कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने भारत पर गहरा प्रभाव किया है लेकिन देश का कैपिटल मार्केट पूरे जोश में हैं. शेयर बाजार में चौतरफा तेजी देखने को मिल रही है.
कल के सेशन की मुनाफावसूली को अलग रखें, तो शेयर बाजार में चौतरफा तेजी है. बाजार रिकॉर्ड ऊंचाई छू रहे हैं, म्यूचुअल फंड में निवेश बेहतरीन रहा है और मार्केट कैप-जीडीपी रेश्यो दशक के उच्चतम स्तर पर हैं.
म्यूचुअल फंड में मई 2021 में 9235 करोड़ रुपये का निवेश आया है. विदेशी और घरेलू संस्थागत निवेशकों की ओर से खरीदारी जारी है जो एक पॉजिटिव सेंटिमेंट दिखाता है. 3 ट्रिलियन डॉलर पर भार का मार्केट कैप-जीडीपी रेश्यो 98 फीसदी पर है जो दशक का उच्चतम है. जबकि, लंबी अवधि का औसत ये 76 फीसदी रहा है.
ये सभी भरोसा कायम करते हैं बशर्ते इकोनॉमी के फंडामेंटल मजबूत हों.
हफ्तों के लॉकडाउन और आर्थिक गतिविधियों में आई गिरावट से भारत को महंगा साबित हो रहा है. रिजर्व बैंक ने ग्रोथ अनुमान 10.5 फीसदी से घटाकर 9.5 फीसदी कर दी है. पिछले साल के कम बेस को देखें तो ये बहुत अच्छा नहीं है.
इंफ्रा, हेल्थकेयर पर खर्च और उत्पादन क्षमता बढ़ाने को प्राथमिकता देनी होगी. गाड़ियों की बिक्री में गिरावट रही है. पेट्रोल-डीजल की कीमतें मध्यम वर्ग की जेब पर असर डाल रही हैं. ब्याज दरें घटी हैं और महंगाई 5.1 फीसदी रहने का अनुमान है.
बढ़ती बेरोजगारी के साथ कम ब्याज दरें और ऊंची महंगाई दोहरी चोट करते हैं. बुल रन जारी रखने के लिए भारत की अर्थव्यवस्था में ग्रोथ जरूरी है. बेरोजगारी दर हफ्ते दर हफ्ते डबल डिजिट में बना हुआ है.
नौकरियां नहीं होंगी तो खपत नहीं बढ़ेंगी. बिना खपत, कोई ग्रोथ नहीं होगी.
अगर भारत की GDP फ्लैट रहती है तो ये बुल रन एक बुलबुला बनकर फूट जाएगा. ग्रोथ के बिना बुल रन सिर्फ एक बुलबुला है जो कभी भी फूट कर निवेशकों के करोड़ों का नुकसान कर सकता है.
बाजार के सेंटिमेंट आज पॉजिटिव हैं और उम्मीदें हैं कि भारत अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती से बाहर निकल रहा है. बुल्स पर भरोसा दिखाने वाले निवेश कायम रखना चाहते हैं. उन्हें भारत की रिकवरी की आस है.
सरकार को चाहिए कि रियल ग्रोथ इंफ्रा के विकास, हेल्थकेयर पर खर्च, प्राइवेट सेक्टर में नौकरियों के मौके और मैन्युफैक्चरिंग क्षमता बढ़ाने के लिए नीतियां बनानी चाहिए. 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लिए नए तरीके से प्लानिंग की जरूरत है.
तब तक, कम जोखिम क्षमता वाले रिटेल निवेशकों को अर्थव्यवस्था पर बारीकी से नजर रखनी चाहिए. वे चाहे तो थोड़ा मुनाफा वसूल सकते हैं. लेकिन लंबा इंतजार करना नुकसानदेह जरूर साबित हो सकता है.
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