मुमकिन है कि आपमें से कई लोगों का घर का बजट बिगड़ चुका हो. पूरे के पूरे परिवार के महामारी के चपेट में आ जाने के बाद इलाज खर्च सोच से कई गुना ज्यादा है. हालांकि, डॉक्टर कहते हैं कि चिंता को खुद पर हावी नहीं होने दीजिए, लेकिन वित्तीय चिंता से बचे रहना आसान नहीं है.
चिंता है कि अस्पताल के बिल चुकाने में क्रेडिट कार्ड पर हुए खर्च की भरपाई की. लोगों के सामने एक बड़ी चिंता घर, गाड़ी या व्यक्तिगत कर्ज की किस्तों के पेमेंट की होती है.
कैसे बचें इन चिंता से? आपकी इन चिंता को कुछ हद तक रिजर्व बैंक के ताजा उपायों के जरिए दूर करना संभव हो सकेगा. गवर्नर शक्तिकांत दास के एलान के बाद शुक्रवार से 50 हजार करोड़ रुपये की विशेष योजना की रिजर्व बैंक ने शुरुआत कर दी.
बैंक इस सुविधा के तहत पैसा लेकर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने वालों के अलावा मरीजों को कर्ज की सुविधा दे सकेंगे. अब यहां से होगा यह कि बैंक से आम लोग बीमारी पर खर्च से निबटने के लिए कर्ज ले सकेंगे. यही पर आपकी पहली चिंता का हल है.
बिल चुकाने के विकल्प
मान लीजिए आपने अस्पताल से बिल चुकाने के लिए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल किया. इसे चुकाने के लिए आपके पास दो विकल्प हैं.
पहला तो यह है कि निश्चित अवधि के भीतर पूरी रकम बगैर ब्याज के चुकता कर दीजिए और दूसरा यह है कि हर महीने एक निश्चित रकम चुकाते रहें.
दोनों ही विकल्प की अपनी-अपनी चुनौतियां हैं. पहले विकल्प में एक मुश्त पूरी रकम का इंतजाम करने और दूसरे में 40 फीसदी तक का ब्याज चुकाने की चुनौती है. फिर क्या करें?
कोविड कर्ज के लिए आवेदन
यहां पर नई योजना के तहत विशेष कोविड कर्ज के लिए आवेदन करे और जो पैसा मिले उससे कार्ड का पूरा बकाया चुका दें. अगर कोविड कर्ज ना मिल पाए तो व्यक्तिगत कर्ज का रास्ता भी है.
दोनों ही मामलों में ब्याज की दर 10 फीसदी या उससे भी कम हो सकती है. कहां 40 फीसदी का ब्याज और कहां 10 फीसदी. और तो और कोविड कर्ज या व्यक्तिगत कर्ज में समय के पहले पूरी रकम चुकाकर जिम्मेदारी से मुक्त हो सकते है.
ध्यान रहे कि क्रेडिट कार्ड पर लिया गया कर्ज रिवॉल्व करने का मतलब कर्ज के जाल में फंसना है और आपके पास उससे बचने के लिए रास्ता उपलब्ध है. एक और समस्या हो सकती है और वो है नौकरी जाने पर. कुछ लोगों के साथ यह परेशानी हो सकती है. अगर कर्ज मिल गया और उसके बाद नौकरी चली गई तो किस्त चुकाने में भारी परेशानी आ सकती है.
मोरेटोरियम का विकल्प
ऐसे में आपके पास एक विकल्प है, बैंक के साथ बातचीत कर कर्ज चुकाने की व्यवस्था में अतिरिक्त समय लेने की. तकनीकी भाषा में इसे मोरेटोरियम कहते हैं. अगर आपका क्रेडिट रिपोर्ट सही रहा है और और बैंक के साथ लेनदेन ठीक रहा हो, तो बैंक कुछ महीनों तक तक किस्त ना चुकाने की सुविधा दे सकता है.
बस ध्यान रहे कि इसके लिए अतिरिक्त कीमत देनी होगी, क्योंकि मोरेटोरियम के समय के दौरान का ब्याज मूल में जुड़ जाएगा और फिर उस पर आपको ब्याज देना होगा. फिर भी आम तौर पर यह क्रेडिट कार्ड पर रिवॉल्विंग की कीमत से यह कम ही रहेगी.
RBI की स्कीम का फायदा उठाएं
अब दूसरी चिंता. घर या गाड़ी या फिर व्यक्तिगत कर्ज की मासिक किस्त चुकाने की चिंता है, तो यहां पर भी रिजर्व बैंक के व्यक्तिगत कर्ज के लिए रिजॉल्यूशन फ्रेमवर्क – 2.0 यानी समाधान की नई व्यवस्था का फायदा उठा सकते हैं.
यहां पर मुख्य रुप से दो शर्त है – पहला तो यह कि 31 मार्च 2021 तक नियमित तौर पर कर्ज का पुनर्भुगतान किया जा रहा हो और दूसरा कर्ज लेने वाले ने पिछले साल घोषित की गई ऐसी ही योजना में शामिल नहीं रहा हो.
दो साल तक का वक्त मिलेगा
बैंक और कर्ज लेने वालों के बीच सहमति के आधार पर कर्ज चुकाने के लिए दो साल तक का अतिरिक्त समय दिया जा सकता है. साथ ही ब्याज पर ब्याज को नए कर्ज में तब्दील करने की सुविधा होगा.
यही नहीं, कर्ज चुकाने की बची मियाद बढ़ाई जा सकती है जिसके लिए कोई अतिरिक्त पैसा नहीं देना होगा. बहरहाल, किसी भी स्थिति में दो साल से ज्यादा के लिए सहूलियत नहीं दी जा सकती है.
वित्तीय चिंता से मुक्ति पाने के लिए आपके पास बैंक के साथ बातचीत कर समाधान का विकल्प मौजूद है. इस्तेमाल करके देखिए, कुछ राहत की उम्मीद तो आप कर सकते हैं.
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