सोशल मीडिया पर ऑस्ट्रेलिया की जेनेल की कहानी देखी. अब पता नही कि ये सच है या झूठ क्योंकि सोशल मीडिया में जब भी कोई खबर वायरल होती है. दो दिन बाद पता चलता है कि वो फेक खबर थी. जेनेल की कहानी फेक है या ट्रू लेकिन है बड़ी दिलचस्प. जेनेल बता रही हैं कि उनकी एक छोटी सी आदत ने उनकी बचत (Savings) लाखों में कर दी. मुझे तो जेनेल का आइडिया एकदम हिट लगा.
मीडिया रिपोर्ट्स में एक शॉपिंग बिल में दिल बनी हुई तस्वीर के साथ जेनेल का एक पोस्ट शेयर किया जा रहा है. उस तस्वीर में 27 डॉलर पर जेनेल ने दिल बनाया है. जेनेल बता रही हैं कि ऐसे छोटे-छोटे अमाउंट को बचाकर उन्होंने बड़ी सेविंग (Savings) की. पिछले पूरे साल जेनेल ने अपनी हर ग्रॉसरी शॉपिंग में दुकान से मिले इस डिस्काउंट (Discount) को अलग से सेव किया. पूरे साल बचत करते हुए साल के अंत में वो इस रकम से 2500 डॉलर (1.42 लाख) बचा पाई. जेनेल की क्रिसमस शॉपिंग में ये पैसे बोनस साबित हुए. इस साल भी जनवरी से लेकर अभी तक वो करीब 800 डॉलर बचा चुकी हैं.
जेनेल की ये कहानी झूठ है या सच हमें पैसों को बचाने की एक सिंपल ट्रिक तो जरूर सिखा रही है. छोटी-छोटी बचत (Savings) जब हम करते हैं तो उसे नज़रअंदाज़ कर देते हैं, लेकिन जेनेल ने उस बचत को स्ट्रिमलाइन किया और बड़ी बचत कर पाई.
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किताबों में लिखी गई बातों को जेनेल ने सच कर दिखाया. जॉर्ज एस क्लासन की मशहूर किताब The Richest Man in Babylon का संदेश है कि आप अपनी कमाई से अपने आप को सबसे पहले पे करें. ये आप कैसे कर सकते हैं? पैसे बचाकर और उसे ऐसी जगह रखकर (इंवेस्ट) कि वो आपको पै-बैक करे. जेनेल ने छोटी बचत के जरिए अपने आप को क्रिसमस बोनस दिया.
मेरे पंसदीदा पॉडकास्टर और लेखक डेविड बाक की किताब The Latte Factor- हमें कहती है कि रोज़ाना के छोटे-छोटे खर्चे अगर सिलसिलेवार तरीके से बचाएं जाए तो एक बड़ी बचत आप कर सकते हैं. डेविड बाक की किताब में किम रोज़ कॉफी, मफिन और स्नैक्स पर करीब 10 डॉलर खर्च कर रही थी और हर दिन के इस खर्च को बचाकर वो महीने में 200 डॉलर बचा पाई.
इसीलिए जेनेल की कहानी एक फेक पोस्ट भी है तो हमें एक अच्छी बात सीखा रही है. पिछले दिनों मुझे गुड़गांव जाना था. मैंने भी झट से कैब बुक किया और नौएडा से 1100 रुपए में अपने डेस्टिनेशन पर पहुंची. लौटते वक्त मैंने वही सफर मेट्रो से तय किया. 160 रुपए में घर पहुंच गई. बीच में मुझे मेट्रो की लाइन बदलनी पड़ी और स्टेशन से घर के लिए रिक्शा भी लेना पड़ा फिर भी इतने पैसे बच गए कि मेरे दो हफ्ते के सब्ज़ी, फल, दूध और ब्रेड का खर्चा निकल जाएगा. तब मुझे अफसोस हुआ कि मैंने जाते वक्त भी मेट्रो क्यों नहीं ली? तो जहां बचत की जा सकती है वहां ज़रूर कीजिए, क्योंकि ये छोटी बचत (Small Savings) आपके बटुए के सेहत के लिए अच्छी है.