कोविड-19 महामारी से देश की अर्थव्यवस्था बदहाल हो गई है. लेकिन, भारत की केयर इकनॉमी में नई नौकरियां पैदा करने पर फोकस के साथ इस आपदा को एक अवसर में बदल सकता है. इससे हमारी स्वास्थ्य इंफ्रा को मजबूत करने की प्रतिबद्धता को भी ताकत मिलेगी और साथ ही आने वाले वक्त में निर्यात योग्य सरप्लस भी तैयार किया जा सकेगा.
WEF की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि केयर इकनॉमी में बड़े पैमाने पर मौके हैं और सही पॉलिसी से एक अनुकूल ईकोसिस्टम तैयार करने में मदद मिलेगी जो कि अर्थव्यवस्था को मुश्किल दौर से निकाल सकता है.
महामारी की दूसरी लहर ने आर्थिक रिकवरी की प्रक्रिया को गहरा झटका दिया है. WEF की रिपोर्ट में कहा गया है कि उभरते हुए प्रोफेशंस में करीब 40% नौकरियां केयर इकनॉमी में आएंगी. हालांकि, इसमें ये भी कहा गया है कि इन नौकरियों में पर्याप्त वेतन मिले और इन्हें हाई-स्किल्ड काम के तौर पर देखा जाए, इसके लिए काफी काम किए जाने की जरूरत है.
अर्थव्यवस्था के कई सेक्टर कोरोना वायरस महामारी के झटके से उबरने में अभी भी जूझ रहे हैं, ऐसे में भारत के पास केयर इकनॉमी में खुद को आगे बढ़ाने का एक बड़ा मौका है.
हमें देश के डेमोग्रैफिक डिविडेंड (देश की ज्यादातर आबादी का युवा होना) का फायदा उठाना चाहिए और इस मामले में दूसरे देशों से आगे निकलना चाहिए.
ये ऐसा वक्त है जबकि सरकार को अलग नजरिये से सोचने की जरूरत है ताकि आर्थिक ग्रोथ और नई नौकरियां पैदा होने में कोई मुश्किल न आए.
हमें इस बारे में वैश्विक स्तर पर जारी बेहतरीन प्रैक्टिस अपनानी चाहिए और नीति आयोग को इस दिशा में एक नीति बनानी चाहिए जिससे हम अपने युवाओं के लिए बड़ी तादाद में नई नौकरियां तैयार कर सकें और उनके लिए एक सफल करियर की नींव रख सकें.
हम महामारी के सामने असहाय नहीं हो सकते. आइए देश की इस क्षमता को बढ़ाएं और नए भारत के लिए नौकरियां पैदा करें.