लॉकडाउन और इसकी वजह से पैदा हुई आर्थिक तबाही ने लोगों को गोल्ड (gold) ज्वैलरी बैंकों में गिरवी रखने के लिए मजबूर कर दिया है.
भारत में गोल्ड (gold) को पारंपरिक तौर पर इसको मुसीबत के वक्त पैसों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. साथ ही सोने के गहनों को लेकर भारतीयों का लगाव भी किसी से छिपा नहीं है.
मौजूदा कोविड महामारी के दौर में पैदा हुई आर्थिक मुसीबतों के वक्त भी लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं.
रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के मुताबिक, 2019-20 के मुकाबले 2020-21 में गोल्ड (gold) ज्वैलरी को बैंकों में गिरवी रखकर लिए जाने वाले लोन्स में 81.9 फीसदी का इजाफा हुआ है.
मार्च 2020 में लोगों का गोल्ड (gold) को गिरवी रखकर लिया गया लोन 33,303 करोड़ रुपये पर था. ये आंकड़ा मार्च 2021 में उछलकर 60,464 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है.
6 अगस्त 2020 को आम लोगों के सामने मौजूद मुश्किलों को पहचानते हुए RBI ने एक बड़ा फैसला लिया था. रिजर्व बैंक ने गोल्ड के बदले लिए जाने वाले लोन को इसकी वैल्यू का 90% कर दिया था. पहले लोग गोल्ड (gold) की वैल्यू का 75% तक ही लोन ले सकते थे.
यह आर्थिक मुश्किलों का सामना कर रहे तबके के लिए एक बड़ी राहत थी. इसके चलते बड़ी तादाद में लोगों ने अपने गहने गिरवी रखकर बैंकों से लोन लिया है.
लेकिन, 31 मार्च 2021 से इस सहूलियत को फिर से घटाकर 75% कर दिया गया है.
हालांकि, RBI का कदम स्वागत योग्य है, लेकिन कोविड की दूसरी लहर और इलाज के भारी-भरकम खर्च को देखते हुए इस सुविधा को फिर से बहाल किया जाना चाहिए. यानी RBI को एक बार फिर गोल्ड (gold) की वैल्यू के 90% तक लोन देने की इजाजत बैंकों को देनी चाहिए.
कम से कम ये राहत तब तक जारी रखी जानी चाहिए जब तक कि आर्थिक हालात में सुधार नहीं आता और देश में रोजगार बहाल नहीं होते.
हो सकता है कि बैंक इस पर चिंता जाहिर करें कि अगर सोने की कीमतों में गिरावट आती है तो वे अपना रिस्क कैसे कवर करेंगे.
लेकिन, चूंकि कोविड की दूसरी लहर लंबी खिंच सकती है और इसे लेकर सरकारी उपाय भी अब खत्म होते दिख रहे हैं, ऐसे में असाधारण वक्त में असाधारण कदम उठाना जरूरी हो जाता है.
इसके अलावा, गुजरे कुछ वक्त से सोने (gold) की कीमतों में तेजी ही आ रही है.