इन 4 तरीकों से तय करें परिवार के लिए टर्म इंश्योरेंस की रकम

Term Insurance: टर्म इंश्योरेंस में जितना ऊंचा कवर चाहेंगे उतना प्रीमियम बढ़ेगा. इसलिए कितने पेआउट की जरूरत पड़ेगी ये समझना जरूरी है. 

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पॉलिसी लेते वक्त, आपको स्पष्ट रहना चाहिए कि आपको कितने कवर की आवश्यकता है. इस सामान्य नियम यह है कि, यह बीमित राशि आपकी सालाना आय का 15-20 गुना होना चाहिए.

पॉलिसी लेते वक्त, आपको स्पष्ट रहना चाहिए कि आपको कितने कवर की आवश्यकता है. इस सामान्य नियम यह है कि, यह बीमित राशि आपकी सालाना आय का 15-20 गुना होना चाहिए.

Term Insurance: टर्म कवर एक तरह का सुरक्षा कवच है जिससे आप पर निर्भर लोग दिवालिया होने की स्थिति से बच सकते हैं. अगर एक परिवार में 5 सदस्य हैं और केवल एक व्यक्ति कमाता है तो कमाने वाले व्यक्ति के गुजर जाने पर उनपर आर्थिक रूप से भी मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ेगा. ऐसी सूरत में टर्म इंश्योरेंस उनके काम आएगा.

टर्म इंश्योरेंस के जरिए परिवार के कर्ज और रोजमर्रा के खर्चों को कुछ समय के लिए पूरा किया जा सकता है. लेकिन, आपके परिवार के लिए कितना टर्म इंश्योरेंस काफी होगा? ये समझना बेहद जरूर है क्योंकि भारत में कई लोग इंश्योरेंस की अनदेखी करते हैं.

सालाना आय के मुताबिक

आपको समझना होगा कि टर्म इंश्योरेंस में जितना ऊंचा कवर चाहेंगे उतना प्रीमियम बढ़ेगा. इसलिए कितने पेआउट की जरूरत पड़ेगी ये समझना जरूरी है.

कई एक्सपर्ट कहते हैं कि लोगों को अपनी सालाना आय के 10 से 12 गुना का टर्म कवर लेना चाहिए. हालांकि, ये सलाह इस आधार पर दी जाती है कि इंश्योरेंस लेने वाले व्यक्ति पर किसी तरह का कोई कर्ज नहीं है. साथ ही इसमें लाइफस्टाइल से जुड़े खर्च भी जोड़ने चाहिए.

फाइनेंशियल एनालिसिस के जरिए पता करें सही कवर

फाइनेंशियल एनालिसिस के जरिए भी आप सही कवर तक पहुंच सकते हैं. इसमें आपको अपनी जरूरत समझनी होगी जैसे कार लोन, होम लोन जैसे कितने कर्ज आप पर हैं और लाइफस्टाइल के मुताबिक आप पर निर्भर लोगों का कितना खर्च होता है. साथ ही, इसमें बच्चों की पढ़ाई और शादी जैसे खर्च भी जोड़ना सही होगा.

जब आप मौजूदा लाइफस्टाइल जारी रखने के आधार पर रकम तय कर रहे हैं तब महंगाई को भी इसमें जरूर जोड़ें.

वैल्यू के आधार पर

सही टर्म कवर तक पहुंचने का एक और गणित है. उसे कहते हैं वैल्यू के आधार पर, यानी एक व्यक्ति अपने जीवन काल में कितना कमा सकता है. ये तरीका कई बार रोड एक्सिडेंट में इंश्योरेंस क्लेम का मुआवजा तय करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. इस तरीके से लगभग सही रकम का अंदाजा लग जाता है और उसमें महंगाई को भी जोड़ा जाता है. लेकिन, इसमें दिक्कत ये है कि एक व्यक्ति की आय जीवनभर एक जैसी नहीं रहती, उसमें बढ़त को इस कैलकुलेशन में जगह नहीं मिलती. इसमें व्यक्ति के लाइफ स्पैन के फर्क को भी नजरअंदाज किया जाता है.

अंडरराइटर्स थंब रूल

लेकिन एक और तरीका है जो उम्र के मुताबिक टर्म कवर तय करता है. इसे ‘अंडरराइटर्स थंब रूल’ के नाम से जाना जाता है. इसमें पॉलिसीधारक की उम्र के मुताबिक कवर तय किया जाता है. अगर पॉलिसी लेने वाले व्यक्ति की उम्र 20 से 30 साल के बीच है तो टर्म इंश्योरेंस सालाना आय का 15 गुना होगा. वहीं, 31-40 की उम्र वालों के लिए ये 14 गुना, 41-45 वर्ष वालों के लिए 12 गुना,  46-50 वालों के लिए 10 गुना, 51-55 उम्र के लोगों के लिए 8 गुना और 56 साल से ज्यादा की उम्र वाले लोगों को सालाना आय का 6 गुना कवर मिलता है.

उम्र बढ़ने के साथ कवर घटता जाता है. अब आप ये सोच सकते हैं कि क्या 56 साल की उम्र के बाद भी टर्म इंश्योरेंस की जरूरत है? तो इसका जवाब है हां, क्योंकि रिटायरमेंट, सुरक्षा और वेल्थ जारी रखने के लिए ये जरूरी है. ये सुरक्षा

टर्म इंश्योरेंस लेते वक्त ध्यान दें कि उसमें एक्सिडेंटल डेथ बेनिफिट, प्रीमियम वेवर और इलनेस बेनिफिट शामिल हों. जब आप 50 साल से ज्यादा की उम्र के हों और रिटायरमेंट नजदीक हो तो इनकम के स्रोत भी घटते हैं. रिटायरमेंट तक शायद आपपर आपको माता-पिता या पार्टनर ही निर्भर हों, इसलिए जरूरी है कि आपके पास आय का कोई स्रोत हो.

ऐसे कई तरीकें है जिनसे टर्म इंश्योरेंस कवर तय किया जा सकता है लेकिन इनमें से कोई भी फूल-प्रूफ नहीं है क्योंकि अनिश्चितताएं हमेशा रहेंगी.

Disclaimer: लेखक मनी मंत्रा के फाउंडर हैं. कॉलम में व्यक्त किए गए विचार लेखक के हैं. लेख में दिए फैक्ट्स और विचार किसी भी तरह Money9.com के विचारों को नहीं दर्शाते.

Published - June 5, 2021, 02:39 IST