अब ये बात पक्के तौर पर कही जा सकती है कि केंद्र सरकार वैक्सीन्स की वक्त पर खरीदारी करने में नाकाम रही है. केंद्र सरकार ने महज एक महीने पहले वैक्सीन खरीदारी की नीति का विकेंद्रीकरण किया है. दुर्भाग्य से केवल कुछ राज्य ही इस चुनौती से उबर सके हैं.
इसके परिणामस्वरूप, कोविड से सबसे बुरी तरह से प्रभावित राज्यों के पास वैक्सीन्स नहीं हैं. दिल्ली भी इन्हीं में शामिल है. दिल्ली सरकार मार्केट से वैक्सीन खरीद नहीं सकी है. सरकारों को अपनी वैक्सीन ऑर्डर बुक के बारे में पारदर्शी होना पड़ेगा. महाराष्ट्र ने इस मामले में दूसरों से बढ़त हासिल कर ली है.
BMC (बृहंमुंबई म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन) के 50 लाख वैक्सीन्स खरीदने के लिए एक ग्लोबल एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EoI) निकालने के बाद ठाणे और नवी मुंबई की नगरपालिकाएं भी हरकत में आ गईं.
इन दोनों नगरपालिकाओं ने 15 मई को स्वतंत्र रूप से वैक्सीन खरीदने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी है. इसका मकसद तेजी के साथ लोगों को वैक्सीन लगाना है.
इससे पहले, तमिलनाडु, कर्नाटक, उड़ीसा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश भी वैक्सीन खरीदने के लिए टेंडर उतार चुके हैं.
केंद्र सरकार ने पिछले महीने एक उदार वैक्सीनेशन पॉलिसी का ऐलान किया था. इसके जरिए 1 मई से वैक्सीनेशन का तीसरा चरण शुरू किया गया है.
इस चरण में 18 साल से 44 साल की उम्र तक के लोगों को भी वैक्सीन लगाने की इजाजत दे दी गई है. साथ ही राज्यों को ये ताकत दी गई है कि वे सीधे वैक्सीन मैन्युफैक्चरर्स से इसकी खरीदारी कर सकें.
कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने केंद्र से मांग की थी कि उन्हें सीधे वैक्सीन खरीदने की इजाजत सरकार को देनी चाहिए और केंद्र को अपनी वैक्सीन नीति का विकेंद्रीकरण करना चाहिए.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को ऐलान किया है कि उन्हें राज्य में 18 से 44 साल की उम्र वालों का वैक्सीनेशन रोकना पड़ रहा है. उन्होंने केंद्र से तत्काल अतिरिक्त वैक्सीन्स जारी करने का अनुरोध किया है.
हालांकि, दिल्ली की वैक्सीन ऑर्डर बुक के स्टेटस के बारे में उन्होंने कुछ नहीं कहा है. दिल्ली सरकार ने 30 अप्रैल को ऐलान किया था कि उसने 3 लाख वैक्सीन डोज के लिए ऑर्डर दिया है.
वैक्सीन को लेकर हिचकिचाहट के चलते भारत को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है. ऐसे में हम वैक्सीन को लेकर राजनीति को बर्दाश्त करने की हालत में नहीं हैं.
इस मोर्चे पर पारदर्शिता की जरूरत है. राज्य के आधार पर ऑर्डर बुक और डिस्ट्रीब्यूशन टाइमलाइन को सार्वजनिक किया जाना चाहिए. इसी से लोगों का भरोसा बहाल हो सकेगा.
इस वायरस से जंग में वक्त की बड़ी अहमियत है और ये तेजी से निकलता जा रहा है.