इंटरनेशनल फ्रेंच ब्रैंड GUCCI (गुची) की 35,000 रुपये की बेल्ट को देखकर झारखंड की मम्मी का गुस्सा खूब वायरल हुआ. इंस्टाग्रामर छवि गुप्ता की मम्मी की नजर की दाद देनी होगी. गुची (GUCCI) की बेल्ट स्कूल की बेल्ट से मिलती-जुलती तो दिख ही रही थी. मैनें भी जब अपने स्कूल की बेल्ट याद की तो उसके सट्राइप आंखों के सामने तैरने लगे. फिर गुप्ता आंटी के शब्द “बहकल भिलाई” यानि बहकी हुई बिल्ली के माफिक बेटी ने कुछ भी खरीद डाला.एक मां की नजरों से देखें तो गुस्सा वाजिब है लेकिन बेटी की नजरों से देखें तो अगर जेब में पैसे हैं तो क्यों नहीं खरीदें?
छवि की गुची बेल्ट पर कई मम्मियों का “बहकल भिलाई” वाला ही रिएक्शन रहा. वैसे मैं इन सारी मम्मियों का एक और रिएक्शन जानना चाहूंगी. लग्जरी हाई एंड कार कंपनी मर्सिडीज की नई S-class कार कमर्शियल लॉन्च के पहले ही धड़ाधड़ बुक हो गई. 150 कार ही भारत में आएंगी और इसमें से 90 कार की बुकिंग भी हो चुकी है.
जब तक आप इस आर्टिकल को पढ़ रहें होंगे तो उनकी बची 60 कार की बुकिंग भी हो ही गई होंगी. कार बुक करने वालों की मम्मियों के लिए झारखंड-बिहार अंचल का एक शब्द फिट बैठेगा ‘बयया जाना’ या ‘हदसा जाना’ यानी अभी कार बाजार में भी नहीं आई और बौखला कर 2.8 करोड़ की कार बुक भी कर लीं.
लेकिन, महंगी मर्सिडीज का क्या?
अगर छवि के जेब में पैसे हैं तो वो जो चाहती है वो क्यों न खरीदें के लॉजिक से जाएं तो मर्सिडीज कार प्री-बुक करवाने वालों के लिए भी यही लॉजिक है. लेकिन छवि जैसे युवा और मर्सिडीज के खरीदारी करने वाले के बीच एक बड़ा फर्क है.
छवि की मम्मी यानी गुप्ता आंटी कहती हैं, “हाथ में तुम्हारे पैसा रहना चाहिए और बर्बाद होना चाहिए.” अब ये लाइनें बहुत आम हैं. पेरेंट्स हमेशा बच्चों को बोलते हैं और बच्चे एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देते हैं. यहीं आता है फर्क- 2.8 करोड़ की मर्सिडीज खरीदने वाला कॉरपोरेट होगा या खानदानी अमीर होगा या कोई ऐसा जिसकी ये पहली कार तो नहीं ही होगी.
वर्षों की मेहनत के बाद कई कार चलाने के बाद वो इस कार को खरीद रहें होंगे और छवि अभी अपनी पहली या ज्यादा से ज्यादा दूसरी नौकरी में होगी. फिर मां-बाप रूपी ATM का बैकअप हमेशा रहता है. अपने पैसे खत्म हो गए तो मम्मी-पापा हैं न.
मां-बाप ही पूछ लेते हैं कि पैसों की तो जरूरत नहीं? ऐसे में अपने पैसों को उड़ाना आसान रहता है. जेब में हैं 35,000 रुपये तो कुछ हिस्सा अपने ऊपर जरूर खर्च कीजिए लेकिन कुछ बचाइए भी. ताकि आगे ये पैसा आपके काम आ सके बड़े शौक पूरे करने के लिए. शौक पर खर्च करना बुरी बात नहीं, लेकिन संभल कर खर्च करना अच्छी आदत है.
चाहत और जरूरत के बीच के अंतर को समझिए
YOLO- यू ओनली लिव वंस जेनेरेशन को एक भोजपुरी लाइन समझनी होगी कि सब दिन न होत एक समान इसलिए हाथ में पैसा है दिल में चाहत है तो बस चाहत पूरी कर लें. क्या कुछ चाहतों को रुककर नहीं पूरा किया जा सकता है.
बिजली का बिल, राशन का खर्चा या रेंट जैसी जरूरतें तो रूकेंगी नहीं चलती रहेंगी, लेकिन 35,000 रुपये की बेल्ट की खरीदरी जैसे खर्चे रुक सकते हैं या किसी किफायती ब्रैंड की बेल्ट से काम चलाया जा सकता है. गुची GUCCI की बेल्ट पर बचाए पैसे का सिस्टेमैटिक निवेश करके कल आप 2.8 करोड़ के मर्सिडीज के लिए अगर पैसे इकट्ठे कर सकते हैं तो क्यों नहीं?
कोविड ने दिखा दिया कि जिंदगी छोटी भी है और अनिश्चितता से भरी हुई है. कमा रहे हैं तो मौज उड़ाइए शौक पूरे कीजिए 35,000 रुपये की GUCCI बेल्ट से अगर खुशी मिलती है तो बिल्कुल खरीदें लेकिन बेहतर कल को दांव पर न लगाएं. कमाएं, थोड़ा खर्च करें और थोड़ा बचाएं की फिलॉसफी अपनाइए ताकि भविष्य के बड़े शौक पूरे कर सकें.