देश में कोविड की दूसरी लहर के मची तबाही के बीच मंगलवार रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया. उन्होंने जीवन और आजीविका दोनों को बचाने की बात की. उनके संबोधन में सबसे बड़ी राहत की बात ये थी कि लॉकडाउन नहीं लगाया जाएगा. इससे लोगों के पलायन को रोकने में मदद मिलनी चाहिए.
निश्चित तौर पर देश में जिस रफ्तार से कोविड के मामले बढ़ रहे हैं उसमें लोगों के डर और आशंकाओं को दूर करने के लिए काफी कुछ किए जाने की जरूरत है. भारत को तत्काल कोविड इमर्जेंसी का ऐलान करना चाहिए और मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए हर मुमकिन कदम उठाने चाहिए. उम्मीद है कि ऑक्सीजन की किल्लत को भी जल्द ही दूर कर लिया जाएगा.
कोविड फैलना शुरू होने के बाद से पिछले 13 महीनों में प्रधानमंत्री सात बार देश को संबोधित कर चुके हैं. इस बार उनका राष्ट्र को संबोधन ऐसे वक्त पर आया है जबक देश कोविड दवाइयों, ऑक्सीजन और बेड्स की कमी से बुरी तरह से जूझ रहा है. खासतौर पर इस मामले में दिल्ली और मुंबई में हालात ज्यादा खराब हैं.
सबसे खराब बात ये है कि पीएम का देश को संबोधन ऐसे वक्त पर हुआ है जबकि कोविड से मचे हाहाकार में राजनीतिक आरोप और प्रत्यारोप चल रहे हैं. यह वक्त राजनीति का नहीं है. देश के बड़े शहरों में श्मशानों में बड़ी तादाद में मृत लोगों के अंतिम संस्कार हो रहे हैं. इन तस्वीरों ने पूरे देश के मनोबल को हिलाकर रख दिया है.
इस बात में कोई शक नहीं है कि देश का मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर बेहद लचर है और मरीजों की अचानक बढ़ी भीड़ ने इसे पूरी तरह से धराशायी कर दिया है.
पीएम ने कहा है कि उनकी सरकार हॉस्पिटल्स, बेड्स जैसी मेडिकल सुविधाओं को तैयार करने में हर मुमकिन कोशिश कर रही है. पिछले साल भारत ने इस चुनौती से लड़ने का हौसला दिखाया था, लेकिन इस बार जिस पैमाने पर ये क्राइसिस पैदा हुई है उससे हर कोई डर गया है.
1 मई से 18 साल से ऊपर के हर व्यक्ति को वैक्सीन लगाने का केंद्र सरकार का फैसला मौजूदा बुरे हालात को संभालने में मदद करेगा. लेकिन, इसे किस तरह से लागू किया जाएगा ये देखना अहम होगा. हालांकि, राज्यों को उनकी मांग के मुताबिक आजादी दी गई है, लेकिन इस दिशा में एकसाथ मिलकर काम करने से ही अपेक्षित परिणाम मिलेंगे.
उत्तर प्रदेश सरकार ने 18 साल से ज्यादा के लोगों को फ्री वैक्सीन देने का ऐलान किया है. इससे वैक्सीन की कीमत को लेकर संकोच कम होगा. अन्य राज्यों को भी इसी दिशा में कदम उठाने चाहिए.
केंद्र और गैर-बीजेपी शासित राज्यों को यह भरोसा पैदा करना चाहिए कि यह वक्त राजनीति का नहीं है और इस वक्त ज्यादा जरूरी लोगों की जिंदगियां और उनकी आजीविकाएं बचाना है.