भारतीय शेयर बाजार (stock markets) सफलता की एक नई इबारत लिख रहे हैं. सोमवार को निफ्टी ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गया. ऐसा तब हुआ जबकि गुजरे वित्त वर्ष की चौथी तिमाही के लिए GDP के उम्मीद से बेहतर आंकड़े आए भी नहीं थे.
24 मई को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर मौजूद कंपनियों का मार्केट कैप बढ़कर 3 लाख करोड़ डॉलर पर पहुंच गया है जो कि देश की GDP का 1.12 गुना है.
शेयर बाजारों (stock markets) में ये तेजी हर लिहाज से शानदार है. 1990 में सेंसेक्स 1,000 के लेवल पर था जो कि अब बढ़कर 50,000 पर पहुंच गया है और इस तरह से इसमें 14.9% की CAGR से तेजी आई है.
शायद यही वजह है कि एक तबके को अब ये उम्मीद दिखाई दे रही है कि BSE अगले 10 साल में 2 लाख के आंकड़े को पार कर जाएगा. इस जादुई पड़ाव पर पहुंचने के लिए BSE को 15% CAGR से ग्रोथ करनी होगी.
ग्रोथ की रफ्तार से उत्साहित BSE के चीफ आशीष कुमार चौहान ने तो ये तक कहा है कि अगले 5 साल में मार्केट कैपिटलाइजेशन के 5 लाख करोड़ डॉलर पर पहुंचने का लक्ष्य भी हासिल किया जा सकता है. उनका तर्क है कि भारतीय स्टॉक मार्केट (stock markets) में जो हो रहा है वो मोटे तौर पर भारतीय कॉरपोरेट सेक्टर की कहानी का ही प्रतिबिंब है.
मार्केट की सफलता की इस बेमिसाल कहानी के पीछे शायद सबसे बड़ी वजह रिटेल इनवेस्टर्स की बड़ी तादाद में भागीदारी है. इन छोटे निवेशकों ने संस्थागत, डोमेस्टिक और फॉरेन इनवेस्टवर्स को मंच से हटा दिया है और इस जगह पर अब खुद काबिज हो गए हैं.
कोविड महमामारी के दौरान 2020 में एक्टिव इनवेस्टर्स के खातों में 1.04 करोड़ का इजाफा हुआ है. इससे भी ज्यादा अहम ये है कि बड़ी तादाद में मिलेनियल्स शेयरों में पैसा लगा रहे हैं और इनमें से कइयों ने तो अभी नौकरी भी शुरू नहीं की है.
इससे निवेश की एक नई संस्कृति का जन्म हुआ है. निवेशकों की इस पीढ़ी में जोखिम लेने की ज्यादा क्षमता है. अगर ये केवल कोविड की वजह से नहीं हुआ है तो बाजार (stock markets) का दायरा और व्यापक होगा.
स्टॉक मार्केट की कहानी भारतीय सपने के सच होने की तस्वीर दिखाती है.