SIP Vs Lumpsum: जय और वीरू को कौन नहीं जानता… वही शोले वाले. फिल्म में जय ने गब्बर को पकड़ने और वीरू को बचाने के लिए अपनी जान तक दे दी थी. लेकिन, मुझे फिल्म की ये एंडिंग पसंद नहीं है. हो भी कैसे.. सदी के महानायक अमिताभ बच्चन को फिल्म में मरते हुए देखना किसे अच्छा लगता? इसलिए, मेरे शोले के वर्जन में जय जिंदा रहेगा. और वीरू के साथ अपनी भविष्य की प्लानिंग भी करेगा.
कमिंग बैक टू द प्लॉट- ठाकुर ने गब्बर को जिंदा पकड़ने के लिए जय और वीरू को 20,000 रुपए बतौर इनाम देने का वादा किया था. साथ ही ये भी कि पुलिस ने गब्बर को पकड़ने के लिए जो पचास हजार का इनाम रखा है वो भी जय-वीरू को ही मिलेगा. तो जय और वीरू को मिलते हैं इनाम के पूरा 70,000 रुपए. आप मौजूदा समय के लिए इस रकम को देखकर सोच सकते हैं कि इसमें तेरा क्या होगा कालिया? लेकिन, कालिया तो बचा नहीं, सिर्फ बचे जय और वीरू. अब यहां से शुरू होता है हमारी शोले का लेटेस्ट वर्जन.. इनाम मिलने के बाद दोनों ने पैसे को आधा-आधा बांटा. मतलब दोनों की जेब में आए 35,000-35,000 रुपए.
वीरू के कुछ पैसे बसंती के साथ शादी में खर्च हुए. घर बसाया तो घर भी खरीदना ज़रूरी था, घर का सामान खरीदा और शादी का खर्चा. अब हाथ में बचे थे केवल 10,000 रुपए. धन्नो की सवारी से खर्चा पानी नहीं निकलता इसलिए वीरू ने नौकरी शुरू की. इनाम के बचे 10,000 रुपए से वीरू ने इंवेस्ट किया. वीरू ने 10,000 रुपए को सिस्टैमैटिक इंवेस्टमेंट का प्लान (SIP Vs Lumpsum) के जरिए ऐसे स्कीम में डाला जहां सालाना 12% का रिटर्न मिल रहा था. 12 साल के लिए उसने यह इन्वेस्टमेंट किया. वहीं, जय ने पूरे 35000 रुपए एक साथ इंवेस्ट करने का फैसला लिया. जय ने हर महीने के इंवेस्टमेंट के चक्कर से बचने के लिए एक साथ 35,000 रुपए यानि लंपसंम इंवेस्ट (Lumpsum) किया.
12 साल बाद वीरू की स्ट्रैटजी में वीरू का टोटल इन्वेस्टमेंट रहा 14 लाख 40 हजार रुपए. इस पर उन्हें रिटर्न मिला 17 लाख 82 हजार 522 रुपए. मतलब वीरू को 12 साल बाद कुल कॉर्पस के रूप में 32 लाख 22 हजार 522 रुपए मिले. सीधे तौर पर देखें तो 12 साल में 17 लाख रुपए से ज्यादा की कमाई सिर्फ ब्याज से हुई. वहीं, जय ने एक बार में ही पूरा पैसा निवेश किया था. 12 साल बाद उसका इन्वेस्टमेंट 35 हजार रुपए ही रहा. इस पर उन्हें जो रिटर्न मिला वो 1 लाख 1 हजार 359 रुपए था. मतलब कुल कॉर्पस 1 लाख 36 हजार 259 रुपए. रिटर्न के मामले में वीरू पाजी के छोटे निवेश ने बाज़ी मार ली.
क्यों काम की वीरू की स्ट्रैटजी? – छोटे रकम से शुरुआत की और अपने निवेश को नियमित रखा. – हर महीने की SIP में कंपाउडिंग ब्याज का फायदा मिला. – SIP ने समय के साथ-साथ महंगाई को मात देने में मदद की.
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SIP Vs Lumpsum: जय और वीरू के शुरुआती इंवेस्टमेंट करने के तरीके को देखकर तो यही लगता है कि जय ने मोटी रकम लगाई और वीरू ने छोटी. 12 साल में कोई भी ऐसा महीना नहीं था, जब वीरू के इवेस्टमेंट की राशि जय की एकमुश्त रकम से ज्यादा हो. लेकिन, कौन ज्यादा जमा कर रहा था? ज़ाहिर तौर जय का इन्वेस्टमेंट एकमुश्त था. इसलिए शुरुआत में उसकी रकम बड़ी लगी, लेकिन जब अगर 35,000 रुपए को 12 महीनों में बांट दें तो दिखता है कि हर महीने जय केवल 2196 रुपए जमा कर रहा था और वो भी सिर्फ 1 साल. वहीं, वीरू का इन्वेस्मेंट नियमित था और 12 साल के लिए था. इसलिए रिटर्न के मामले में वीरू पाजी आगे निकल गए.
अगर आपको भी लगता है कि ज्यादा बचा नहीं पा रहे हैं तो छोटी रकम को निवेश करेके क्या मिलेगा तो वीरू पाजी की स्ट्रेटेजी याद कर लीजिएगा. और अंत में यही कह सकती हूं कि इंवेस्टमेंट छोटा या बड़ा नहीं होता बस इंवेस्टमेंट होना चाहिए और आप इवेस्टमेंट करने से अपने आप को इसलिए न रोकें क्योंकि आपके निवेश का बजट छोटा है.
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