Repo Rate- बैंक बाजार के CEO आदिल शेट्टी के मुताबिक, RBI की रेपो दर पर होम लोन मिलना ग्राहकों के लिए एक जीत है. मनी9 से खास बातचीत में उन्होंने कहा रेपो रेट की खासियत इसमें है कि हर तीन महीने में RBI Repo rate दर में कटौती (संशोधन) करता है, जिससे लोन का रेट तय होता है.”
फिक्स्ड या फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट?
फिक्स्ड या फ्लोटिंग होम लोन में चयन करना अब कोई दुविधा का विषय नहीं रह गया है. फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट लोन में ब्याज की दर पांच साल के लिए एक समान रहती है. पांच साल के बाद, बैंक इस दर में बदलाव करते हैं.
शेट्टी कहते हैं कि “जब आप फिक्स्ड और फ्लोट रेट की बहस में हैं तो; सैंद्धांतिक रूप से फिक्स्ड आपको निश्चित लोन रेट की गारंटी देता है, जबकि फ्लोटिंग रेट्स ज्यादा आकर्षक होते हैं.”
क्या रेपो रेट में बदलाव आपकी EMI पर असर डालता है?
नहीं. जबकि Repo rate कम होने से होम लोन की ब्याज दर कम हो जाएगी, लेकिन यह EMI को कम नहीं करेगा. हालांकि, लोन की अवधि कम हो जाती है. यह प्रक्रिया ऑटोमेटिड है और ग्राहक को इसके आवेदन के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं होती है.
शेट्टी ने बताया कि “आपको ईमेल के जरिए ये जानकारी मिल जाएगी कि आपके लोन की दर को घटा दिया गया है. बैंक आपकी EMI में कोई बदलाव नहीं करेगा. लेकिन रेपो रेट कम होने पर भी आप उतनी ही EMI दे रहे हैं तो आपके लोन की अवधि कम हो जाएगी.”
मौजूदा ग्राहक रिफाइनेंस कर सकते हैं
अगर होम लोन चल रहा है तो ग्राहक के पास विकल्प है कि वो नई दरों में बदलाव कर सकता है. हालांकि इसमें लागत शामिल होती है. लेकिन इससे पहले आपको कैलकुलेशन की जरूरत है कि क्या आपको वाकई दरों में बदलाव से कुछ फायदा हो रहा है?
पहले ऑफर हुई ब्याज दर और EMI में होने वाली बचत की जांच करें. बैंक प्रोसेसिंग फीस के बाद अगर आपकी EMI में बड़ा बदलाव होता दिखता है, तो इसे बदलवाना बेहतर विकल्प साबित होगा.
(लेखक बैंक बाजार के डॉट कॉम के सीईओ हैं.)
Disclaimer: कॉलम में व्यक्त किए गए विचार लेखक के हैं. लेख में दिए फैक्ट्स और विचार किसी भी तरह Money9.com के विचारों को नहीं दर्शाते.