भारत को इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट के लिए लॉन्ग-टर्म फंड्स की जरूरत है. निश्चित तौर पर घरेलू बैंक, हाल में ही ऐलान किए गए डिवेलपमेंट फाइनेंस इंस्टीट्यूशंस और दूसरे वित्तीय संस्थान इंफ्रा प्रोजेक्ट्स की फंडिंग में लगे हुए हैं. लेकिन, देश को जिस तर्ज पर इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करना है उसके लिए बहुत पैसों की जरूरत है.
भारत को अलग-अलग निवेशकों से लंबे वक्त के लिए फंड हासिल करने की कोशिश करनी चाहिए ताकि इस सेक्टर में जोखिम को कम किया जा सके.
यूं समझें परस्थिति को
रिटेल इनवेस्टर्स के इस पूल में निवेश का टेन्योर 5 से 35 साल के बीच होता है. जब तक सरकार इनसेंटिव के तौर पर इन्हें टैक्स ब्रेक देती रहेगी और इनमें ऊंचा ब्याज मिलता रहेगा, ये इनवेस्टर्स अपने फंड्स को इनमें बनाए रखेंगे.
ये निवेशक हर महीने अपने PF खातों में पैसा जमा कराते हैं. साथ ही सरकारी गारंटी ये निवेशक निश्चिंत भी रहते हैं.
क्या है आइडिया
सरकार EPFO के जरिए मिलने वाले फंड को लेकर कुछ सुधार कर सकती है.
सरकार EPF सब्सक्राइबर्स को वॉलेंटरी प्रॉविडेंट फंड (VPF) में तय योगदान से ज्यादा जमा करने की इजाजत देती है.
इन इनवेस्टमेंट्स में एक कंपल्सरी लॉक-इन हैः 15 साल का लॉक-इन या 50 साल की उम्र, जो भी ज्यादा हो.
(15 साल की अवधि पहले महीने के योगदान के साथ ही शुरू हो जाता है.)
कॉन्ट्रिब्यूशन अमाउंट पर टैक्स एग्जेंप्शन मिलता है (VPF के तौर पर जमा कराई रकम के लिए ग्रॉस सैलरी से टैक्स डिडक्शन की मंजूरी हो ), प्रिंसिपल अमाउंट और ब्याज पर एग्जेंप्शन मिलता है. ऐसा लॉक-इन की अवधि तक रहता है.
सब्सक्राइबर की असमय मृत्यु होने पर और रकम के मैच्योरिटी तारीख पर कानूनी वारिसों को मिलने पर यही टैक्स एग्जेंप्शन दिया जाना चाहिए.
अमीरों के पैसे लगाने में हर्ज नहीं
अगर PF कॉन्ट्रिब्यूशन पर टैक्स छूट उसी तरह से जारी रहती है जैसे कि यह पिछले वित्त वर्ष तक जारी थी (महज 2.5 लाख रुपये तक सीमित न होना), तो इससे रिटेल इनवेस्टर्स की ओर से ज्यादा रकम मिल सकती है.
मौजूदा अनिश्चित माहौल में PF एक आकर्षक विकल्प है.
हालांकि, कुछ तबकों में एक चिंता है कि HNI (अमीर लोग) इस PF सुविधा का गलत इस्तेमाल ज्यादा रिटर्न हासिल करने के लिए कर सकते हैं. लेकिन, लॉक-इन के साथ इस चिंता को दूर किया जा सकता है.
इस आइडिया को अमीर और बेहद अमीर एक आकर्षक और सॉवरेन इंफ्रा बॉन्ड इनवेस्टमेंट के जैसे सुरक्षित साधन के तौर पर देख सकते हैं.
इस पैसे का राष्ट्र निर्माण में इस्तेमाल करें!
(लेखक स्वतंत्र मार्केट टिप्पणीकार हैं. व्यक्त किए गए उनके विचार निजी हैं.)