कोविड महामारी से अर्थव्यवस्था बुरे हाल में पहुंच गई है. ऐसे में केंद्र को हाशिये पर मौजूद तबके के लिए एक ‘यूनिवर्सल बेसिक इनकम’ का ऐलान करना चाहिए.
कोविड की तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है, अभी देश कोविड की दूसरी लहर से जूझ ही रहा है. इससे एक बड़ी चिंता वंचित तबके को लेकर पैदा हो रही है. इस वर्ग के लिए मौजूदा हालात में जीवनयापन के लिए हालात बेहद मुश्किल बने हुए हैं.
एक तय आमदनी से नीचे वाले सभी लोगों को यूनिवर्सल इनकम मुहैया कराई जानी चाहिए और इसे बिना किसी भी भेदभाव के सभी लोगों को दिया जाना चाहिए. समाज का सबसे गरीब तबके को मौजूदा वक्त जितनी मदद की जरूरत पहले शायद कभी नहीं थी.
सरकार ने पिछले साल वंचित लोगों को 500 रुपये की मदद दी थी, लेकिन अब भुगतान का मुख्य लक्ष्य महिलाएं होनी चाहिए. इससे सामाजिक न्याय के साथ ही लैंगिक समानता भी पैदा होगी.
सरकार किसानों, वरिष्ठ नागरिकों, विधवाओं और दिव्यांगों को वित्तीय मदद देती है. साथ ही पिछले साल सरकार ने गरीबों को मुफ्त राशन के साथ नकदी भी दी थी. इस साल भी सरकार ने मई और जून के महीने में गरीबों को मुफ्त राशन देने का ऐलान किया है.
सभी तरह की वित्तीय मदद वाली योजनाओं को इस तरह की एक योजना में मिलाया जा सकता है. सार्वजनिक व्यय के विभिन्न घटकों को फिर से तय किया जा सकता है. मसलन, बिजली पर सब्सिडी या मुफ्त एलपीजी सिलेंडर जैसी मदद योजनाओं को एकसाथ लाया जा सकता है ताकि सरकारी खजाने पर ज्यादा दबाव न पड़े.
यूनिवर्सल बेसिक इनकम के कई अन्य फायदे भी होंगे. इससे तेजी से कंज्यूमर खर्च बढ़ेगा. खासतौर पर देश के ग्रामीण इलाकों में यह चीज नजर आ सकती है.
इससे कंज्यूमर गुड्स और खाने-पीने की चीजें बनाने वाली कंपनियों को फायदा होगा और वे नए निवेश के लिए कदम आगे बढ़ाएंगी.