RBI के रडार पर 1000 गैरकानूनी मोबाइल लेंडिंग ऐप्स

ऑनलाइन कर्ज बांटने वाले ऐप्स की समीक्षा की प्रक्रिया चल रही है जिससे कानूनी दायरे में काम कर रहे और अनियंत्रित मोबाइल ऐप्स को अलग-अलग किया जा सके

  • Team Money9
  • Updated Date - January 30, 2021, 07:27 IST
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RBI, Picture Courtesy: PTI

RBI, Picture Courtesy: PTI

Lending Apps : डिजिटल लेंडिंग गतिविधियों की जांच के लिए गठन किए गए भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) के वर्किंग ग्रुप ने 1000 ऐसे गैरकानूनी लेंडिंग मोबाइल ऐप्स की पहचान की है, जो बेबस ग्राहकों को लुभाने में लगे हैं जिन्हें तुरंत कैश की जरूरत है.

वर्किंग ग्रुप के एक नजदीकी अधिकारी के मुताबिक, अभी तक ग्रुप के पास ये जानकारी मौजूद नहीं है कि भारत में कितने मोबाइल-ऐप आधारित लेंडिंग कंपनियां एक्टिव हैं. ऐसा भी है संभव है कि एक ही कंपनी कई ऐप्स ऑपरेट कर रही हो. ऑनलाइन कर्ज बांटने वाले ऐप्स की समीक्षा की प्रक्रिया चल रही है जिससे कानूनी दायरे में काम कर रहे और अनियंत्रित मोबाइल ऐप्स को अलग-अलग किया जा सके.

मार्केट में तेजी से मोबाइल लेंडिंग ऐप्स (Lending Apps) की आई भरमार से बैंकिंग रेगुलेटर भी हैरान है. वो अब भी इन ऐप्स के जरिए बांटे गए लोन की कुल रकम की जानकारी को लेकर अंधेरे में हैं. साथ ही RBI ने गैरकानूनी ऐप्स को कई ऐप स्टोर्स से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

हाल ही में पुलिस की ढेरों FIR से अवैध ऐप्स की कार्य प्रणाली उजागर हुई है जो शेल कंपनियों के नेटवर्क के जरिए बड़ी रकम मार्केट में डालते थे. ये जरूरतमंदो को बिना कुछ गिरवी रखे तुरंत छोटे लोन मुहैया कराते थे लेकिन ग्राहक के फोन का लोकेशन डाटा और कॉन्टैक्ट लिस्ट की अनुमति ले लेते थे. कुछ ऐप्स ने ग्राहकों के आधार की भी कॉपी मांगी थी.

सूत्रों का कहना है कि RBI के सामने इस नए उभरते मार्केट के इनोवोशन को छेड़े बिना रेगुलेट करने का बड़ा जिम्मा है. एक अधिकारी के मुताबिक “वर्किंग ग्रुप को साफ कहा गया है कि इनोवेशन को चोट ना पहुंचे पर अवैध प्लेयर्स को इससे दूर रखा जाए. डिजिटल पेमेंट सिस्टम UPI बेस्ड इन ऐप्स का मार्केट बड़ा है.”

मुंबई बेस्ड एक कंसल्टेंट का कहना है कि अप्रैल 2020 में लॉकडाउन की वजह से हजारों लोगों के नौकरी गंवाने से भारत में इंस्टेंट ऑनलाइन लोन का बाजार गर्म है. उनके मुताबिक, “इनकी डिमांड तब बढ़ी जब लोगों से उनकी नियमित आय का जरिया छूट गया. ये हैरानी की बात है कि ये गतिविधियां कई महीनों तक RBI के रडार पर नहीं आए.”उन्होंने कहा कि ये पहले से संपन्न क्रेडिट कार्ड मार्केट के समानांतर ही काम करता है.

ऐसा माना जा रहा है कि रेगुलेटर की नजर में कुछ प्लेयर्स में मायबैंक, वनहोप, कैशबी, कैशालो, रुपीफैक्टर, ओकेकैश, रुपीबाजार, पैसालोन, एमरुपी, फ्लिप कैश, आईरुपी, एंट कैश, रुपीबॉक्स, जीरोकैश, कैशकाउ, मनीमोर, कोआला कैश, स्टार लोन, गेट-अ-कैश, यूरुपी और योयो कैश शामिल हैं।

रिकवरी के क्रूर तरीकों को लेकर कई खबरों के बाद RBI ने 23 दिसंबर 2020 को एक एडवाइजरी जारी की. रिजर्व बैंक ने ग्राहकों से भी ऐसे ऐप्स को किसी भी कानूनी एजेंसी को रिपोर्ट या ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने के लिए कहा है.

लेकिन कुछ ही समय बाद, ऑनलाइन कर्जदारों के ब्लैकमेल करने से परेशान होकर आत्महत्या के कई मामले सामने आने से RBI को आखिरकार मामले की गंभीरता की जांच करने के लिए 13 जनवरी 2021 को वर्किंग ग्रुप का गठन करना पड़ा.

19 जनवरी को वर्किंग ग्रुप की पहली बैठक हुई और अपने पहले कदम में वे ऐसे अवैध मोबाइल ऐप्स की पहचान कर रहे हैं. RBI के एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर जयंत कुमार दाश इस वर्किंग ग्रुप के अध्यक्ष हैं. ग्रुप 3 महीनों में अपनी जांच रिपोर्ट सौंपेगा.

RBI विनियमित NBFC के तहत काम करने वाले ऐप कैश-ई (CASHe) की ऑपरेशंस हेड पुष्पिंदर कौर का कहना है, “हमें खुशी है कि RBI ने अवैध ऐप्स को हटाने के लिए पहल की है। भविष्य इन्हीं फिनटेक और ऑनलाइन कर्जदारों का है.”

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं.

Disclaimer: कॉलम में व्यक्त किए गए विचार लेखक के हैं. लेख में दिए फैक्ट्स और विचार किसी भी तरह Money9.com के विचारों को नहीं दर्शाते.

Published - January 28, 2021, 11:36 IST