उत्तर प्रदेश, देश का सबसे बड़ा प्रदेश है. मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की अयोध्या, कृष्ण की मथुरा और शिव की काशी, इसी राज्य में है. तीर्थराज प्रयाग भी इसी राज्य में है, फिर उत्तर प्रदेश की गिनती बीमारी राज्यों में क्यों होती है. यह प्रश्न अकसर पूछा जाता रहा है. क्यों उत्तर प्रदेश में आर्थिक तरक्की का पहिया तेजी से नहीं घूम पाया और रुक सा गया. ऐसा भी नहीं है कि उत्तर प्रदेश में देश भर से लोग इन स्थलों पर आते ही नहीं हैं, फिर भी यहां आर्थिक तरक्की क्यों उस तेजी से नहीं हो पाई, जिस तेजी से होनी चाहिए थी. इस सबका जवाब अब आना शुरू हो गया है. और, भले ही पहली नजर में देखने पर यह लगता है कि आखिर धार्मिक प्रश्नों से आर्थिक उत्तर कैसे हासिल किए जा सकते हैं, लेकिन यह स्पष्ट तौर पर दिख रहा है. भगवान व्यंकटेश के मंदिर तिरुपति की संपन्नता और अयोध्या में श्रीरामललाविराजमान (Shri Ram Lalla Virajman) के खाते की हालत से इसका आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है और इससे यह भी समझ आ जाता है कि आखिर क्यों उत्तर प्रदेश दरिद्र, बीमारू प्रदेशों का हिस्सा बना रहा, लेकिन अब अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर बनने की शुरुआत के साथ ही उत्तर प्रदेश की आर्थिक तरक्की का पहिया तेजी से घूमने के लक्षण प्रबल होते दिख रहे हैं. प्रयागराज में भव्य कुम्भ में मोदी और योगी सरकार ने जो निवेश किया, उससे एक 120,000 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ जबकि, सरकार का कुल निवेश 4200 करोड़ रुपये का था और वह 4200 करोड़ रुपये ज़्यादातर ऐसे स्थाई बुनियादी कामों पर खर्च हुआ, जिससे प्रयागराज के लोगों को हमेशा के लिए सुविधा मिल गई, उसमें शानदार हवाई अड्डा भी शामिल था. उत्तर प्रदेश की धार्मिक-सांस्कृतिक विरासत को सहेजकर आगे बढ़ाने से होने वाली समृद्धि का यह शानदार उदाहरण है. अब अयोध्या में बनने वाला भव्य श्रीराम मंदिर उत्तर प्रदेश की आर्थिक समृद्धि की धुरी बनता दिख रहा है.
मार्च 2017 में जब उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी और योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने अयोध्या में भव्य दीपावली मनाने का एलान किया. सरयू घाट सहित पूरी अयोध्या को जगमगा दिया गया. भारत के आराध्य राम जी की अयोध्या जगमगाई तो हर भक्त प्रसन्न हो गया, लेकिन उस समय भी एक वर्ग ऐसा था, जिसने सवाल पूछना शुरू कर दिया था कि क्या अयोध्या में भव्य दीपावली मनाने से उत्तर प्रदेश की ग़रीबी कम हो जाएगी. क्या अयोध्या में दीपावली मनाने से लगातार पिछड़ते जा रहे उत्तर प्रदेश का आर्थिक विकास इस तरह से हो पाएगा कि उत्तर प्रदेश, देश का सबसे बड़ा राज्य होने के साथ ही देश के विकसित राज्यों की पांत में भी आगे खड़ा हो सके. भले ही यह प्रश्न उसी वर्ग की ओर से पूछे जा रहे थे, जिन लोगों ने बार बार यह प्रश्न पूछा कि देश के आराध्य राम के जन्मस्थल पर ही मंदिर बनने से क्या हो जाएगा, लेकिन यह प्रश्न महत्वपूर्ण है, इसलिए इसका उत्तर देश को अवश्य मिलना चाहिए. और, अभी नींव भराई का काम शुरू होते ही इन महत्वपूर्ण प्रश्नों का उत्तर मिलना भी शुरू हो गया है.
मार्च 2017 में जब उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई थी तो उस समय तक अयोध्या विवादों से मुक्त नहीं हो पाया था और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के लगभग स्पष्ट निर्णय के बावजूद सर्वोच्च न्यायालय में यह मामला अटका हुआ था और विवादित होने की वजह से श्रीरामललाविराजमान (Shri Ram Lalla Virajman) लगभग कारागार जैसी स्थिति में भक्तों को दर्शन दे रहे थे और श्रीरामललाविराजमान के दर्शन करने के लिए कई स्तरों की सुरक्षा व्यवस्था पार करके, श्रापित सी अयोध्या में भक्तों को जाना पड़ता था. इस स्थिति की वजह से हनुमानगढ़ी में लंबी कतार लगी रहती थी और श्रीरामललाविराजमान के दरवाज़े के बाहर से ही भक्त शीश नवाकर चले जाते थे. अयोध्या के सरयू घाट पर आरती भी नहीं होती थी और आरती के लिए सरयू घाट आरती समिति को प्रतिदिन आरती सामग्री का प्रबंध करना कठिन होता था. जिला प्रशासन ने 1500 रुपये प्रतिदिन सरयू आरती के लिए प्रावधान कर दिया था. भगवान श्रीराम के जन्मस्थान, 3000 से ज्यादा हिन्दू मन्दिर, सरयू घाट वाले अयोध्या की वस्तुस्थिति यही थी. इस सबके बावजूद प्रतिवर्ष क़रीब 60 लाख लोग दर्शन करने अयोध्या पहुँचते थे. श्रीरामललाविराजमान के चढ़ावे वाले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के खाते में प्रतिमान बमुश्किल 5-8 लाख रुपये ही जमा हो पाते थे.
अयोध्या में कुल जमा 3-4 होटल थे और उनको भी पूरा भरने के लिए किसी विशेष अवसर का इंतज़ार करना पड़ता था, लेकिन 5 अगस्त 2020 को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूमि पूजन के लिए अयोध्या जाने वाले थे तो अयोध्या के किसी भी होटल में कमरा ख़ाली नहीं था. धर्मशालाएँ और मंदिरों के कमरे भी भरे थे और यह सब तब था, जब चाइनीज़ वायरस की वजह से अतिनियंत्रित व्यवस्था में भूमिपूजन का कार्यक्रम हो रहा थाय. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉक्टर मोहनराव भागवत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विधि विधान से भूमिपूजन किया. भूमिपूजन के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की प्रयागराज में हुई बैठक में तय हुआ कि भव्य श्रीराम मंदिर के श्रीराम समर्पण निधि का कार्यक्रम चलाया जाएगा. कुल 1100 करोड़ रुपये एकत्रित करने का लक्ष्य रखा गया और क़रीब डेढ़ महीने के इस अभियान की समाप्ति के पश्चात श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव चंपत राय ने बताया कि लक्ष्य के दोगुने से ज़्यादा 3000 करोड़ रुपये की समर्पण राशि का संग्रह हो चुका है और अभी ऑडिट के बाद यह रक़म ज़्यादा भी हो सकती है. जिन भगवान श्रीरामललाविराजमान (Shri Ram Lalla Virajman) के खाते में महीने के 5-8 लाख रुपये से ज़्यादा की रक़म नहीं आ पाती थी, उन्हीं श्रीरामललाविराजमान के मंदिर के लिए डेढ़ महीने से भी कम समय में 3000 करोड़ रुपये से ज़्यादा की रक़म आ चुकी है.
श्रीराम मंदिर की भव्यता में कमी न रह जाए, इसके लिए श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास ने बगल की जमीन खरीद ली, जिससे अब मंदिर की ज़मीन 107 एकड़ की हो गई है. जिस अयोध्या पहुँचने के लिए साधन खोजना पड़ रहा था, उस अयोध्या में 2 शानदार बस अड्डे तैयार हो चुके हैं. योगी आदित्यनाथ के शासन में अयोध्या तीन तरफ से शानदार राजमार्ग से जुड़ चुका है. योगी सरकार ने सरयू किनारे भगवान राम की 725 फीट ऊंची प्रतिमा बनाने का निर्णय लिया है. केंद्र की मोदी सरकार अयोध्या को देश और दुनिया के महत्वपूर्ण स्थानों से रेलवे और हवाई मार्ग से जोड़ने की योजना को मूर्त रूप दे रही है. राम मंदिर के आकार का रेलवे स्टेशन तेज़ी से तैयार हो रहा है और इसे राम वनगमन से जुड़े हर स्थान से जोड़ा जाएगा.अयोध्या में 285 एकड़ में भव्य श्रीराम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बनेगा. इसके लिए 640 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने अयोध्या में कर्नाटक के लोगों के लिए यात्री निवास बनाने का निर्णय लिया है और इसके लिए इस बार के राज्य के बजट में 10 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. उत्तर प्रदेश की सरकार यात्री निवास बनाने के लिए कर्नाटक सरकार को 5 एकड़ ज़मीन देगी. देश की हर राज्य सरकार अयोध्या जाने वाले अपने राज्य के श्रद्धालुओं के लिए भवन बनाना चाहती है.देश-दुनिया के हिन्दू साधु-संत अयोध्या में अपना स्थान चाह रहे हैं. 2023-24 में जब भव्य श्रीराम मंदिर बन जाएगा तो प्रतिदिन एक लाख श्रद्धालुओं को अयोध्या आने की उम्मीद की जा रही है. इन श्रद्धालुओं को रहने खाने की व्यवस्था देने के लिए हर बड़ी होटल श्रृंखला, अयोध्या में होटल के लिए भूमि देख रही है. वीरान सी रहने वाली अयोध्या भूमि पूजन के एक वर्ष के भीतर ही चमकने लगी है.
अयोध्या में भव्य राम मंदिर (Shri Ram Lalla Virajman) बनने से, दीपावली मनाने से सरयू घाट पर प्रतिदिन आरती करने से, अयोध्या को जगमगाने से अयोध्या और उत्तर प्रदेश के लोगों की गरीबी खत्म होगी क्या या राज्य की आर्थिक विकास की रफ्तार, देश के विकसित राज्यों के मुकाबले पहुंच पाएगी क्या, इस महत्वपूर्ण प्रश्न का उत्तर अयोध्या से आना शुरू हो गया है. अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर बनते चमत्कारिक विकास की कहानी भी तेज़ी से तैयार होती दिख रही है, लेकिन इस आर्थिक विकास की कहानी के मूल में कोई आर्थिक योजना नहीं बल्कि भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर है, यह बात हमें हमेशा ध्यान में रखना होगा और यह श्रीराम मंदिर कैसे बन पाया, यह भी हमें ध्यान में रखना होगा. भारत की समृद्ध धार्मिक,, सांस्कृतिक विरासत को नकार आर्थिक समृद्धि हासिल करना संभव नहीं है.