स्मॉल सेविंग्स स्कीम: वित्त वर्ष 2021-22 के लिए जारी रहे मौजूदा ब्याज दर

Small Savings Scheme: ब्याज दरें रिटेल महंगाई के करीब हैं जिससे असल में जितनी कमाई होती है वो घट कर बेहद कम रह जाती है.

market capitalisation, BSE, NSE, m-cap, retail investor, sensex, nifty

रातभर की चिंता के बाद सुबह राहत की खबर मिली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के स्मॉल सेविंग्स स्कीम (Small Savings Scheme) पर ब्याज घटाने का फैसला वापस लेने से लोग जरूर खुश हुए होंगे. बेरोजगारी, सैलरी में कटौती और छोटे व्यवसायों को पहुंची चोट के बीच कई परिवार छोटी बचत योजनाओं से हो रही आय पर निर्भर हैं. बढ़ते वित्तीय घाटे और खर्च घटाने की जरूरत के बावजूद सरकार को पूरे वित्त वर्ष 2021-22 के लिए मौजूदा दरें बरकरार रखनी चाहिए क्योंकि इकोनॉमी डबल डिजिट ग्रोथ हासिल कर सकती है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार की सुबह मिडिल-क्लास परिवारों पर स्मॉल सेविंग्स स्कीम (Small Savings Scheme) की ब्याज दरों में बड़ी कटौती से छाए काले बादल हटा दिए. वित्त मंत्री ने छोटी बचत योजनाओं पर इंट्रस्ट रेट घटाने के फैसले को वापस लेने का ऐलान किया और कहा कि पहले से चल रहे ब्याज दर ही जारी रहेंगे. हालांकि, उन्हें ये सुनिश्चित करना चाहिए कि ये दरें पूरे वित्त वर्ष 2021-22 के लिए जारी रहे. भारतीय इकोनॉमी महामारी के संकट से उभरने की कोशिश में है. इस महामारी ने छोटे कारोबारियों को चोट पहुंचाई है, लाखों लोगों की नौकरियां गई और कइयों की सैलरी घटी.

हालांकि केंद्र पर भी एक ओर बड़े खर्चों का बोझ है, आय घटी है और कर्ज भी चुकाने हैं. लेकिन ऐसे में भी सरकार को नागरिकों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों पर ध्यान देना होगा, खासकर ऐसे लोग जो स्मॉल सेविंग्स स्कीम के ब्याज से होने वाली आय पर निर्भर हैं. साथ ही ऐसी बचत योजनाएं छोटी-छोटी बचत करने वाले डिपॉजिटर्स के लिए हैं. वैसे भी ये ब्याज दरें रिटेल महंगाई के करीब हैं जिससे असल में जितनी कमाई होती है वो घट कर बेहद कम रह जाती है.

Small Savings Scheme: सरकार को खर्च घटाने के लिए ब्याज दरों में कटौती का आसान तरीका अपनाने की इच्छा से बचना चाहिए और आय बढ़ाने के लिए ग्रोथ कैसे तेज होगी इसकी योजना बनानी होगी. इससे जिन लोगों को ब्याज से हो रही इस आय की जरूरत है उनकी आय बनी रहेगी. साथ ही ग्रोथ पर फोकस से जरूरतमंद लोगों को रोजगार के मौके मिलेंगे, आय दोबारा बढ़ सकेंगी.

लगभग सभी भारतीय और ग्लोबल एजेंसियों ने भारतीय इकोनॉमी की ग्रोथ 10-12 फीसदी रहने का अनुमान दिया है. ये भी सच है कि केंद्र सरकार का वित्त वर्ष 2021-22 के लिए वित्तीय घाटा 6.8 फीसदी रहने का अनुमान है. पर ये वित्त वर्ष 2020-21 के 9.5 फीसदी से कम ही है. अगर रिकवरी के इस दौर में एक साल तक ब्याज दरों में कटौती को रोक दिया जाता है तो इससे बड़े वर्ग का फायदा होगा. वित्तीय स्थिरता के लिए थोड़ा और इंतजार किया जा सकता है.

Published - April 1, 2021, 02:47 IST