इनवेस्टर अभी भी अच्छे रिटर्न की उम्मीद में DHFL (डीएचएफएल) के स्टॉक को खरीद रहे हैं. जबकि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पहले से ही डीएचएफएल के खिलाफ दीवालिया प्रक्रिया को मंजूरी दे दी है. जो लैंडर की मौजूदा इक्विटी हिस्सेदारी को खत्म करने का आदेश देता है.
रिटेल इंनवेस्टर का एक ग्रुप अभी भी इस बात से अंजान है कि उसके इनवेस्ट बहुत जल्दी ही बदल जाएंगे. बल्कि वह कंपनी के पीरामल कैपिटल एंड हाउसिंग फाइनेंस (PCHFL) में विलय के बाद अच्छे रिटर्न की उम्मीद में स्टॉक को खरीदने के लिए डीएचएफएल काउंटर पर पहुंच रहे हैं.
शेयरहोल्डिंग पैटर्न पर एक नजर डालने पर पता चलता है कि रिटेल इनवेस्टर (2 लाख रुपये तक की शेयर होल्डिंग रखने वालों) की कंपनी में 39.12 प्रतिशत की हिस्सेदारी है, जो मार्च 2020 की तिमाही में 38.67 प्रतिशत थी. ये मौजूदा बाजार मूल्य पर उनकी होल्डिंग 232 करोड़ रुपये है.
गुरुवार (फरवरी 25) को DHFL (डीएचएफएल) के शेयर 18.90 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से अपर सर्किट पर रहे. दिलचस्प बात यह है कि एक चर्चित स्कैम भी इनवेस्टर को प्रभावित करने में विफल रहता दिख रहा है. जबकि पिछले सप्ताह ही डीएचएफएल एडमिनिस्ट्रेटर द्वारा नियुक्त किए गए एक प्राइवेट ऑडिटर ग्रांट थॉर्नटन ने डीएचएफएल में 6,182 करोड़ रुपये के एक और फर्जी लेनदेन होने की सूचना दी थी. डीएचएफएल द्वारा किए गए एक रेग्युलेटरी फाइलिंग के मुताबिक, एक इनिशियल रिपोर्ट में ग्रांट थॉर्नटन ने संकेत दिया कि कुछ निश्चित लेनदेन ऐसे हैं जो अंडरवैल्यूड और धोखाधड़ी को दिखा रहे हैं.
कंपनी पर अनुमानित प्रभाव 5,381.90 करोड़ रुपये बकाया रुपयों के लिए, 589.36 करोड़ रुपये ऑकर्ड इंटरेस्ट पर और 210.85 करोड़ रुपये अकाउंट में लोअर रेट ऑफ इंटरेस्ट को दर्शा रहे हैं. लेन-देन लेखा परीक्षक द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के मुताबिक, संबंधित लेनदेन रिपोर्ट में विस्तृत समय के साथ हुए हैं.
एडमिनिस्ट्रेटर ने 33 रिसपॉडेंट के खिलाफ एनसीएलटी मुंबई के साथ एक अप्लीकेशन फाइल की है. जिसमें इसके प्रमोटर्स कपिल वधावन और धीरज वधावन और कुछ संस्थाएं जैसे क्रिएटोज़ बिल्डर्स, इक्षुदीप फिनकैप और रीट डेवलपर्स शामिल हैं.
मुंबई स्थित इक्विटी एनालिस्ट के मुताबिक, “यह पहली बार नहीं है जब रिटेल इनवेस्टर ने इस तरह के डेड स्टॉक को खरीदा और बाद में घाटा उठाया हो. उदाहरण के लिए, विजय माल्या के फरार होने के महीनों बाद, किंगफिशर एयरलाइंस का स्टॉक ऊपर जा रहा था, कोई तुक या कारण नहीं है. जाहिर है, कुछ इनवेस्टर एक रिस्की गेम खेल रहे थे. ” लेकिन सवाल यह है कि क्या रेग्युलेटर को वास्तव में स्टॉक एक्सचेंज पर ऐसी गतिविधियों की अनुमति देनी चाहिए.
18 फरवरी को आरबीआई ने पिरामल समूह द्वारा डीएचएफएल के 34,250 करोड़ रुपये के अधिग्रहण को मंजूरी दे दी थी. नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने लेनदेन को मंजूरी देते ही पिरामल को अपने वित्तीय सेवा कारोबार के साथ DHFL को मर्ज करने की योजना बनाई है. 15 जनवरी को, डीएचएफएल के ऋणदाताओं ने पीरामल की ऋण समाधान योजना के पक्ष में डीएचएफएल के लिए मतदान किया, जिससे दिवालिया हाउसिंग फाइनेंस कंपनी के बदलाव का रास्ता तैयार हुआ. पिरामल ने डीएचएफएल की बैलेंस शीट पर नकद, और 19,550 करोड़ रुपये के एक नॉन कनवर्टिबल डिबेंचर सहित 14,700 करोड़ रुपये के कैश की पेशकश की थी.
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