तकनीक में माहिर लोगों और Paytm समेत कुछ कंपनियों ने जो तरीका ढूंढ लिया है उसे लेकर सरकार को पहले से सजग रहना चाहिए था. इन्होंने वैक्सीन स्लॉट बुक करने का आसान तरीका निकाल लिया है.
GetJab.in और VaccinateMe.in और Paytm कोविड-19 वैक्सीन फाइंडर जैसे ग्रुप्स के लगाए गए बोट्स कोविन ऐप पर जाते हैं और मौजूद वैक्सीन स्लॉट्स के बारे में तत्काल ट्वीट करते हैं.
इन बोट्स के ट्विटर और टेलीग्राम हैंडल्स के फॉलोअर्स तुरंत ही कोवन या आरोग्य सेतु पर जाते हैं और अपने वैक्सीनेशन अपॉइंटमेंट बुक कर लेते हैं.
इन बोट्स की जरूरत और इनकी काबिलियत ऐसे लोगों की राह में रोड़ा साबित हो रही है जो कि वैक्सीन लगाने के लिए स्लॉट्स तलाश रहे हैं. इनके लिए ऐसा कर पाना तकरीबन नामुमकिन हो गया है.
भारत सरकार ने दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीनेशन मुहिम शुरू की है, लेकिन वैक्सीन मैन्युफैक्चरर्स को पर्याप्त ऑर्डर नहीं दिए गए हैं. साथ ही 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए जल्दबाजी में वैक्सीनेशन को खोलना भी इनकी डिमांड में हुई अचानक बढ़ोतरी की वजह बन गया है. अब वैक्सीन की सप्लाई बेहद कम पड़ रही है.
रिसर्च और डेटा प्लेटफॉर्म Our World In Data के मुताबिक, 11 मई 2021 को 13.385 करोड़ भारत अपने नागरिकों को वैक्सीन लगाने के मामले में दूसरे नंबर पर है. इस मामले में अमरीका पहले पायदान पर है. 15.212 करोड़ डोज के साथ अमरीका अपनी 45 फीसदी आबादी को वैक्सीन की कम से कम एक डोज लगा चुका है. दूसरी ओर, भारत इस लिहाज से 9.7 फीसदी आबादी को ही वैक्सीन लगा पाया है.
निश्चित तौर पर वैक्सीनेशन में तेजी और टेक्नोलॉजी का इसमें इस्तेमाल देश के लिए बढ़िया है, लेकिन बोट्स इसे एकतरफा खेल बना रहे हैं.
कुछ लोगों के लिए बोट्स महामारी में तकनीक का बेहतरीन इस्तेमाल हो सकते हैं, लेकिन अगर ये एक नॉर्म बन गया तो जिनकी तकनीक तक सीमित पहुंच है वे क्या करेंगे.
तकनीक से वंचित लोग कहीं वैक्सीन से भी महरूम न रह जाएं.
बोट्स का स्वागत है, लेकिन इनका इस्तेमाल सीमित वैक्सीन सप्लाई में उथल-पुथल पैदा करने के लिए नहीं होना चाहिए.