इंश्योरेंस पॉलिसी एक, फायदे अनेक: इनोवेटिव टर्म प्लान है ना...

ये प्लांस प्राइमेरी मेंबर की मृत्यु होने पर एक इनकम रिप्लेसमेंट के तौर पर काम करते हैं. आमतौर पर अगला सवाल यही होगा कि किसी को कितना कवरेज लेना चाहिए?

  • Team Money9
  • Updated Date - February 3, 2021, 09:21 IST
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यह सबसे अफोर्डेबल इंश्योरेंस कवर है क्योंकि इसमें कोई इन्वेस्टमेंट एलिमेंट नहीं जुड़ा होता है. यदि पॉलिसी होल्डर पॉलिसी अवधि के दौरान जीवित रहता है

यह सबसे अफोर्डेबल इंश्योरेंस कवर है क्योंकि इसमें कोई इन्वेस्टमेंट एलिमेंट नहीं जुड़ा होता है. यदि पॉलिसी होल्डर पॉलिसी अवधि के दौरान जीवित रहता है

हम हमेशा सर्वश्रेष्ठ की उम्मीद करते हैं, लेकिन क्या आपने कभी अपने आप से सवाल पूछा है- क्या मेरे निधन से किसी को भी आर्थिक नुकसान होगा? अगर जवाब हां है, तो इस जोखिम को ध्यान में रखते हुए टर्म इंश्योरेंस प्लान (Insurance Policy) पर विचार करने का समय है. यह सुझाव ICICI प्रुडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस के चीफ डिस्ट्रीब्यूशन ऑफिसर अमित माल्टा का है.

ये प्लांस प्राइमेरी मेंबर की मृत्यु होने पर एक इनकम रिप्लेसमेंट के तौर पर काम करते हैं. आमतौर पर अगला सवाल यही होगा कि किसी को कितना कवरेज लेना चाहिए? संक्षेप में, उत्तर यह है कि कोई सटीक या एक फॉर्मूला नहीं है.

कैलकुलेशन करते वक्त व्यक्ति की पारिवारिक जीवनशैली, दीर्घकालिक वित्तीय जिम्मेदारियों जैसे कि सेवानिवृत्त माता-पिता के लिए एक स्वास्थ्य सेवा प्रतिबद्धता, बच्चों के उच्च शिक्षा का खर्च, साथ ही होम या व्हीकल लोन जैसे किसी भी वित्तीय देनदारियों को ध्यान में रखना चाहिए. पॉलिसीधारक के निधन की स्थिति में इन सभी को कवर करने के लिए लाइफ कवर (Insurance Policy) की गणना की जानी चाहिए. 40 वर्ष की आयु तक के व्यक्तियों को अपनी वार्षिक आय के 20-30 गुना के बराबर लाइफ कवर लेना चाहिए. 40 और 50 वर्ष के बीच के व्यक्तियों के लिए, वार्षिक आय से 10-15 गुना ज्यादा का लाइफ कवर देने की सिफारिश की जाती है, और 50 से ऊपर के व्यक्तियों के लिए, लाइफ कवर आदर्श रूप से उनकी वार्षिक आय का 5 गुना होना चाहिए.

भारतीय बीमा विनियामक प्राधिकरण (IRDAI) की हाल ही में आई वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में लाइफ इंश्योरेंस (Insurance Policy) की पहुंच सकल घरेलू उत्पाद का 2.74% है, वहीं, इसकी तुलना में ग्लोबली एवरेज 6.31% है. देश में महामारी की वजह से हुई मौत की संख्या की तुलने में क्लेम लेने वाली की संख्या काफी कम है. इससे साफ है कि लाइफ इंश्योरेंस की पहुंच काफी कम लोगों तक है.

टर्म इंश्योरेंस प्लान खरीदने के लिए लोगों की अनिच्छा का क्या कारण है? इन सब चीजों को सोचते हुए जो सबसे सामान्य मुश्किल लोगों के सामने आती है कि व्यक्तिगत रूप से अंत में उन्हें कुछ हासिल नहीं होगा. इसके अलावा, बहुत सारे लोग टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी (Insurance Policy) को 60 साल या 70 की उम्र तक के लिए ही खरीदते हैं. जैसा कि भारत में जीवन प्रत्याशा में लगातार वृद्धि हुई है और ज्यादातर लोग 70 और 80 की उम्र तक जी रहे हैं. ज्यादा लोग अपनी पॉलिसी अवधि को रेखांकित कर रहे हैं, जिससे पॉलिसीधारक को ही निराशा होती है. इन मुद्दों को ध्यान में रखते हुए, इंश्योरेंस कंपनियां भी ग्राहकों की बढ़ती/विविध/संबद्ध जरूरतों को पूरा करने के लिए इनोवेटिव टर्म प्लान ऑफर कर रही हैं.

क्रिटिकल इलनेस बेनिफिट: 21वीं सदी की जीवनशैली ने डायबिटीज, हाइपरटेंशन, कैंसर, दिल की बीमारियों जैसी कई और बीमारियों को जन्म दिया है. इंडिया के नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘साल 2020 तक भारत में पुरुषों में कैंसर से पीड़ितों की संख्या 679,421 (94.1 प्रति 100,000) और महिलाओं में 712,758 (103.6 प्रति 100,000) थी. 68 पुरुषों में से एक (फेफड़े का कैंसर), 29 में से 1 महिला (स्तन कैंसर), और 9 में से 1 भारतीय अपने जीवनकाल में कैंसर से पीड़ित होगा.

सेंटर ऑफ ग्लोबल हेल्थ रिसर्च ने भारत के रजिस्ट्रार जनरल के सहयोग से तैयार की मिलियन डेथ स्टडी (MDS) रिपोर्ट में कहा गया कि 2015 में 2.1 मिलियन मौतें सिर्फ दिल की बीमारियों के कारण हुईं. भारत में सिर्फ एक कीमोथेरेपी सेशन की कॉस्ट 1 से 2 लाख रुपए तक होती है. नेशनल हेल्थ अथॉरिटी ऑफ इंडिया के मुताबिक, परिवारों द्वारा कुल स्वास्थ्य व्यय का 64.2% जेब खर्च से ज्यादा है. ग्राहकों के इसी दर्द को समझते हुए, लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों ने इन-बिल्ट क्रिटिकल इलनेस फीचर्स के साथ टर्म इंश्योरेंस प्लांस पेश किए हैं. अतिरिक्त लागत के साथ पॉलिसीधारक अपनी टर्म प्लान खरीदते समय इन्हें राइडर्स के रूप में शामिल कर सकते हैं.

डायग्नोज होने पर पॉलिसीधारक को दावे का भुगतान किया जाता है. ICICI प्रुडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस 34 गंभीर बीमारियों के खिलाफ कवरेज देता है और ग्राहक अपने परिवार के रोगों के इतिहास पर विचार कर सकते हैं और एक ऐसी योजना चुन सकते हैं जो उनकी जरूरतों के हिसाब से हो.

संपूर्ण जीवन विकल्प: जीवन बीमा उद्योग द्वारा पेश किया गया संपूर्ण जीवन विकल्प उन लोगों को अतिरिक्त बफर देने के लिए डिज़ाइन किया गया है जो अपनी पॉलिसी अवधि को रेखांकित करने के बारे में चिंतित हैं. इस विकल्प के साथ, लोग अपने बीमा कवरेज का विस्तार कर सकते हैं जब तक कि वे 99 साल के नहीं हो जाते. टर्म इंश्योरेंस प्लान खरीदना काफी नहीं है. पॉलिसीधारकों को पॉलिसी के बारे में अपने आश्रितों को बताना चाहिए और लाइफ कवर की इनकम को कैसे सही ढंग से इस्तेमाल करना है जरूर बताना चाहिए.

टर्म इंश्योरेंस आपके लंबे फाइनेंशियल प्लान बनाने की दिशा में पहला कदम होना चाहिए. अगर अच्छे ढंग से प्लानिंग की गई है तो यह लाभार्थियों को आवश्यक वित्तीय आश्वासन दे सकता है, और पॉलिसीधारक को महत्वपूर्ण देखभाल में फायदा दे सकता है. जल्दी शुरू करना और एक सही निर्णय लेना किसी के स्वास्थ्य और लॉन्ग टर्म फाइनेंस की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है.

लेखक ICICI प्रुडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के चीफ डिस्ट्रीब्यूशन ऑफिसर हैं.

Disclaimer: कॉलम में व्यक्त किए गए विचार लेखक के हैं. लेख में दिए फैक्ट्स और विचार किसी भी तरह Money9.com के विचारों को नहीं दर्शाते.

Published - February 3, 2021, 07:55 IST