स्क्रैपेज पॉलिसी: ऑटो सेक्टर और ऑटो लोन पर पड़ेगा कितना असर?

Scrappage Policy: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि ऐसी 1 करोड़ गाड़ियां हैं जो स्क्रैपेज में जा सकती हैं.

  • Team Money9
  • Updated Date - February 11, 2021, 06:50 IST
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अलंग में दुनिया का सबसे बडा शिप-ब्रेकिंग यार्ड है और रोलिंग-मिल्स भी है, जो स्क्रैप कारोबार से जुडे है.

अलंग में दुनिया का सबसे बडा शिप-ब्रेकिंग यार्ड है और रोलिंग-मिल्स भी है, जो स्क्रैप कारोबार से जुडे है.

व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी (Scrappage Policy) पर आने वाले नए नियमों से ऑटो सेक्टर को हिला कर रख देगी. हाल ही में सरकार ने पुरानी गाड़ियों के लिए नए नियमों का एलान किया है. निजी गाड़ियां जो 20 साल से ज्यादा पुरानी हैं और 15 साल से ज्यादा पुरानी कमर्शियल गाड़ियों को एमिशन टेस्ट से गुजरना होगा. जो गाड़ियां ये फिटनेस टेस्ट पास नहीं करतीं उनके मालिकों पर जुर्माना लगेगा. दूसरी ओर 8 साल से ज्यादा पुरानी गाड़ी अगर टेस्ट में पास भी हो जाती है तो उन पर रोड टैक्स लगेगा. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि ऐसी 1 करोड़ गाड़ियां हैं जो स्क्रैपेज में जा सकती हैं. इसका ऑटो इंडस्ट्री और ऑटो लोन पर क्या असर होगा?

नई कारों की डिमांड बढ़ेगी
पॉलिसी (Scrappage Policy) लागू होने पर नई कारों के लिए तेज डिमांड दिखेगी क्योंकि पुरानी गाडियां या तो स्क्रैप होंगी या फिर जब्त. इससे ऑटो लोन में भी तेजी आएगी. फिलहाल ब्याज दरें ऐतिहासिक निचले स्तरों पर हैं इससे नए खरीदार सस्ते दर पर लोन ले पाएंगे. छोटे शहरों में पहली बार और दूसरी बार गाड़ी खरीदने वालों की होड़ होगी. ऑटो लोन की सबसे ज्यादा डिमांड टॉप शहरों से आती हैं, लेकिन नॉन-मेट्रो शहरों में लोन डिमांड ज्यादा तेजी से बढ़ती है.

नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां (NBFCs) ज्यादा कर्ज दे पाएंगी

भारत की NBFCs एक मुश्किल दौर से गुजर रही हैं. क्रेडिट पॉलिसी से लेंडिंग में धीमापन आया है. छोटे कर्जदारों और इंडस्ट्री दोनों के लिए NBFCs अहम भूमिका निभाती हैं. हमें उम्मीद है कि भविष्य में ऑटो सेक्टर में NBFCs ज्यादा कर्ज बांट पाएंगी. इसके संकेत भारतीय रिजर्व बैंक के एक हाल के ऐलान से भी मिलते हैं. RBI ने ऐलान किया है कि NBFCs ऑटो मैन्यूफैक्चरिंग जैसे प्रायोरिटी सेक्टर में कर्ज बांटने के लिए फ्लोटिंग रेपो रेट पर 3 साल के लिए कर्ज ले पाएंगी. अब तक ये रेपो रेट से जुड़े ये लोन सिर्फ बैंकों के लिए उपलब्ध थे. यही वजह है कि अब RBI से NBFCs भी कम लागत वाले क्रेडिट ले पाईंगी और इससे ऑटो इंडस्ट्री और गाड़ियां खरीदने के लिए फाइनेंस को फायदा होगा.

पुरानी गाड़ियों की डिमांड घटेगी
गाड़ियों के उम्र की महत्ता अब बढ़ जाएगी जिससे पुरानी कारों को खरीदने वालों की संख्या घटेगी. पुरानी कारों की लिस्टिंग पर एक नजर डालें तो पता चलेगा कि 10-15 साल से ज्यादा की पुरानी गाड़ियां – खास तौर पर महंगी वाली, भी मौजूद हैं. ये मानते हुए कि इन पुरानी कारों पर नए चार्ज लगेंगे, ये गाड़ियां कम आकर्षक हो जाएंगी. अगर ऐसा होता है तो पुरानी कारों का मार्केट घट जाएगा.

किराये की ओर बढ़ेगा रुझान
नई गाड़ियां खरीदने पर इन्सेंटिव मिलने और पुरानी गाड़ियों पर पेनाल्टी लगने से समय-समय पर अपग्रेड करने की जरूरत होगी. इससे गाड़ियों को किराये पर लेने की ओर रुझान बढ़ेगा. नई गाड़ियों को सीमित समय के लिए किराये पर लेकर लौटा देने वालों की संख्या बढ़ेगी – इंश्योरेंस, मेन्टेनेंस और टैक्स से जुड़ी कोई झंझट नहीं. पर इसे बढ़ावा मिले इसके लिए जरूरी है कि गाड़ियों को किराये पर लेना सस्ता हो ताकि ये फायदे साफ-साफ दिखाई दें.

ऑटो सेक्टर का प्रदर्शन अक्सर भारत की पूरे इकोनॉमिक हाल का संकेत देता है. उम्मीद है कि स्क्रैपेज पॉलिसी (Scrappage Policy) से सेंटिमेंट सुधरेंगे.

लेखक बैंक बाजार (BankBazaar.com) के CEO हैं. 

Disclaimer: कॉलम में व्यक्त किए गए विचार लेखक के हैं. लेख में दिए फैक्ट्स और विचार किसी भी तरह Money9.com के विचारों को नहीं दर्शाते.

Published - February 11, 2021, 06:48 IST