बीते कुछ दिनों से देखने को मिल रहा है कि म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री (MF Investment) में निवेशकों को निराशा हाथ लग रही है. क्योंकि निवेशकों को समय से यूनिट अलॉट नहीं हो पा रही हैं. आखिर में नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) को सैटलमेंट और पेमेंट के वक्त तकनीकी गड़बड़ी के चलते समस्या का सामना करना पड़ रहा है.
NPCI ने कदम बढ़ाते हुए ऐलान किया कि एक फरवरी 2021 को NACH के चलते उनके द्वारा किए गए सिस्टम अपग्रेड गड़बड़ी के कारण समस्या हुई. सिक्योरिटी एक्चेंज बोर्ड (SEBI) ने 2021 की समयसीमा निर्धारित की ताकि यूनिट जारी करने की अनुमति केवल तभी दी जा सके, जब कट ऑफ टाइम से पहले फंड हाउस को मिल जाए. सेबी (SEBI) की बनाई गई इस समय सीमा को पहले स्थगित कर दिया गया था.
NPCI के प्रयासों के बावजूद सिस्टम अपग्रेड योजना के अनुसार नहीं हो सकी. NACH या नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस म्यूचुअल फंड (MF) में SIP भुगतान सहित रिकरिंग पेमेंट की सुविधा देता है.
यूनिट के अलॉटमेंट में देरी के कारण शिकायतें आईं कि निवेशक 1 फरवरी से शेयर मार्केट में प्रभावी रूप से हिस्सेदारी नहीं ले पा रहे थे. अगर बाजार में यूनिट मिल रही हैं, तो निवेशक निश्चित रूप से नुकसान उठाएंगे क्योंकि उन्हें यूनिट अधिक कीमत पर मिल रही हैं. कोई भी उन निवेशकों को दोष नहीं दे सकता जिन्होंने अपने पैसे को रखा हुआ है और अकाउंट में बिना यूनिट्स के बाजार को आगे बढ़ता हुआ देख रहे हैं. फाइनेंशियल सर्विस और रेगुलेटर्स को इस बड़ी समस्या का समाधान करना चाहिए.
जब रेगुलेटर्स नियमों को कड़ा करना चाहते हैं, उनका इरादा हमेशा प्रणाली और उद्योग के कामकाज में सुधार करने का होता है. इस केस में, सेबी (SEBI) ने यूनिट्स जारी करने के पुराने तरीके को खत्म करने के लिए सही कदम उठाया था, भले ही पैसा कुछ दिनों बाद फंड हाउस तक पहुंच गया हो.
ये एक दूसरे पर आरोप लगाने का वक्त नहीं है लेकिन इस समस्या के पीछे के कारणों का पता लगाने की जरूरत है ताकि ऐसी समस्याओं का भविष्य में सामना न करना पड़े. भविष्य के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रैक्टिस का एक मजबूत ढांचा तैयार और अपग्रेड करने की जरूरत है.
दूसरे मोर्चे पर एलोकेशन में देरी के मामले, आगे कई म्युचुअल फंड (MF) निवेशकों की सीमित समझ को दिखलाता है. इस कड़ी में प्रभावित अधिकांश लेनदेन NACH का इस्तेमाल करते हुए हैं. जब एक निवेशक एक SIP के लिए साइन अप करता है, तो निवेश का वक्त नियत होता है. निश्चित समय वाली मासिक SIP सुनिश्चित करती है कि इक्विटी जैसे अस्थिर एसेट में निवेश का समय जोखिम के अधीन नहीं है.
जो लोग इसे समझते हैं, उन्हें एक किस्त सिर्फ एक-दो दिनों की देरी से जाने पर चिंता नहीं करनी चाहिए. अगर कोई लंबे समय के लिए निवेश करता है तो SIP रिटर्न में काफी अंतर नहीं हो सकता. निवेशकों को समझना चाहिए कि SIP इस सिद्धांत पर काम करता है कि किस समय निवेश किया उससे ज्यादा जरूरी है कितने समय के लिए निवेश किया.
इसलिए म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री (MF) को दोष देना उचित नहीं है, जो सालों से लाखों लोगों की आय का बड़ा जरिया बना है. यह खुशी की बात है कि NPCI ने स्थिति का जल्दी जवाब दिया कि शुरुआती समस्या का निपटारा कर दिया गया है और बाकी पर नजर बनाए हुए हैं. हालांकि स्थिति जल्द ही सामान्य होने की उम्मीद है, सबक को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
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