इस साल केंद्रीय बजट में कोरोना वैक्सीनेशन के लिए 35,000 करोड़ रुपये का आवंटन करते वक्त वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सरकार भविष्य में इस मकसद के लिए जरूरत पड़ने पर और फंड जारी करेगी.
बुधवार को RBI गवर्नर ने हेल्थकेयर के लिए 50,000 करोड़ रुपये की लिक्विडिटी का ऐलान किया है. हॉस्पिटलों में बेड्स से लेकर ऑक्सीजन, वेंटीलेटर्स और वैक्सीन की कमी से जूझ रहे देश को इस फैसले से बड़ी राहत मिलेगी.
इन फंड्स को बैंकों के जरिए हेल्थकेयर सेक्टर में काम करने वाली कंपनियों को मुहैया कराया जाएगा.
RBI ने ऐलान किया है कि ये लोन रेपो रेट यानी 4 फीसदी पर बैंकों को दिए जाएंगे और इन्हें प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग का दर्जा दिया जाएगा ताकि इन्हें जल्द कंपनियों को मुहैया कराया जा सके. कंपनियां इस पैसे का इस्तेमाल कई मोर्चों पर कर सकती हैं.
हेल्थकेयर कंपनियां ऑक्सीजन प्रोडक्शन बढ़ाने, ज्यादा हॉस्पिटल बेड्स, आईसीयू, वेंटीलेटर्स तैयार करने, वैक्सीन्स का उत्पादन बढ़ाने, टेस्टिंग कैपेसिटी मजबूत करने, कोविड की दवाइयां आयात करने और कच्चा माल मंगाने में इस पैसे का इस्तेमाल कर सकती हैं.
देश में फिलहाल ऑक्सीजन जैसी जरूरी चीजों और प्रशिक्षित मैनपावर की भारी कमी है और इस वजह से हर दिन लाखों लोगों को इलाज में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.
RBI गवर्नर ने ये भी कहा है कि मरीजों को इलाज के लिए भी कर्ज मुहैया कराया जा सकता है.
RBI का फैसला ऐसे वक्त पर आया है जबकि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) वैक्सीन्स का उत्पादन बढ़ाने के लिए कैपेसिटी बढ़ाने के लिए और फंड्स की जरूरत की बात कर रही है.
हॉस्पिटल्स भी इस फंड का इस्तेमाल कोविड मरीजों के इलाज के लिए क्रिटिकल इक्विपमेंट लेने में कर सकते हैं.
RBI के इस ऐलान के बाद अब हेल्थकेयर सेक्टर की कंपनियों के पास एक बड़ा मौका है कि वे इस पैसे का सही इस्तेमाल करें और वायरस के खिलाफ जंग को और तेज करें.
यह तब और अहम हो जाता है जबकि एक्सपर्ट इस बात की चेतावनी दे रहे हैं कि संक्रमण की तीसरी लहर कभी भी आ सकती है. ऐसे में हम सबको इससे निपटने की पहले से तैयारी करनी होगी