विदेश व्यापार के ताजा आंकड़े आए. फरवरी के शुरुआती आंकड़े हैं. कुछ दिलचस्प जानकारी दे रहे हैं. कच्चा तेल का आयात घट गया. चूंकि पेट्रोल और डीजल की मांग घटी है, इसीलिए कच्चा तेल भी कम ही मंगवाया जा रहा है. लेकिन इससे भी ज्यादा खास बात ये है कि सोने का आयात (Gold Import), पिछले सवा छह सालों के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया.
महामारी के शुरुआती महीनों में आयात काफी घटा, लेकिन त्यौहारों के साथ ही जो मांग बढ़नी शुरु हुई, वो अभी तक जारी है. आंकड़े बताते हैं कि अकेले फरवरी के महीने में 2.92 अरब डॉलर से ज्यादा कीमत के सोने का आयात हुआ. यह 2020 के फरवरी के मुकाबले दो गुना से भी ज्यादा है. जनवरी तक के आंकड़ों में फरवरी के शुरुआती आंकड़ों को जोड़ दें तो कुल बिल बनता है कि 23.74 अरब डॉलर से भी ज्यादा का. चूंकि फरवरी का आंकड़ा शुरुआती है तो ये और बढ़ सकता है. अभी मार्च भी बाकी है तो कुल मिलाकर अनुमान लगाया जा रहा है कि पूरे कारोबारी साल (मार्च, 2020-अप्रैल, 2021) के दौरान सोने का आयात कारोबारी साल 2019-20 के 28.2 अरब डॉलर से कुछ ज्यादा हो सकता है.
इन आंकड़ों की अहमियत के पहले दो बातों पर ध्यान देना जरूरी है. पहला तो ये कि ये मासिक आंकड़ा 28 दिनों का है और दूसरा ये कि इनमें से 27 दिनों के दौरान कम आयात शुल्क का फायदा मिला. गौर करने की बात ये है कि 2 फरवरी से सोने व चांदी पर आयात शुल्क में पांच फीसदी की कमी की गयी, लेकिन ढ़ाई फीसदी की दर से सेस भी लगाया गया, यानी विशुद्ध रुप से ढाई फीसदी की कमी.
सर्राफा व्यापारियों की मानें तो आर्थिक गतिविधियां बढ़ने और कुछ क्षेत्रों में तनख्वाह बहाल होने के साथ ही सोने–चांदी की मांग बढ़ी जिसकी वजह से कानूनन आयात (Gold Import) के बेहतरीन आंकड़े आए. तो क्या मान लें कि महामारी पर सोना पड़ा भारी?
विदेशी व्यापार के आंकड़े देखने के बाद आपका जवाब हां में होगा. लेकिन इस तरह के किसी भी नतीजे पर पहुंचने के पहले वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़ों पर नजर डालना जरुरी होगा. हालांकि आंकड़े अभी दिसम्बर तक के ही है, लेकिन चलन को समझने के लिए काफी है. आंकड़े बताते है कि अप्रैल–जून तिमाही में 11.5 टन, जुलाई–सितम्बर तिमाही में 101 टन और अक्टूबर–दिसम्बर तिमाही में 166.5 टन सोने का आयात किया गया. यानी कुल मिलाकर हुआ 279 टन सोने का आयात. अब 2019 की पहली तीन तिमाही की बात करें तो मात्रा थी 614.5 टन, यानी करीब 75 फीसदी की गिरावट. पूरे 2019-20 की बात करें करीब 730 टन से भी ज्यादा सोना आया.
अब चौथी तिमाही यानी जनवरी से मार्च के दौरान 450 टन या उससे ज्यदा सोने का आयात हो तब जाकर 2019-20 के आंकड़ें के करीब या उसे पार कर पाएंगे. यह असंभव तो नहीं, लेकिन काफी ही मुश्किल है. अब ऐसे में यहां ये समझना जरुरी होगा कि आयात बिल बढ़ रहा है, लेकिन आयात होने वाले सोने की मात्रा नहीं.
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक, वर्ष 2020 के दौरान दुनिया भर की तमाम मुद्राओं में सोने के भाव अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंचे. अमेरिका में तो सोने का सालाना औसत भाव 25 फीसदी बढ़ा जो 2010 के बाद सबसे ज्यादा है. कई प्रमुख उत्पादक देशों में सोने के भाव में इससे ज्यादा बढ़ोतरी देखने को मिली. मतलब साफ है कि जब आयात ऊंची कीमत पर हो रही है तो आयात बिल बढ़ेगा ही.
Gold Import: इसमें कोई शक नहीं कि देशबंदी के बाद त्यौहारों और शादी के मौसम में सोने की मांग बढ़ी. लेकिन साथ ही साथ ही कीमत भी बढ़ी. अब चूंकि हमारी मांग का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा आयात से पूरा होता है, और कीमतें बढ़ी हों तो उसका असर आयात बिल पर पड़ेगा. ऐसा पहले भी हुआ है, लेकिन जब बढ़ोतरी 124 फीसदी के करीब दिखे तो कुल खर्च और मात्रा दोनों की खास तौर पर पड़ताल करनी होगी. अभी तो खर्च ही ज्यादा नजर आ रहा है. मत भूलिए कि सौदा पहले ही तय हो चुका था जब भाव ऊपर थे, लिहाजा पैसे तो ज्यादा दिए, लेकिन मात्रा कम आया.
इस बीच, एक अहम खबर. बाजार में सोने के भाव घट रहे हैं. बीते साल अगस्त की शुरुआत में भाव अब तक के सबसे ऊंचे स्तर यानी 56000 रुपये प्रति दस ग्रा तक पहुंचे, लेकिन अब भाव 45 हजार रुपये के नीचे आ गए हैं. 2021 में अब तक भाव 11 फीसदी तक घटे हैं. वैश्विक बाजार में भी कमजोरी दिख रही है. ऐसे मे अब आगे के महीनों में पड़ताल इस बात की होगी कि बिल ज्यादा है तो क्या मात्रा भी ज्यादा है.