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कोविड-स्पेसफिक हेल्‍थ बीमा पॉलिसी लें या नहीं ?

कोविड महामारी के कारण मार्च, 2020 में लगा 8 महीने का लॉकडाउन मौजूदा पीढ़ी को और इस शताब्दी के शेष 80 वर्षों तक आने वाली पीढ़ियों को याद रहेगा.

  • Team Money9
  • Last Updated : February 6, 2021, 20:21 IST
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कोविड महामारी के कारण मार्च, 2020 में लगा 8 महीने का लॉकडाउन मौजूदा पीढ़ी को और इस शताब्दी के शेष 80 वर्षों तक आने वाली पीढ़ियों को याद रहेगा. लोगों और परिवारों में अचानक बीमारी और उसके भयानक लक्षणों, अस्पताल भर्ती होकर अलग-थलग पड़े रहने और प्राइवेट अस्पतालों के बेहिसाब बिल का भय बुरी तरह छा गया था. जुलाई, 2020 में भारतीय बीमा नियामक प्राधिकरण ‘इरडा‘ ने तुरंत बीमा कंपनियों को कोविड स्पेसिफिक बीमा योजना (covid policy)जारी करने की अनुमति प्रदान कर दी. बीमा कंपनियों ने सैंड बॉक्स नियमोंं के तहत दो कोरोना स्पेसफिक पॉलिसी-कोरोना कवच(covid policy) और कोरोना रक्षक शुरू कर भी दी. जिन लोगों और परिवारों ने कोई बीमा नहीं करा रखा था वे फौरन इन पॉलिसियों को लेने के लिए भागे. अनुमानों के अनुसार 128 लोगों ने कोविड-स्पेसिफिक पॉलिसियांं ली, जिनसे 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा का प्रीमियम प्राप्त हुआ. जिन बीमा कंपनियों ने ये पॉलिसियांं जारी की उनमे एक्को,आदित्य बिरला हेल्थ इंश्‍योरेंस, एचडीएफसी, एग्रो, आईसीआईसीआई , लम्बार्ड, भारतीय एक्सा, जो डिजिट, केयर आदि प्रमुख हैं. कोरोना कवच के तहत 18 से 65 वर्ष के आयु वर्ग के लिए साढ़े तीन , साढ़े छ और साढ़े नौ महीनों की 50,000 रुपए से 500000 रुपए तक का कोविड के कारण अस्पताल में भर्ती होने का कवर शामिल है जिसमे 15 दिन की प्रतीक्षा अवधि भी शामिल है. इसमें अस्पताल में भर्ती होने से पहले के 15 दिन,अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद के 30 दिन और 14 दिन तक घर में देखभाल का खर्च (जब उपचार अस्पताल के बजाये घर में ही किया जाये) शामिल होता है. कोविड के कारण होने वाले अन्य रोग भी इसमें कवर होते हैं. इसी तरह ‘‘कोविड रक्षक‘‘ लाभ के आधार पर 250000 रुपए तक की व्यक्तिगत बीमा पाॅलिसी है. जिसमे काम से काम 72 घंटे अस्पताल में भर्ती रहने की शर्त रहती है. पहले भी कुछ बीमा कंपनियों ने मलेरिया जैसे रोगों के जोखिम की भरपाई के लिए स्पेसिफिक हेल्थ पॉलिसियां जारी की थीं पर अनुभव से पता चला की ये पालिसी खास कामयाब नहीं रही, वजह यह थी की मलेरिया वर्ष में 25 दिन के लिए ही आता है और पाॅॅलिसी पूूरे वर्ष के लिए है, हो सकता है की बाद में यह पाॅॅलिसी 3 महीने की अवधि के लिए जारी की जाये. आइये हम देखें की कोविड स्पेसिफिक पॉलिसी और कोविड को कवर करने वाली सामान्य स्वस्थ बीमा पाॅलिसी में से कौन सी पाॅलिसी कितनी अच्छी और फायदेमंद है या कितनी खराब है वित्त्य प्लानिंग की दृष्टि से व्यक्ति को दीर्घावधि योजनाएं बनाते समय स्वस्थ सीमा बेहद बहुत जरूरी है. कांप्रिहेंसिव (व्यापक) स्वस्थ बीमा पाॅलिसी के अंतर्गत अचानक कोविड के कारण अस्पताल में भर्ती होना और अन्य बड़ी खतरनाक बीमारियों के सभी खतरे कवर होते हैं. यह पाॅलिसी व्यक्ति अपनी इच्छा और जरूरत के मुताबिक 1,2, या 3 वर्ष के लिए ले सकता है. इस पॉलिसी में कुछ शर्तें के साथ पहले से मौजूद बीमारियां भी कवर की जा सकती हैं. ऐसी पॉलिसियां ले चुके लोगों से बातचीत में हमने पाया की अधिकांश लोगों की राय में कांप्रिहेंसिव पॉलिसी के सभी फायदों को देखते हुए यह किफायती रहती है. इसे समझने के लिए हम किस 36 वर्षीया स्वस्थ व्यक्ति द्वारा अपनाये जाने वाले विकल्पों पर आने वाली लागतों की तूलना करते हैं. साढ़े नौ महीने की अधिकतम अवधी के लिए 5 लाख रूपए की ‘कोरोना कवच‘ पॉलिसी के लिए लगभग 4 हजार रुपए खर्च आएगा। प्रोजेक्शन करा के लेने पर 12 महीने की पाॅलिसी पर 5400 रुपये देने होंगे. इसकी तुलना में 5 लाख रुप की कांप्रिहेंसिव स्वस्थ बीमा पॉलिसी लेने पर 9500 भरने होंगे जिसमे कोविड के साथ ही अनेक अन्य बीमारियां भी कवर हो जाएंंगी. इसी प्रकार बीमा कंपनियांं डेंगू जैसे रोगों के लिए भी रोग-स्पेसिफिक पाॅलिसी दे रहीं हैं ताकि किसी बीमारी के फैलने की आशंका होने पर उस रोग विशेष की जोखिम की भरपाई की जा सके. रोग स्पेसिफिक पॉलिसी लेने से लोगों में स्वस्थ बीमा करा लेने जैसा विश्वास भर जाता है. वास्तविकता में आप चाहें अन्य रोगों के मामले में पर्याप्त रूप से कवर न हों. भारत में कई कारणों से ज्यादातर लोग इलाज के लिए प्राइवेट अस्पतालों पर निर्भर है. चिकित्सा व्यय में 18 से 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है और ऐसे में प्राइवेट चिकित्सा देखभाल जरूरी है तो पर खर्चीला बहुत ज्यादा है. ताजा आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार जेब-खर्च के मामले में भारत दुनिया का सबसे ज्यादा खर्च वाले देशों में से है और इसलिए विनाशकारी खर्च और गरीबी भी बहुत ज्यादा है. सर्वेक्षण में यह भी बताया गया है कि भारत में करीब 65 प्रतिशत मौतें गैर-संचारी रोगों के कारण होती हैं इस्केमिक हार्ट रोग, सीओपीडी और स्ट्रोक (हृदयघात) प्रमुख हैं. इससे हम देखते हैं की सामान हालत में हर व्यक्ति के लिए रोग स्पेसिफिक पाॅलिसी लेने के बजाये कांप्रिहेंसिव स्वस्थ बीमा पॉलिसी लेना निहायत जरूरी है. पर्याप्त राशि की मूल स्वस्थ बीमा की पाॅलिसी लेने से हमें न केवल लम्बे समय का स्वस्थ कवर मिलता है बल्कि मन की शांति भी प्राप्त होती है. हम इस पर भी सहमत है की मौजूदा स्वस्थ बीमा के साथ ही विशेष पालिसी भी टॉप-अप रूप में ली जा सकती हैं. अल्पावधि योजनाएं अल्पावधि लाभ उपलब्ध करा सकती हैं पर स्वस्थ के मामले में कोई ढील या लापरवाही नहीं बरती जा सकती हैं, इसलिए जीवन भर की स्वस्थ बीमा कराना जरूरी है.

Disclaimer: कॉलम में व्यक्त किए गए विचार लेखक के हैं. लेख में दिए फैक्ट्स और विचार किसी भी तरह Money9.com के विचारों को नहीं दर्शाते.

Published - February 6, 2021, 08:21 IST

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