महामारी के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पेश किए पहले बजट में वित्त वर्ष 2021-22 के लिए IMF के 11.5 फीसदी रियल ग्रोथ के अनुमान के मुकाबले भारत के लिए 14.4 फीसदी नॉमिनल जीडीपी (GDP) ग्रोथ (10 फीसदी रियल ग्रोथ) का अनुमान पेश कर सरकार के बड़े विस्तृत कदम के संकेत दिए हैं.
घरेलू डिमांड और सरकारी खर्च बढ़ने से भारत डबल-डिजिट की तेजी के लिए तैयार है. आर्थिक स्थिति के सूचकांक सकारात्मकता दिखा रहे हैं. महंगाई 4.4 फीसदी पर रहने का अनुमान है और मजबूत सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट्स के दम पर 20-21 में भारत का करंट अकाउंट सरप्लस GDP का 2 फीसदी रहने का अनुमान है.
हालांकि कमोडिटी की कीमतों में तेजी और बढ़ी डिमांड की वजह से रफ्तार से ग्रोथ के साथ ही करंट अकाउंट फिर से निगेटिव हो जाएगा.
दुनियाभर की इकोनॉमी के लिए आउटलुक अभी भी अस्पष्ट है. अमेरिका में बाइडन सरकार के रिकॉर्ड राहत पैकेज से दुनियाभर में नकदी बढ़ेगी. हालांकि, ये अभी तय नहीं है कि इससे 2021 में 5.1 फीसदी का अनुमानित ग्रोथ (GDP) हासिल हो पाएगा क्योंकि महामारी की मार झेल रही इकोनॉमी में जनवरी की रोजगार रिपोर्ट में पिछले साल के ही ट्रेंड देखने को मिले. ऐसे में नए ट्रेजरी सेक्रेट्री जेनेट यैलन की अर्थनीति पर अगले कुछ महीनों तक फोकस होगा क्योंकि लेफ्ट झुकाव रखने वाली बाइडन सरकार इस कोशिश में है बढ़ती बेरोजगारी और बंद होते कारोबारों का शेयर बाजार में टेक शेयरों की वजह से आई रैली के बीच विरोधाभास खत्म हो.
यूरोपिय संघ और युनाइटेड किंग्डम में अनिश्चितता और गंभीर है क्योंकि कोविड-19 के कमजोर पड़ेने के कोई संकेत नहीं हैं और निरंतर लॉकडाउन से पहले से कमजोर इकोनॉमी को और नुकसान होता है. कोविड के साथ ही ब्रेक्जिट के दोहरे संकट से जूझ रही बोरिस जॉनसन की इकोनॉमिक टीम और चांसलर ऋषि सुनक के सामने आग से भरा रास्ता है क्योंकि राहत वाले स्कीम ब्रिटेन की फिस्कल स्थिति पर दबाव बनाएगी और टैक्स लगाना टाला नहीं जा सकेगा.
तेजी से चल रहे वैक्सिनेशन कैंपेन के बावजूद बैंक ऑफ इंग्लैंड ने 2021 का ग्रोथ अनुमान 7.5 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी किया है. यूरोपीय संघ का 4.2 फीसदी का ग्रोथ अनुमान को संभव है कि आगे घटाना पड़ा क्योंकि लगातार लॉकडाउन से कारोबार ताला पड़ा रहा है. बेहतरीन हेल्थकेयर प्रोटोकल की वजह से आसियान (ASEAN) देश इस स्थिति से बिना किसी गंभीर चोट खाए उभरकर आएंगे क्योंकि यहां कोविड के मामले कम रहे. ASEAN-5 देश 5.2 फीसदी की दर से ग्रोथ हासिल करेंगे और आगे इसमें सुधार होने की उम्मीद है. चीन में, जहां से महामारी उत्पन हुई, 8.1 फीसदी की दर से ग्रोथ (GDP Growth) रहेगी क्योंकि यहां की इकोनॉमी को FIFO यानि ‘फर्स्ट इन, फर्स्ट आउट’ से फायदा मिलेगा. 2020 में 2.3 फीसदी ग्रोथ के साथ चीन महामारी के बाद सबसे मजबूत इकोनॉमी के तौर पर उभरेगा. हालांकि चीन+1 की रणनीति आगे भी जारी रहने का अनुमान है क्योंकि ग्लोबल कंपनियां सप्लाई चेन डायवर्सिफाई करने पर काम कर रही हूं. इससे ग्रोथ जरूर धीमी होगी लेकिन चीन में घरेलू डिमांड इस तेजी से बढ़ रहा है कि इकोनॉमी की तेजी बरकरार रहेगी. वियतनाम और इंडोनेशिया को चीन+1 ट्रेंड से सबसे ज्यादा फायदा मिलने की उम्मीद है. जापान के भी 2021 में 4 फीसदी की मजबूती के साथ ग्रो करने की उम्मीद है क्योंकि प्रधानमंत्री सूगा और वित्त मंत्री आसो के दक्ष नेतृत्व और आर्थिक रणनीति से ग्रोथ डिविडेंड हासिल होगा.
ग्लोबल ट्रेंड देखते हुए भारत के सबसे तेजी से बढ़ती इकोनॉमी में फिर से काबिज होने की संभावना काफी है. घरेलू डिमांड और सरकारी कानूनों से भारत में बिजनेसेस को ब्यूरोक्रेसी की अति से राहत मिली है जिससे फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट बढ़ने की संभावना है. ‘बैड बैंक’ बनने से NPA के निवारण में मदद मिलेगी तो वहीं बड़े सरकारी बैंक के निजिकरण और एकीकरण से घरेलू क्रेडिट सुधरेगा जिससे देश में निवेश भी बढ़ेगा. सरकारी और निजी सेक्टर से इन्वेस्टमेंट आने से ग्रोथ होगी. वहीं ऊंची यील्ड से रिटेल निवेशकों का शेयर बाजार के साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर और कॉरपोरेट बॉन्ड निवेश में भागीदारी बढ़ेगी. दुनियाभर में भारत के इकोनॉमिक चैंपियन बनने का आउटलुक मजबूत है. ग्लोबल निवेशकों के लिए तेज ग्रोथ और साफ नियम-कायदों वाली इकोनॉमी में एक्सपोजर के लिए भारत बेहतरीन विकल्प बनकर उभरेगा.
लेखक यूएपी एडवाइजर्स एलएलपी (UAP Advisors LLP) में पार्टनर हैं.
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