चुनाव आयोग को मद्रास हाईकोर्ट की फटकारः EC के सामने साख का संकट
हाईकोर्ट ने कोविड-19 के बढ़ते मामलों के लिए न सिर्फ अकेले चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराया है, बल्कि कहा है कि EC के अधिकारियों पर हत्या का मुकदमा चलना चाहिए.
सोमवार को मद्रास हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग (EC) की कड़ी फटकार लगाई है. हाईकोर्ट ने कोविड-19 के बढ़ते मामलों के लिए न सिर्फ अकेले चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराया है, बल्कि कहा है कि EC के अधिकारियों पर हत्या का मुकदमा चलना चाहिए.
भारत जैसे गलाकाट राजनीतिक प्रतिस्पर्धा वाले देश में चुनाव कराना आसान काम नहीं है. खासतौर पर ऐसे वक्त में जबकि देश एक महामारी के दौर से गुजर रहा हो, और इससे लड़ने की तैयारियां नाकाफी हों, उस वक्त चुनाव कराना और चुनौती भरा हो जाता है.
आजादी के बाद कई वर्षों तक चुनाव आयोग (EC) एक असहाय संस्था की तरह से और दूसरों के मनमर्जी के हिसाब से काम करता रहा. इसके बाद टी एन शेषन का दौर आया. लोगों ने चुनाव आयोग को एक ऐसी संस्था के तौर पर देखना शुरू किया जो वाकई में स्वतंत्र है. चुनाव आयोग (EC) को देश के प्रति अपनी इसी प्रतिबद्धता को फिर से दिखाना होगा. आयोग को साबित करना होगा कि इसके पास अपना दिमाग है.
चुनाव आयोग (EC) को पहले ही कोविड की दूसरी संभावित लहर के बारे में सोचना चाहिए था. पिछले साल सितंबर से इस साल फरवरी मध्य के बीच कोविड को ‘हरा दिया गया है’, इस जश्न से आयोग को कम से कम खुद को दूर रखना चाहिए था.
पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के दौरान कैंपेनिंग के लिए चुनाव आयोग को शर्तें तय करनी चाहिए थीं. इन राज्यों में ऐसे प्रचार हुआ है जैसे देश से महामारी पूरी तरह से खत्म हो चुकी है. हालांकि, बिना प्रचार के चुनावों का कोई मतलब नहीं है, लेकिन हम एक असाधारण वक्त में जी रहे हैं और उसी हिसाब से इंतजाम भी होने चाहिए.
जिस तरह से बंगाल में चुनावी रैलियां और रोड शो हुए हैं उसका ही नतीजा है कि आज इस प्रदेश में तेजी से कोविड संक्रमण फैलने लगा है. अब चुनाव आयोग (EC) को बड़ी रैलियों और रोड शो पर रोक लगाना पड़ा है. अब केवल 29 अप्रैल को ही मतदान होना है और 2 मई को चुनावी प्रक्रिया खत्म हो जाएगी.
चुनाव आयोग (EC) को इन भीड़भाड़ वाले कार्यक्रमों की गंभीरता को पहले ही समझना चाहिए था. सावधानी और अनुमान लगाना किसी भी सरकारी संस्थान की सबसे जरूरी आवश्यकताएं होती हैं.