वैक्सीनेशनः हर हाल में जिंदगियां बचाना जरूरी

वैक्सीनेशन के मोर्चे पर मांग और आपूर्ति का बड़ा अंतर नजर आ रहा है. इस अंतर को खत्म करने और वैक्सीन उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है.

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किसी भी बड़े प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए तीन चीजें जरूरी होती हैं. ये हैं प्लानिंग, प्रोसेसिंग और डिलीवरी. दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीनेशन मुहिम इन्हीं तीन मोर्चों पर नाकाम हो रही है.

बेहतर मैनेजमेंट के साथ हम अभी भी स्थिति को नियंत्रण में कर सकते हैं.

भारत को मांग का बेहतर अनुमान लगाना होगा. नागरिक अपने और अपने परिवार के लिए वैक्सीनेशन स्लॉट बुक करने में भारी मुश्किलों का सामना कर  रहे हैं.

साथ ही कई जगहों पर बड़ी तादाद में वैक्सीन उपलब्ध हैं लेकिन इन्हें लगवाने के लिए लोग नहीं आ रहे हैं. इस मांग और आपूर्ति के अंतर को खत्म करने और ज्यादा वैक्सीन्स तैयार करने की जरूरत है.

आर एस शर्मा को किसी भी दूसरे ब्यूरोक्रेट या मंत्री के मुकाबले टेक्नोलॉजी की ज्यादा समझ है. उनके कोविन पोर्टल को वैक्सीन की ज्यादा सर्च वाले पिनकोड्स का विश्लेषण करना चाहिए और अतिरिक्त सप्लाई को ऐसी जगहों पर भेजना चाहिए.

सरकार को इसके लिए सप्लाई चेन मॉडल बनाने में IIM के प्रोफेसर लगाने चाहिए. इसके बाद IIT के लोगों को लगाकर इसे ऑटोमैटिक रूप से चलाना चाहिए.

इससे एक तरफ भारत इनकी बर्बादी को रोक पाने में सफल होगा. दूसरी ओर, सप्लाई मजबूत होगी और जहां केस सबसे ज्यादा आ रहे हैं वहां पर वैक्सीनेशन की मुहिम तेज की जा सकेगी.

45 साल से ज्यादा उम्र के कई लोगों को अपनी दूसरी डोज के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. इसके अलावा, 18 साल से ज्यादा के लाखों लोग अभी तक वैक्सीनेशन के लिए अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे हैं.

भारत को उम्र के इस अंतर को भरना होगा. वैक्सीनेशन को हर किसी के लिए खोल देना होगा. अगर 45+ के लोग नहीं आ रहे हैं तो ये स्लॉट 18+ वाले लोगों को देने चाहिए.

वैश्विक स्तर पर 45+ उम्र के लोग ज्यादा खतरे में माने गए हैं. भारत भी इसमें अपवाद नहीं है. ऐसे में लोगों को वैक्सीन लगवाने से हिचकिचाना नहीं चाहिए. साथ ही वैक्सीन की एक भी बूंद बर्बाद नहीं होनी चाहिए.

सरकार के प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर प्रोफेसर के विजय राघवन ने तीसरी लहर की चेतावनी दी है. लेकिन, हमें ये मानना होगा कि हम इसके लिए तैयार नहीं हैं.

हमें इसके लिए एक बेहतर प्लान तैयार करना होगा. खासतौर पर वैक्सीनेशन की मुहिम तेजी करनी होगी.

ग्लोबल लेवल पर सर्टिफाइड वैक्सीन्स को मंजूरी देनी होगी. सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक के अलावा दूसरी कंपनियों की वैक्सीन भी मंगानी होंगी. 2022 में आत्मनिर्भर बनने के लिए हमें 2021 में जिंदा रहना होगा.

राज्यों को वैक्सीन की सप्लाई सुनिश्चित होनी चाहिए. कोविड की दूसरी लहर से मची तबाही ने हमें बताया है कि वक्त पर कोशिशें करना कितना जरूरी है.

Published - May 8, 2021, 02:26 IST