कोविड महामारी से अर्थव्यवस्था मुश्किल दौर से गुजर रही है. नौकरियां कम हो रही हैं और युवा वर्कफोर्स काम की तलाश में बेचैन है. स्टार्टअप्स ने महामारी में बेहतरीन भूमिका निभाई है और बड़ी कंपनियों के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन किया है.
इन स्टार्टअप्स ने कस्टमर्स को जरूरी सर्विसेज मुहैया कराई हैं और ये रोजगार भी पैदा कर रहे हैं. DPIIT के मुताबिक, महज 180 दिनों में 10,000 स्टार्टअप्स की नींव पड़ी है. इससे बड़ी संख्या में नौकरियां भी पैदा हुई हैं.
DPIIT के मुताबिक, 48,093 स्टार्टअप्स के जरिए अब तक 5,49,842 को नौकरी मिली है. यानी, प्रति स्टार्टअप औसत 11 लोगों को रोजगार मिला.
2020-21 के दौरान मान्यता स्टार्टअप्स के जरिए 1.7 लाख नौकरियों के मौके मिले हैं.
स्टार्टअप्स का उभार देश में फल-फूल रही आंत्रप्रेन्योरशिप की भावना का संकेत देता है. इसने ऐसे युवाओं को एक नई दिशा दी है जो कि अपनी रेगुलर जॉब से संतुष्ट नहीं हैं और जिनके अंदर कुछ बड़ा करने का जज्बा है. इन युवाओं के पास आइडिया है और इस आइडिया को सफल बनाने के इरादे और स्किल भी हैं.
ऐसे युवाओं की सफलता की कहानी हर युवा को उत्साहित करती है और लोगों को सशक्त बनाती है.
लेकिन, इन्हें सपोर्ट की जरूरत है. DPIIT ने कहा है कि वह कंपनियों को उभरने और उन्हें पैर जमाने में मदद दे रहा है ताकि ये नौकरियां पैदा कर सकें.
DPIIT ने कहा है कि उनके जरिए स्टार्टअप्स (Startups) को ज्यादा से ज्यादा मदद देने की कोशिश जारी है. इसके लिए फंड ऑफ फंड्स स्कीम के जरिए 10,000 करोड़ का आउटले किया गया है.
वहीं, स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (SISFS) के जरिए कुल 945 करोड़ रुपये की मदद दी जाएगी. इसके अलावा, ग्लोबल वेंचर कैपिटल समिट, इंटरनेशनल समिट और स्टार्अप अवॉर्ड्स भी दिए जा रहे हैं.
सरकार को एक स्टार्टअप ईकोसिस्टम तैयार करना चाहिए और इन्हें हर जरूरी मदद मुहैया करानी चाहिए ताकि देश में तेजी से नई नौकरियां पैदा हो सकें.