लोन देने वाली ऐप्‍स के लिए भारत दुनिया का सबसे बड़ा बाजार

भारत में 887 सक्रिय लोन एप्लिकेशन हैं. जबकि अमेरिका 112 ऐप के साथ दूसरे स्थान पर आता है. वहीं पाकिस्तान 34 ऐप्‍स के साथ तीसरे स्थान पर है.

  • Team Money9
  • Updated Date - February 21, 2021, 03:34 IST
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कुछ एप्स म्यूचुअल फंड में जीरो कमीशन पर डायरेक्ट निवेश करने का मौका देती है और उनके स्टॉक्स में ट्रेडिंग के ब्रोकर शुल्क भी नगण्य है.

कुछ एप्स म्यूचुअल फंड में जीरो कमीशन पर डायरेक्ट निवेश करने का मौका देती है और उनके स्टॉक्स में ट्रेडिंग के ब्रोकर शुल्क भी नगण्य है.

एंड्रॉइड फोन पर ऑनलाइन लोन देने वाले दुनिया के 82 प्रतिशत उधारदाताओं (Lenders) की ऐप्‍स के लिए भारत दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है. बेंगलुरु स्थित डिजिटल रिस्‍क मैनेजमेंट कंपनी की एक रिसर्च में इस चौंकाने वाले डेटा का खुलासा हुआ है. भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की हालिया बैठक में भी डिजिटल उधार (Lenders) देने वाली ऐप्‍स के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने के लिए गठित टीम से चर्चा की गई.
इस रिपोर्ट के मुतबिक, भारत में 887 सक्रिय लोन एप्लिकेशन हैं. जबकि अमेरिका 112 ऐप के साथ दूसरे स्थान पर आता है. वहीं पाकिस्तान 34 ऐप्‍स के साथ तीसरे स्थान पर है. इसके बाद दक्षिण अफ्रीका (30) और केन्या (20) आते हैं. अध्ययन में उपलब्ध डेटा में चीन में उपलब्ध एप्लिकेशन की संख्या को शामिल नहीं किया गया है.

पिछले कुछ सालों में हुए फ्रॉड को देखते हुए भारत में बैंकों ने क्रेडिट कार्ड जारी करने में बेहद सावधानी बरती है. अप्रैल 2020 से ऐप-आधारित ऑनलाइन ऋणदाताओं के लिए बाजार तेजी से बढ़ा है. ऐसे तब हुआ जब कोरोना के चलते लॉकडाउन और बाद आई आर्थिक मंदी ने कई भारतीयों को बेरोजगार बना दिया.

तो, क्या भारत में ऋण देने वाले ऐप्स में इस वृद्धि को बढ़ावा मिल रहा है? RBI वर्किंग ग्रुप के एक मेंबर ने Money9 को बताया कि देश में मोबाइल क्रांति और भुगतान क्रांति ये दो प्रमुख ताकतें हैं. अधिकांश भारतीय आबादी के पास अब मोबाइल फोन है. जिससे वे डिजिटल दुनिया में नेविगेट कर सकते हैं. वहीं दूसरा पहलु ये है कि भारत के पास एक तीव्र भुगतान प्रणाली जैसे यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) हैं. जिससे अब आसानी से हमारी ऑनलाइन खरीदारी करने की क्षमता है.

यह एक अच्छा सहायतायुक्‍त वातावरण बनाते हैं. आधार और दूसरे ओपन बैंकिंग ऐप बैंकों और अन्य संगठनों को सहमति के साथ अपने उपभोक्ता डेटा को साझा करने की अनुमति देते हैं. देश को स्टार्ट-अप और उद्यम निवेश के साथ एक संपन्न डिजिटल इको-सिस्टम भी मिला है.

आरबीआई वर्किंग ग्रुप, जिसे जनवरी 2021 में स्थापित किया गया था, पहले ही इस बारे में कई बार बता चुका है. आरबीआई को काम करने वाले समूह को स्थापित करने के लिए मजबूर करना ऑनलाइन मनी लेंडर्स का एक हिस्सा है. वर्किंग ग्रुप मार्च के मध्य तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा.

RBI ने पहले ही Google Play Store को कई “अवैध ऐप्स” पर प्रतिबंध लगाने के लिए कहा है जो पहले से ही जांच एजेंसियों के रडार पर हैं. लेकिन चुनौती यह है कि अस्तित्व में कई ऐप स्टोर हैं और अवैध ऐप अलग-अलग नामों से आते रहते हैं। आगे का रास्ता सुझाने के लिए, वर्किंग ग्रुप गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (NBFC) के डेटा के साथ उत्पन्न डेटा की तुलना करने और अवैध ऑनलाइन उधारदाताओं की पहचान करने का प्रयास कर सकता है.

शुरुआती अनुमान के मुताबिक, भारत में मौजूदा 40% लोन ऐप्स या तो गैरकानूनी हैं या ग्राहक को धोखा देने का बुरा इरादा है. संख्या अधिक हो सकती है क्योंकि अधिक ऋण देने वाले ऐप्स की पहचान की जाती है और सूची में जोड़ा जाता है.

Published - February 21, 2021, 03:34 IST