Money9 Edit: कोविड के दौर में महंगाई पर काबू करने की तत्काल जरूरत

इतने खराब हालात के बीच महंगाई भी बढ़ने लगी है और आम आदमी की जेब में बची-खुची रकम इसके चलते खत्म हो रही है.

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आजादी के बाद पहली दफा शायद भारत इतने मुश्किल दौर से गुजर रहा है. आर्थिक सुस्ती, नौकरियों का खत्म होना, सैलरी कटने और चौपट होते धंधे-पानी के इस मुश्किल वक्त की इकलौती वजह कोविड महामारी है. लाखों लोग इस संक्रमण की चपेट में हैं और हर दिन हजारों की संख्या में लोगों की मौत हो रही है.

हालांकि, इतने खराब हालात के बीच महंगाई भी बढ़ने लगी है और आम आदमी की जेब में बची-खुची रकम इसके चलते खत्म हो रही है.

गुजरे कुछ महीनों में CPI आधारित महंगाई (कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स) 5 फीसदी के लेवल पर बनी हुई है. ये रिजर्व बैंक (RBI) की महंगाई के लिए तय की गई ऊपरी सीमा पर है. हालांकि, 5 फीसदी से ऊपर रेट मुश्किल है, लेकिन होलसेल प्राइस इनफ्लेशन भी अब बढ़ रहा है और ये अप्रैल में 10.49 फीसदी के लेवल पर पहुंच गया है जो कि इसका 11 साल का हाई है.

WPI आधारित महंगाई दर आमतौर पर CPI वाली महंगाई में नजर आती है. अगर ऐसा होता है तो आम लोगों के लिए कोविड के दौर में एक बड़ा ही मुश्किल वक्त आ सकता है.

गुजरे एक से भी ज्यादा दशक से भारत घटते ब्याज दरों से गुजर रहा है. आम लोगों के लिए गिरती ब्याज दरों और बढ़ती महंगाई से निपटना आसान नहीं है. केवल सरकार ही लोगों को इस मुश्किल से निकाल सकती है.

समाज का एक बड़ा तबका कम आमदनी में गुजर-बसर करता है. ये सभी लोग सरकार की गारंटीड रिटर्न वाली योजनाओं पर बड़े तौर पर निर्भर हैं. ऐसे में ब्याज दरों में होने वाली गिरावट और बढ़ती महंगाई का इन पर सबसे ज्यादा असर होता है.

बढ़ती महंगाई से लोगों की जेब में बची हुई थोड़ी बहुत रकम भी खत्म हो जाएगी. पिछले साल सप्लाई की दिक्कतों के चलते महंगाई तेजी से बढ़ी. हालांकि, सरकार ने इस बार पूरे देश में लॉकडाउन लगाने का फैसला नहीं किया है, लेकिन कई राज्यों में लॉकडाउन लगे हुए हैं. ऐसे में सप्लाई चेन के गड़बड़ाने का पूरा खतरा मौजूद है.

मौजूदा वक्त में सरकार के लिए ये जरूरी है कि वह महंगाई पर लगाम लगाने के लिए तत्काल कदम उठाए ताकि कोविड की परेशानियों से जूझ रहे लोगों को कुछ राहत मिल सके.

Published - May 19, 2021, 08:51 IST