इन्वेस्टर्स का एक बड़ा तबका मार्केट में सही वक्त पर एंट्री करने की कोशिश करता है. ये लोग गिरावट से ठीक पहले बेचने और तेजी आने से पहले खरीदारी के मंसूबे बनाते रहते हैं. लेकिन, ऐसा तब तक नहीं हो सकता है जबकि आपका मिडल नेम “लकी” न हो. मार्केट में सही वक्त पर एंट्री और एग्जिट करना तकरीबन नामुमकिन है. इसकी बजाय यहां हम बता रहे हैं कि आपको क्या करना चाहिएः
दो तरह के निवेशक
मार्केट में गिरावट का सिलसिला बना हुआ है. ऐसे में इन्वेस्टर्स निराश नजर आ रहे हैं. कोई भी मार्केट में अपना पैसा गंवाना नहीं चाहता है. खासतौर पर ऐसे वक्त पर जबकि मार्केट में हाल में ही अच्छी तेजी रही हो. जैसे ही मार्केट में गिरावट आती है कई निवेशक बेचैन हो जाते हैं और हड़बड़ी में शेयर बेचना शुरू कर देते हैं. इसके अलावा, कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो कि चुपचाप बैठे मार्केट को गिरते देखते रहते हैं. उन्हें नुकसान होता जाता है, लेकिन वे मार्केट के दोबारा चढ़ने का इंतजार करते हैं. दोनों ही ठीक एप्रोच नहीं हैं.
मार्केट में सही वक्त का चुनाव करना और दूसरी ओर एक निष्क्रिय एप्रोच पर चलना यानी खरीदकर होल्ड कर लेना, इन दोनों रणनीतियों के अपने नुकसान हैं.
समझिए मार्केट का साइकल
ऐसे में सबसे पहली चीज अर्थव्यवस्था को समझना है. और इस वजह से स्टॉक मार्केट का भी एक साइकल होता है. एक रनर की तरह से यह तब तक दौड़ता है जब तक कि यह थक नहीं जाता. इसके बाद ये ब्रेक लेता है, अपनी ताकत फिर से इकट्ठा करता है और फिर से दौड़ना शुरू कर देता है. यह सिलसिला जारी रहता है. अब आपको तस्वीर समझ आ गई होगी.
ऐसे कई सुपरसाइकल्स भी आते हैं जो कि कई दशकों तक जारी रहते हैं और रेगुलर साइकल भी आते हैं जो कि एक दशक के बीच में चलते हैं. हालांकि, सैद्धांतिक तौर पर आप इन बड़े और छोटे साइकल्स की शुरुआत और अंत का अंदाजा कर सकते हैं, लेकिन हकीकत में इनका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है.
अपनी परिस्थितियों के हिसाब से फैसला लें
ऐसे में मार्केट में किसी निवेशक की एप्रोच क्या होनी चाहिए यह उनकी खास परिस्थितियों पर निर्भर करता है. इस लिहाज से कुछ सामान्य नियम हैं जिनसे आपको अच्छे रिटर्न हासिल करने में मदद मिल सकती है. यहां मैं जिन नियमों की बात कर रहा हूं वे मेरे निजी अनुभवों का नतीजा हैं. इन्हें मैंने अपनी निवेश संबंधी गलतियों और अनुभवों से सीखा है.
यह कहना गलत नहीं होगा कि अलग तरीके की सफलता दर वाले किसी अन्य शख्स के अनुभव अलग होंगे. लेकिन, अगर आप मेरी तरह से जागरूक हैं और तार्किक रूप से सोचते हैं तो मेरे बताए नियम आपके लिए सही साबित हो सकते हैं.
भाग्य भरोसे न रहें
पहला नियम है कि निवेश से भाग्य को बाहर निकाल दीजिए और केवल अच्छी क्वॉलिटी के स्टॉक्स पर ही फोकस कीजिए. एक अच्छी क्वॉलिटी वाली कंपनी की कई खासियतें होती हैं.
मसलन, अच्छा मैनेजमेंट, एक अच्छा कारोबार , प्रतिस्पर्धियों के लिए इसे मार्केट से बाहर करना नामुमकिन हो, मजबूत बैलेंस शीट. इन सबसे इसके स्टॉक को अर्थव्यवस्था में अचानक आने वाले झटकों को झेलने की ताकत मिलती है. इसके अलावा, ऐसी कंपनियों की एक खासियत ये भी होती है कि ये मार्केट और तकनीक के हिसाब से खुद को बदलती रहती हैं.
पैसिव इन्वेस्टर मत बनिए
इनके अलावा, जो अन्य नियम मैं आपको बताउंगा उनमें से एक ये है कि निष्क्रिय या पैसिव इन्वेस्टर मत बनिए. हालांकि, इस बात के पुख्ता प्रमाण हैं कि लंबे वक्त के लिए खरीदकर होल्ड करने पर फायदा मिलता है, लेकिन ये आपकी जिंदगी की खास स्थितियों के लिए शायद फिट न हो.
मिसाल के तौर पर, हो सकता है कि आपको नया घर खरीदने के लिए पैसों की जरूरत हो, या आपके बच्चे की शादी या विदेश में पढ़ाई की जरूरत हो. ऐसे में आपको पैसों की जरूरत हो सकती है.
फाइनेंशियल गोल्स पर रहे फोकस
इसमें सबसे महत्वपूर्ण ये है कि आप लगातार अपने फाइनेंशियल गोल्स पर फोकस्ड रहें. अगर कोई बड़ा खर्च सामने दिख रहा है तो आपको हर हालत में स्टॉक्स बेचने ही पड़ते हैं. अगर आप रिटायरमेंट की ओर बढ़ रहे हैं तो आप अपनी पूंजी का एक हिस्सा फिक्स्ड इनकम में लगाना चाहेंगे ताकि आपकी आमदनी खतरे में न रहे. ऐसे में आपको वही करना चाहिए जो कि आपके मौजूदा हालात के हिसाब से ठीक हो.
इंडेक्स फंड्स पर विचार करें
मेरी आखिरी सिफारिश ये है कि अगर आपके पास एक एक्टिव इन्वेस्टर के तौर पर काम करने का वक्त नहीं है तो आप इंडेक्स इन्वेस्टिंग पर विचार करें. इसके दोगुने फायदे हैं. पहला आपका रिटर्न मार्केट के हिसाब से रहेगा. और दूसरा आपकी निवेश की लागत कम रहेगी क्योंकि इंडेक्स फंड्स आमतौर पर सस्ते पड़ते हैं.
याद रखिए, आपकी वित्तीय सेहत आपकी जिम्मेदारी है. इसे किसी और के हवाले मत कीजिए.