ट्स और विचार किसी भी तरह Money9.com के विचारों को नहीं दर्शाते.)
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