इस हफ्ते की शुरुआत में वैक्सीन पर गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) को लेकर एक विवाद पैदा हो गया. कोविड वैक्सीन्स पर GST हटाने की मांग हो रही है. ये मांग कई राज्यों के मुख्यमंत्री और नेता कर चुके हैं. इनका कहना है कि राज्यों को वैक्सीन खरीदने पर GST चुकाना पड़ेगा.
इसमें दो मामले हैं और दोनों को अलग-अलग देखना होगा. गौरतलब है कि वित्त मंत्री ने खुद ट्वीट्स के जरिए इन मसलों पर सरकार की राय रखी है.
GST में छूट के फायदे
पहले GST में छूट की मांग की बात करते हैं. कुछ गुड्स और सर्विसेज को GST छूट देने के फायदे ये होते हैं कि इससे रिटर्न फाइलिंग और रेगुलेटरी नियमों के पालन जैसी दिक्कतें दूर हो जाती हैं. साथ ही खाने-पीने की चीजों जैसी बेहद जरूरी चीजों पर GST छूट का अपना तर्क भी है.
लेकिन, वैक्सीन पर क्यों नहीं दी जा सकती GST छूट
कोविड-19 वैक्सीन निश्चित तौर पर छूट की शर्तों को पूरा करती हैं. हालांकि, कई वजहों से ये छूट नहीं दी जा सकती है. पहला, तर्क ये है कि GST खुद ही एक वैल्यू एडेड टैक्स है.
हर स्तर पर लगता है GST
यानी कोविड वैक्सीन के उत्पादन के वक्त से ही हर स्तर पर GST लगता है. इसमें कच्चे माल से लेकर सिरिंज, सप्लाई चेन जैसे मोर्चों पर टैक्स लगता है. पिछली स्टेज पर लगे टैक्स को GST चुकाते वक्त वेंडर इनपुट के तौर पर क्लेम करता है.
ऐसे में प्रोडक्शन के अलग-अलग चरणों में चुकाए जा चुके GST के टैक्स अमाउंट को सेटल करने में मुश्किल आएगी. इसके अलावा, कंपनियों के पास वैक्सीन से जुड़े हुए माल की भारी इनवेंटरी मौजूद है और वे इस पर टैक्स दे चुके हैं, ऐसे मं उनके लिए दिक्कत होगी.
मैन्युफैक्चरर्स और पूरी सप्लाई चेन को होगा नुकसान
वैक्सीन में GST से छूट देने पर मैन्युफैक्चरर्स को नुकसान होगा क्योंकि वे कच्चे माल पर पहले ही टैक्स दे चुके हैं. इसके अलावा, भविष्य के इनपुट टैक्स क्रेडिट को हासिल करने में भी मुश्किल होगी क्योंकि कच्चे माल पर GST लगता रहेगा.
चुकाए जा चुके GST को कैसे किया जाएगा सेटल
इस मुश्किल का एक हल ये है कि पूरी सप्लाई चेन को ही छूट दे दी जाए. लेकिन, इससे और जटिलता पैदा होगी. इसके साथ ही इससे मौजूदा टैक्स को सेटल करने की दिक्कत हल नहीं होगी.
ऐसे में बेहतर यही होगा कि हम इस सिस्टम के साथ छेड़छाड़ न करें. ऐसा करने से वैक्सीन मैन्युफैक्चरर्स की कॉस्ट बढ़ जाएगी और इसका भुगतान राज्य सरकारों समेत कंज्यूमर्स को करना पड़ेगा.
GST के बंटवारे का मसला
टैक्स से जुड़ा हुआ दूसरा मसला भी अहम है. ज्यादातर लोग मानते हैं कि GST का रेवेन्यू केंद्र और राज्यों के बीच बराबरी से बंटता है. लेकिन, ऐसा है नहीं. यहां तक कि केंद्र सरकार के हिस्से से भी 41 फीसदी राज्यों को ट्रांसफर किया जाता है.
यानी राज्यों को करीब 70.5 फीसदी रेवेन्यू चला जाता है. इसके अलावा, केंद्र ने राज्यों को GST की होने वाली कमी की भरपाई का भी वादा किया है. इसमें 15 फीसदी की मामूली GST टैक्स रेवेन्यू ग्रोथ को मानकर चला गया है और ऐसे में इसमें होने वाली कमी को केंद्र अपनी तरफ से देता है.
पूरा फोकस वैक्सीन हासिल करने और लगाने पर हो
लेकिन, सबसे बड़ी बात ये है कि ऐसे वक्त पर जबकि देश में वैक्सीनेशन की एक बड़ी मुहिम चल रही है. GST को लेकर राज्यों और केंद्र के बीच कोई मसला नहीं पैदा होना चाहिए. पूरा फोकस इस बात पर होना चाहिए कि कैसे ज्यादा से ज्यादा वैक्सीन्स खरीदी जा सकें और इन्हें लोगों को लगाया जा सके.
कई मुख्यमंत्रियों ने मांग की थी कि केंद्र उन्हें अपने बूते वैक्सीन खरीदने की इजाजत दे. अब सरकार ने इसकी छूट दे दी है तो उन्हें अब पॉलिसी पर बहस करने की बजाय वैक्सीन का इंतजाम करने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए.
नीति में बदलाव का नहीं होगा फायदा
चूंकि, राज्यों के हाथ में GST का ज्यादा हिस्सा आता है और राज्य अपने स्तर पर वैक्सीन की कॉस्ट को कम कर सकते हैं, ऐसे में उन्हें इस विषय पर भावनात्मक खेल नहीं खेलना चाहिए.
कोविड वैक्सीन पर GST में छूट की मांग से इसकी लागत में और इजाफा होगा और इससे कोई फायदा नहीं होने वाला.