अमरीकी हाउस ऑफ रेप्रेजेंटेशन ने गुरुवार को दो बिल पास किए हैं. ये दोनों बिल अमरीका में बिना दस्तावेजों के रह रहे लाखों प्रवासियों को कानूनी दर्जा देने के लिए लाए हैं. यानी इस बिल के पास होने के अमरीका में रहे दूसरे देशों के लोगों को नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा. भारतीयों के लिहाज से ये बिल बेहद महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इससे H-1B वीजा प्रोग्राम के तहत अमरीका गए लोगों के बच्चों को नागरिकता मिल पाएगी.
हालांकि, अब यह बिल सीनेट जाएगा, जहां पास होने के बाद इस पर अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन के दस्तखत होंगे.
बिना दस्तावेजों के अमरीका में अपने पेरेंट्स के साथ पहुंचने वाले बच्चों को ड्रीमर्स कहा जाता है. इस वक्त करीब 1.1 करोड़ बिना दस्तावेज वाले अप्रवासी लोग रह रहे हैं. इनमें से 5 लाख अप्रवासी भारतीय मूल के हैं. इस बिल से कानूनी ड्रीमर्स को भी राहत मिलेगी. ये ऐसे विदेश में पैदा हुए नॉन-इमीग्रेंट्स वर्कर्स के बच्चे होते हैं जो कि 21 साल की आयु हासिल करते ही कानूनी दर्जा खो देते हैं. इसमें H-1B वाले लोग भी शामिल हैं. अब ऐसे लोग अमरीका में कानूनी तौर पर नागरिकता हासिल कर पाएंगे और नौकरी भी कर पाएंगे.
दरअसल, H-1B वीजा भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स में सबसे ज्यादा लोकप्रिय है. यह एक नॉन-इमीग्रेंट वीजा होता है जिससे अमरीकी कंपनियां विशेषज्ञता वाले पेशों में विदेशी वर्कर्स को भर्ती कर पाती हैं. इस वीजा पर सबसे ज्यादा भारतीय अमरीका पहुंचते हैं. हर साल अमरीकी टेक्नोलॉजी कंपनियां हजारों की संख्या में भारतीयों को इस वीजा पर अपने यहां नौकरियां देती हैं.
दूसरी तरफ, इस बात की भी उम्मीद है कि अमरीका में बाइडन प्रशासन अपने पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रंप की H-1B वीजा पर की गई सख्ती में भी ढील देने की कोशिश में है. अमरीका फिलहाल 85,000 H-1B वीजा जारी करता है. इस पर बड़ी दावेदारी भारतीयों की रहती है. अमरीकी टेक सेक्टर की दिग्गज कंपनियों ने मांग की है कि इस कोटे को बढ़ाया जाना चाहिए ताकि कंपनियां अपनी बढ़ती जरूरत के हिसाब से ज्यादा नौकरियां दे सकें. इसके अलावा, कोविड-19 के बाद के दौर में अमरीका में कंपनियों में नई नौकरियां पैदा हो रही हैं और उन्हें विदेशी स्किल्ड लोगों की भी जरूरत है.
आंकड़ों के मुताबिक, फिस्कल ईयर 2021 के लिए इस कैटेगरी में 2,75,000 आवेदन आ चुके हैं. इसमें करीब 70 फीसदी आवेदन भारतीयों के हैं.
अमरीका में नया प्रशासन आने के बाद भारतीयों में US में नौकरी और ग्रीन हासिल करने को लेकर उम्मीदें बढ़ी हैं. अमरीका में भारतीयों के लिए ज्यादा नौकरियों के मौके पैदा होते दिखाई दे रहे हैं. इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को भी बड़ा बूस्ट मिलेगा.