कोविड वैक्सीनेशन की रणनीति बनाते वक्त शायद हमने समाज के सबसे कमजोर और मजबूर तबके को भुला दिया है. सरकार को देशभर में वृद्धाश्रमों (ओल्ड ऐज होम्स) में जाकर लोगों को वैक्सीन लगानी होगी. इन वृद्धाश्रमों में रहने वाले लोग बूढ़े, बीमार और असहाय हैं और ये वैक्सीनेशन सेंटरों तक नहीं जा सकते हैं. इनमें से ज्यादातर डिजिटल रूप से इतने जागरूक भी नहीं हैं कि अपने लिए वैक्सीन स्लॉट बुक कर सकें.
वृद्धाश्रमों में रह रहे उम्रदराज लोगों के अलावा भी एक बड़ा तबका ऐसा है जिसे वैक्सीन की घर पर ही या उनके रहने की जगहों पर ही जरूरत है. इनमें मानसिक रूप से बीमार लोग भी शामिल हैं जो अस्पतालों में हैं. विधवाश्रमों में रहने वाली महिलाएं, खासतौर पर वाराणसी में रह रही विधवाओं को उनके रहने की जगहों पर ही वैक्सीन लगाई जानी जरूरी है. ऐसे उम्रदराज लोग जिनके बच्चे बाहर रह रहे हैं और वे शहर में अकेले रहते हैं उनके लिए भी घर पर ही वैक्सीन की व्यवस्था होनी चाहिए.
हाउसिंग सोसाइटीज को घरों में काम करने वाले लोगों, ड्राइवरों जैसे गरीब तबके के लिए मौके पर ही वैक्सीनेशन का इंतजाम करना चाहिए और सरकार को इसमें मदद देनी चाहिए.
एनजीओ इस पूरे मकसद में सरकार को बड़ा सपोर्ट कर सकते हैं. साथ ही जो लोग आर्थिक रूप से सक्षम हैं वे वैक्सीन के लिए पैसे भी दे सकते हैं.
इस दिशा में दिल्ली सरकार ने एक सही कदम सोमवार को उठाया है. राज्य सरकार ने कहा है कि वह 45 साल से ऊपर की उम्र वालों को घर-घर जाकर वैक्सीन लगाएगी. इससे किसी के भी वैक्सीन से वंचित रहने की आशंका खत्म हो जाएगी. कोविड महामारी का सबसे बड़ा इलाज वैक्सीन ही है.
देश के दूसरे राज्यों को भी ये पहल करनी चाहिए. साथ ही केंद्र सरकार को भी इस संबंध में जरूरी दिशानिर्देश जारी करने होंगे.