प्रधानमंत्री जी, अब जिम्मा उठाया है तो वैक्सीनेशन में तेजी भी लाएं

वैक्सीन्स की कमी, इसकी खरीदारी और विदेशी कंपनियों से सौदेबाजी एक जटिल काम था. इन चुनौतियों से निपटना राज्यों के लिए मुश्किल हो गया था.

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रिजर्व बैंक ने बैंकों को ऐसे मामले में नर्म रुख रखने के लिए कहा है.

रिजर्व बैंक ने बैंकों को ऐसे मामले में नर्म रुख रखने के लिए कहा है.

अगर कोई देश युद्ध के दौर से गुजर रहा हो तो लड़ाई का विकेंद्रीकरण करना अच्छी नीति नहीं मानी जा सकती है. किसी भी प्रांत की अपनी सेना नहीं होती है, न ही ये देश के सामने मौजूद दुश्मन से लड़ने के लिए अपनी अलग रणनीति बना सकता है. वैक्सीनेशन की विकेंद्रीकृत जंग पांच हफ्ते तक चली. आखिरकार केंद्र को आगे आना पड़ा और इसकी कमान अपने हाथ लेनी पड़ी.

ऐसा करना जरूरी भी था. वैक्सीन्स की कमी, इसकी खरीदारी और विदेशी कंपनियों से सौदेबाजी एक जटिल काम था. इसने जो चुनौतियां पेश कीं उसमें राज्यों के लिए इससे निपटना मुश्किल हो गया था.

सोमवार शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया और वैक्सीनेशन से जुड़े फैसलों का ऐलान किया. इससे वैक्सीनेशन की मुहिम में पैदा हुई अफरातफरी खत्म होने का रास्ता खुल गया है. इससे वैक्सीन खरीद की प्रक्रिया आसान होगी. साथ ही पहले से वित्तीय दबाव से गुजर रहे राज्यों का बोझ कम होगा.

राज्य सरकारें अब सरकार से मांग कर रही हैं कि बाजार से उधार लेने की सीमा को बढ़ाया जाए ताकि वे अपने खर्चों को पूरा करने के लिए संसाधन जुटा सकें. अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने खुद को राजनीतिक बढ़त लेने से भी बचाए रखा.

केंद्र के सोमवार को उठाए गए फैसले एक और वजह से भी महत्वपूर्ण हैं. इससे वैक्सीन खरीदने और इस प्रक्रिया पर नियंत्रण को लेकर जारी राजनीतिक शोर-शराबे पर भी लगाम लग जाएगी. प्रधानमंत्री मोदी ने निजी अस्पतालों के वैक्सीन पर वसूले जाने वाले प्रॉफिट पर भी लगाम लगा दी है जो कि एक अच्छा कदम है.

निश्चित तौर पर प्रधानमंत्री ने बड़े कदम उठाए हैं. लेकिन, असली चुनौती वैक्सीनेशन की रफ्तार बढ़ाने और राज्यों तक सही तरीके से इसका वितरण करने की है.

देश जिस मुश्किल दौर से गुजर रहा है उसमें वैक्सीनेशन की रणनीति पर तकरार के एक और एपिसोड को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है.

Published - June 8, 2021, 08:33 IST