लालच बुरी बला है. किसे पता नहीं है? बचपन से ही बार बार सुनने को मिलता है. सुनते सब हैं, लेकिन समझते कितने हैं? और जो सुन भी लेते हैं, समझ भी लेते हैं वो भी बहुत लंबे समय तक इस रास्ते पर टिक नहीं पाते. खासकर वो लोग जो शेयर बाजार (Stock Markets) से दिल लगा बैठे हैं. खुद को रोकने की लाख कोशिशों के बावजूद आखिरकार वो लालच में फंस ही जाते हैं. सबसे बड़ी तकलीफ की बात यह है कि जो लोग शुरू में ही लालच दिखा देते हैं वो तो फिर भी कुछ कमा लेते हैं लेकिन फंसते हैं वो लोग जो लंबे समय तक खुद को रोकते रोकते आखिर में आसपास के लोगों की देखादेखी शेयर बाजार में कूद पड़ते हैं. और ऐसा अक्सर उस वक्त होता है जब बाजार और चढ़ने की हालत में नहीं होता और उसके बाद किसी भी दिन वो धड़ाम से गिरता है.
फंसता कौन है? जो करना था इनकार मगर इकरार कर बैठता है. यानी तेजी के आखिरी दौर में बाजार में कूद पड़ता है. शेयर बाजार (Stock Markets) और देश दुनिया की अर्थव्यवस्था की जानकारी रखने वाले विद्वान काफी समय से सलाह दे रहे हैं कि बाजार में जो तेजी आ रही है वो खतरनाक है. इसके बावजूद पिछले साल भर में भारत के शेयर बाजार में जो उछाल आया है उसने सारे एक्सपर्ट्स के ज्ञान और बुद्धि पर सवाल खड़े कर दिए हैं. 23 मार्च को लॉकडाउन का एलान हुआ और बाजार में तेज गिरावट आई. लेकिन वो दिन था और आज का दिन, बाजार एक के बाद एक छलांग लगाता ही जा रहा है. पिछले दिनों कुछ गिरावट आई, लेकिन उसके बाद फिर जोरदार तेजी जारी है. और ऐसा उस दौर में हुआ जब देश लॉकडाउन में था, काम धंधे ठप हो गए, न जाने कितने लाख लोग बेरोजगार हो गए और कोरोना का डर हमारे दिल दिमाग पर छाया हुआ था.
पिछले साल क्यों आई तेजी?
मशहूर इन्वेस्टर और लेखक रुचिर शर्मा ने चेताया है कि यह साल पिछले साल की परछाईं साबित हो सकता है. यानी जैसे पिछले साल सारी मुसीबतों के बावजूद बाजार चढ़ता ही जा रहा था, अब कोरोना संकट खत्म होने के बाद बाजार में तेज गिरावट देखने को मिल सकती है. वजह भी बताते हैं. उनका कहना है कि पिछले साल खासकर अमेरिका और यूरोप से लेकर कोरिया और भारत तक के लोग घरों में बैठे थे. कमाई बंद थी लेकिन सरकार से मदद मिल रही थी. खर्च करने को भी ज्यादा रास्ते थे नहीं तो ज्यादातर लोग कुछ बचा रहे थे और बहुत से लोग खाली वक्त का इस्तेमाल भी करने लगे यानी शेयर बाजार (Stock Markets) में ट्रेडिंग करने लगे. भारत में भी लाखों नए डीमैट अकाउंट खुले हैं. 2109 के मुकाबले पैंतालीस प्रतिशत ज्यादा.
गिरावट की आशंका क्यों?
अभी अमेरिका में फिर एक बड़ा राहत पैकेज पास हो गया है. इसलिए बाजार में दोबारा तेजी के झोंके आने लगे हैं. साथ ही ये उत्साह भी है कि कोरोना तो अब जा रहा है इसलिए अच्छे दिन आनेवाले हैं. विदेशी बाजारों से आ रहा पैसा तेजी को लगातार हवा दे रहा है. लेकिन अब कोई भी घटना वो बहाना बन सकती है जो बाजार को हिला दे. रिजर्व बैंक पहले भी बाजार की तेजी पर कई बार चेतावनी दे चुका है कि इसका असलियत से कोई रिश्ता नहीं दिखता. अब उसने फिर कहा है कि इकोनॉमी में जो रिकवरी आ रही है वो काफी उथली है और शायद टिक नहीं पाएगी. सीएमआईई (CMIE) के आंकड़े रिकवरी और रोजगार दोनों मोर्चों पर चिंता दिखा रहे हैं. और अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने का अर्थ है कि वहां बाजार (Stock Markets) से पैसा निकलेगा यानी गिरावट होगी. ऐसे में वहां के फंड और बड़े निवेशक भारत से पैसा निकालने का रास्ता अपनाएंगे इसमें क्या शक हो सकता है? ऐसा कब होगा, कहना मुश्किल है. इसमें लंबा वक्त भी लग सकता है. लेकिन जब होगा तब आप सर पकड़कर न बैठें यानी आप उस वक्त खुद को फंसा हुआ न पाएं इसके लिए ज़रूरी है कि अपना पोर्टफोलियो संभालकर रखें. जो पैसा आप लंबे समय तक लगा सकते हैं वही बाजार में छोड़ें, और जिस पैसे की जरूरत पड़नेवाली है उसे सुरक्षित ठिकानों पर ही रखें.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, कॉलम में व्यक्त किए गए विचार लेखक के हैं. लेख में दिए फैक्ट्स और विचार किसी भी तरह Money9.com के विचारों को नहीं दर्शाते.)
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